-राजकीय महिला अस्पताल में गर्भवती महिलाओं से बख्शीश के नाम पर फीस वसूलने का मामला

-दैनिक जागरण आई नेक्स्ट में छपी खबर के बाद एसआईसी ने दिया जांच का आदेश

 

varanasi@inext.co.in
VARANASI :
राजकीय महिला अस्पताल में एडमिट गर्भवती महिलाओं की डिलिवरी के बाद उनके परिजनों से नाजायज तरीके से फीस लिये जाने के खुलासे के बाद हॉस्पिटल के स्टाफ में हड़कंप की स्थिति है। एसआईसी डॉ। एसपी कुशवाहा ने इस मामले की जांच का आदेश दिया है। उन्होंने कहा कि तीन डॉक्टर्स की टीम मामले की जांच कर रही है। लेकिन इसी के साथ बड़ा सवाल यह है कि इस खुलासे के बाद मामले की जांच रिपोर्ट कब और कैसी आएगी? इस बाबत कुछ भी बताने के बजाय अधिकारी चुप्पी ही साधे हुए हैं। इतना बड़ा मामला उजागर होने के बाद भी उन्हें अब भी सबूत का इंतजार है। अधिकारियों का कहना है कि बगैर ठोस सबूत के कोई निर्णय नहीं लिया जा सकता। इसका मतलब तो यही माना जा सकता है कि हॉस्पिटल में मरीजों से लूट खसोट का खेल चलता रहे और अधिकारी सबूत के इंतजार में बैठे रहे।

 

प्रमुखता से पब्लिश हुई खबर

बता दें कि मंगलवार को दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने इस खबर को प्रमुखता से प्रकाशित किया था। इसके लिए आई नेक्स्ट टीम ने सोमवार को चिकित्सालय में गर्भवती महिलाओं से इस तरह से की जा रही वसूली का सच जानने के लिए खुद पड़ताल की थी। इस दौरान वॉर्ड नंबर तीन और चार में एडमिट कई महिला मरीजों और उनके तीमारदारों ने बताया था कि हॉस्पिटल स्टाफ द्वारा बख्शीश और सिजेरियन डिलिवरी के नाम पर उनसे 1500 से 2000 रुपए फीस ली जाती है। वहीं अन्य मरीजों ने बताया था कि फीस की रकम सिजेरियन व नार्मल डिलिवरी के तुरंत बाद ही स्टाफ द्वारा ले ली जाती है। जिन लोगों के पास उस दौरान पैसा नहीं होता उनसे डिस्चार्ज होने तक पैसे का इंतजाम करने को कहा जाता है।

 

कैसे साकार होगा पीएम का सपना

यह खबर छपने के बाद भी अधिकारी मामले को लेकर कोई खास दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं। अधिकारियों के इस तरह के रवैये को देख यह कहना शायद गलत नहीं होगा कि पीएम मोदी के गरीबों को फ्री इलाज देने का सपना उन्हीं के अफसर साकार होने देना नहीं चाहते। इस तरह का मामला उजागर होने के बाद अफसर जांच का आदेश तो दे देते हैं, लेकिन वे पीडि़त मरीजों के पास जाकर खुद पूछने की जहमत नहीं उठाते हैं।

 

मामले की जांच के लिए तीन चिकित्सकों की टीम को जिम्मेदारी दी गई है। लेकिन जब तक कोई मरीज उनसे खुद आकर नहीं कहता तब तक किसी तरह का एक्शन लेना मुनासिब नहीं है।

डॉ। आरपी कुशवाहा, एसआईसी, राजकीय महिला चिकित्सालय, कबीरचौरा

Crime News inextlive from Crime News Desk