कोर्ट ने नगर आयुक्त से मांगा स्पष्टीकरण

कैंसर पीडि़त महिला पांच वर्ष से है परेशान

ALLAHABD: नगर निगम की मुकदमें की फाइल को पहले दीमकों ने खाया, फिर उसे जलाकर आग के हवाले कर नष्ट कर दिया गया। इस पत्रावली को जलाने व नष्ट करने के बारे में दोषी कौन हो सकता है। इसकी जानकारी के लिए लघुवाद न्यायाधीश अंजना ने नगर आयुक्त को पत्र भेजकर स्पष्टीकरण मांगा है। इस पत्रावली में नगर निगम विपक्षी पक्षकार है। मुकदमें की सुनवाई 23 मई को होगी।

दाखिल-खारिज का मामला

मामला यह है कि सिविल लाइन स्थित एक मकान के दाखिल खारिज के लिए कैंसर रोग से पीडि़त याचिनी स्मृति गुप्ता ने नगर निगम में आवेदन किया। जिस पर इंस्पेक्टर की रिपोर्ट आयी। प्रकरण की सुनवाई की गयी। किंतु फैसला स्मृति गुप्ता के खिलाफ हुआ। नगर निगम के फैसले से क्षुब्ध याचिनी स्मृति गुप्ता ने जिला न्यायलय में लघुवाद न्यायाधीश के समक्ष वर्ष 2012 में स्मृति गुप्ता बनाम नगर निगम आदि अपील पेश किया। कोर्ट ने नगर निगम द्वारा की गई सुनवाई की फाइल तलब किया, तब से पांच वर्ष बीत गए अभी तक पत्रावली कोई के समक्ष नहीं आ सकी। लघुवाद न्यायालय ने नगर आयुक्त इलाहाबाद से स्पष्टीकरण तलब किया। तब नगर आयुक्त ने कोर्ट को जानकारी दी कि उक्त पत्रावली को दीपक खा गए थे। तत्काल अधिकारियों ने उसे जला दिया। ताकि अन्य कोई उसका दुरुप्रयोग न कर सके। नगर आयुक्त के स्पष्टीकरण के साथ तत्कालीन अपर नगर आयुक्त हरीश चन्द्रा का पत्र संलग्न किया। जिसमें उल्लिखित किया गया कि तत्कालीन अपर नगर आयुक्त बीबी बनर्जी के आदेश से पत्रावली जलाई गई थी। उधर मामले की सुनवाई को पाच वर्ष बीत जाने पर याचिनी ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। जहां हाईकोर्ट लघुवाद न्यायाधीश को उक्त अपील त्वरित निस्तारण का निर्देश जारी किया। वहीं अपील की सुनवाई में विलम्ब होने से हाईकोर्ट के आदेश का पालन नहीं हो पा रहा है। ऐसी स्थिति मे कोई भी पेशोंपेश में है।

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जानबूझ कर गायब की गई पत्रावली

याचिनी स्मृति गुप्ता का आरोप है कि फाइनल गायब करने का राज यह है कि इसमें गायब कराने में कई लोगों ने मिलकर खेल किया है। मनमाना आदेश किया गया है। यदि फाइल कोर्ट गयी तो सारी पोल खुल जाएगी। ऐसी स्थिति में विधि विभाग मे कार्यरत रहें लिपिक राधा कृष्ण तिवारी को मोहरा बनाया गया, इनसे लिखवाया गया कि फाइल को दीमक खा गए। तब उसे जला दिया गया। इस फाइल को कोर्ट न भेजने से ही नगर निगम अपने को सुरक्षित मान रहा है। लेकिन कोर्ट ने शिंकजा कसना शुरू कर दिया है।