PATNA : सिख दंगे को भड़काने वाले मुख्य आरोपी सज्जन कुमार को सुप्रीम कोर्ट ने उम्र कैद की सजा तो सुना दी लेकिन इस दंगे की आंच में झुलसे पटना के परिवार के लोग आज भी मुआवजे का इंतजार कर रहे हैं। मुआवजे की इंतजार में दो लोगों की मौत हो गई तो वहीं अभी भी करीब डेढ़ सौ परिवार मुआवजे के इंतजार कर करा है। पीडि़तों ने हाईकोर्ट में भी गुहार लगायी है। लेकिन इसके बाद भी सिख समाज को 34 साल बाद भी अपना हक नहीं मिल पाया और वो लोग इसके लिए जद्दोजहद कर रहे हैं।

19 करोड़ की लूटी गई थी संपत्ति

प्रशासनिक आंकड़ों के मुताबिक 1984 सिख दंगा में 1481 सिख परिवारों के करीब साढ़े सात हजार लोगों की 19 करोड़ की संपत्ति लूटी या जलाई गई थी। सिटी में एक सिख की हत्या भी हुई थी। इस घटना ने सिखों की परिस्थिति पूरी तरह से बदल कर रख दिया था। 25 वर्षो तक मुआवजे की आस में दर-दर भटकते व्यवसायी अमृत सिंह सचदेवा की मौत हो गई। हरिमंदिर गली के दंगा पीडि़त नारायण सिंह ने भी मुआवजे की आस में दम तोड़ दिया।

काफी भयानक मंजर था उस समय। मालसलामी थाना क्षेत्र के मारूफगंज स्थित बाबा ट्रे¨डग कम्पनी ड्राई फ्रूट की हमारी दुकान थी। जब अन्य शहरों में इस तरह की घटना हुई तब हम लोगों ने कल्पना भी नहीं किया था कि यहां पर ऐसा होगा। दंगे की आंच पटना तक पहुंची और दंगाइयों ने उस रात लूट लिया। हम लोग काफी डरे सहमे थे। प्रशासन की उपस्थिति में ताला खोला तो दुकान से साढ़े आठ लाख की सम्पत्ति लूटी जा चुकी थी। दुकान में कुछ भी नहीं बचा था। इसके बाद हम लोग मालसलामी थाने गए और वहां पर इसकी शिकायत की। पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर लिया।

(जैसा की डीजे आई नेक्स्ट को सचदेवा के पुत्र बाबा दमनजीत सिंह ने बताया)