गोल्ड मेडल जीतने वाले सबसे युवा खिलाड़ी

ऑस्ट्रेलिया के गोल्डकोस्ट में चल रहे कॉमनवेल्थ गेम्स के 9वें दिन भारत की शुरुआत बेहद शानदार रही। शुक्रवार को भारतीय शूटर्स ने अपना जलवा बिखेरा है तेजस्विनी के बाद अब 15 वर्षीय शूटर अनीश ने पुरुषों की 25 मीटर रैपिड फायर पिस्टल मुकाबले में गोल्ड पर निशाना साधा है। अनीश यह गोल्ड जीतकर भारत की ओर से सबसे कम उम्र में गोल्ड जीतने वाले पहले खिलाड़ी बन गये हैं।अनीश के इस गोल्ड के साथ ही भारत के गोल्ड मेडल्स की संख्या 16 जा पहुंची है।

cwg 2018 : गोल्‍ड पर निशाना साधने वाले 15 साल के अनीश उधार की बंदूक लेकर करते थे प्रैक्‍टिस

यह है रिकॉर्ड जीत

फाइनल में अनीश ने बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए कुल 30 अंक अर्जित किए जो कि कॉमनवेल्थ गेम्स में एक रिकॉर्ड है। अनीश ने 2014 में ग्लास्गो में हुए 20वें कॉमनवेल्थ गेम्स में आस्ट्रेलिया के डेविड चापमान की ओर से बनाए रिकॉर्ड को तोड़ है। गोल्ड कोस्ट में आयोजित हुई 25 मीटर रैपिड फायर पिस्टल स्पर्धा में अनीश का सामना ऑस्ट्रेलिया के सर्जई इवग्लेवस्की से था। अनीश ने सर्जई से दो अंक ज्यादा हासिल कर गोल्ड मेडल पर कब्जा जमाया। वहीं सर्जई को 28 अंकों के साथ सिल्वर मेडल से संतोष करना पड़ा। जबकि इंग्लैंड के सैम गोविन ने 17 अंकों के साथ इस प्रतियोगिता का ब्रांज मेडल जीता है।

उधार की बंदूक से की थी प्रैक्टिस

हरियाणा के सोनीपत में गोहना तहसील के एक छोटे से गांव कासंदी में जन्में अनीश को बचपन से ही खेल में रुचि थी। अनीश ने बहुत कम उम्र में ही शूटिंग करना शुरु कर दिया था। उनके पिता के पास नई बंदूक खरीदने के पैसे नहीं थे। ऐसे में अनीश के पिता ने बेटे के सपने को पूरा करने के लिए उधार में बंदूक ले ली। अनीश उसी बंदूक से प्रैक्टिस किया करते थे। 21वें कॉमनवेल्थ गेम्स में भारत को स्वर्ण पदक दिलाने वाले अनीश की उम्र अभी सिर्फ 15 साल है। जब वह 12 साल के थे, तब अंडर-12 वर्ल्ड चैंपियनशिप में अनीश ने भारत का प्रतिनिधित्व किया था।

cwg 2018 : गोल्‍ड पर निशाना साधने वाले 15 साल के अनीश उधार की बंदूक लेकर करते थे प्रैक्‍टिस

परिवार ने किया पूरा सपोर्ट

जिस परिवार में स्पोर्ट्स का दूर-दूर तक कोई नाता नहीं, ऐसे परिवार से आकर कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड मेडल जीतना आसान नहीं होता। हालांकि अनीश के घरवालों ने अपने बेटे का पूरा सपोर्ट किया। सोनीपत में शूटिंग की बेहतर सुविधाएं न मिल पाने के कारण अनीश और उनका परिवार 2014 में दिल्ली शिफ्ट हो गया। यह पिछले चार सालों की कड़ी मेहनत का नतीजा है कि 15 साल के अनीश के गले में गोल्ड मेडल चमक रहा।