महेश भूपति ओलंपिक में लिएंडर पेस के साथ टीम बनाने के एआईटीए के डिसीजन के बिलकुल अगेंस्ट हैं। भूपति का कहना है कि वो पेस के साथ कभी टीम नहीं बनाएंगे भले ही एआईटीए उन पर बैन क्यों न लगा दे। भूपति का कहना है कि पेस ने लास्ट इयर नवंबर में उनके साथ पीठ पर छुरा घोंपने जैसा एटीट्यूड अपनाया था और अब वे एक दूसरे से बात तक नहीं करते वे फ्रेंडस भी नहीं हैं। दोनों एज टीम चार बार ओलंपिक गए हैं और हर बार खाली हाथ लौटे हैं।

भूपति यह तक कहा है कि अगर एआईटीए को लगता है कि उन पर बैन लगना चाहिए तो लगा दें। आखिर वही भारतीय टेनिस के मालिक हैं। जबकि ऑल इंडिया टेनिस एसोसिएशन का कहना है कि उसने ये डिसीजन पेस और भूपति के परफारमेंस को ध्यान में रखते हुए ही लिया है। ओलंपिक में कौन जाएगा ये तय करना उसका काम है न कि प्लेयर्स का। एसोसिएशन का कहना है कि उन दोनों के बीच पर्सनल रिलेशन कैसे भी हों लेकिन एज टीम वह परफेक्ट हैं और पर्सनल कांफिलक्ट कंट्री के लिए खेलते हुए बीच में लाना अच्छी बात नहीं है।

ऐसा ही कुछ मिल्खा सिंह का भी मानना है कि भूपति का पर्सनल रीजंस से कंट्री की साख को दांव पर ना लगा कर पेस के साथ खेलने के लिए राजी हो जाना चाहिए। एसोसिएशन का भी कहना है कि कोई भी प्लेयर केवल अनफिट होने पर खेलने से इंकार कर सकता है और कोई भी रीजन कंट्री के फेवर में अच्छा नही हो सकता।

इस बारे में भूपति की ओपिनियन बिलकुल डिफरेंट है वे कहते हैं कि उन दोनों का फिर साथ साथ ओलंपिक जाना कंट्री के लिए ही सबसे बुरा है। अगर कोई ये प्रूव कर दे कि उन दोनों ने लास्ट चार ओलंपिक में अच्छा परफार्म किया था तो वे फिफ्थ टाइम जाने के लिए तैयार हो सकते हैं लेकिन ऐसा नहीं है और एक बार फिर वे दोनों स्ट्रगल ही करते रह जाएंगे क्योंकि वे अच्छे पार्टनर्स नहीं हैं. 

अब इस सिचुएशन में इंडियंन मैंस डबल्स टेनिस के लंदन ड्रीम्स कैसे पूरे होंगे यह बड़ा क्वेश्चन है। तीन ही कंडीशंस बची हैं जिन पर सीरियसली सोचना होगा। नंबर एक भूपति के प्रेजेंट फार्म और यह देखते हुए कि केवल पेस ने ही ओलंपिक्स के लिए क्वालिफाई किया है उन दोनों के डिस्प्यूट को डेलिकेटली हैंडल करके साल्व किया जाए और दोनों को लंदन जाने के लिए तैयार किया जाए।

 

दूसरा पेस और बोपन्ना की जोड़ी बनायी जाए और उन्हें ओलंपिक भेजा जाए। इसमें सबसे बड़ा टिविस्ट है कि क्या पेस बोपन्ना के साथ कंफर्ट फील करेंगे और दूसरी ओर मिक्स डबल्स  में सानिया को भी नए पार्टनर के साथ खेलना पड़ेगा अगर उनके लिए भी वाइल्ड कार्ड मिलता है तो।

 

तीसरा मेंस डबल्स के लिए टीम भेजने का आइडिया ही ड्राप कर दिया जाए और बहस खत्म की जाए। इसमें सबसे बड़ा पेंच यह है कि इसके साथ ही इंडिया के मिक्स डबल्स और वीमेंस डबल्स के चांसेस भी खत्म हो जाएंगे क्योंकि इंडिया को केवल दो ही वाइल्ड कार्ड मिल सकते हैं जिसमें सानिया के अलावा एक ही मेंन टेनिस प्लेयर को सलेक्ट  किया जा सकता है।

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