- आत्मा का परमात्मा से मिलन की कहानी पर प्रस्तुत किया गया नृत्य नाटक

- सूफी दर्शन को देखकर सूफियाना रंग में रंगे दर्शक

LUCKNOW : 'आत्मा का परमात्मा से मिलन' नाटक की कहानी को जब सूफी रंग में नृत्य के माध्यम से प्रस्तुत किया गया तो पूरा माहौल सूफियाना रंग में सराबोर हो गया। याहोवा अकेडमी फॉर परफार्मिंग आ‌र्ट्स की ओर से ललित सिंह पोखरिया के निर्देशन में मंगलवार को भारतेंदु नाट्य अकादमी के थ्रस्ट प्रेक्षागृह में खुसरो रैन सुहाग की नृत्य नाटिका का मंचन किया गया। नृत्य नाटिका में सूफी दर्शन की उत्पत्ति से लेकर सूफी यात्रा, परंपरा व सूफी संत अमीर खुसरो, निजामुद्दीन औलिया, मंसूर अल हल्लाज, बीबी रास्ती और बुल्लेशाह की यात्राओं को दिखाया गया।

इंसानियत का दिया पैगाम

कुन फाया कुन, दम मस्त कलंदर, मन मोरा तरसत है। जैसे सूफी गानों संग नृत्य नाटिका में सूफी दर्शन को दिखाया गया। नाटक के पांच हिस्सों में पूरे सूफी सफर को दिखाया गया। नृत्य के पहले हिस्से में सूफी दर्शन के प्रेरणास्त्रोत इस्लाम के प्रवर्तक पैगंबर हजरत मोहम्मद के बारे में बताया गया।

कलाकारों ने दिखाया जौहर

नाटक के दूसरे दृश्य में मोहम्मद साहब के बाद अरब, ईरान और इराक में धार्मिक कट्टरता के बीच सूफी दर्शन का इतिहास दिखाया गया। जिसमें सूफी मंसूर अल हल्लाज के जीवन के प्रसंगों को दिखाया गया। तो वहीं भारत में खुसरो, बीबी रास्ती समेत अन्य सूफी संतों के आगमन और देश में सूफी प्रसार को दिखाया गया। इसके बाद खुसरों के जीवन से जुड़ा नाट्य प्रसंग दिखाया गया। नाटिका में संगीत साहित्य दर्शन अध्यात्म में उनके योगदान का जिक्र किया गया। संतों ने धार्मिक नियमों का पालन कर इंसानियत का पैगाम दिया। जिनका मकसद सूफी परंपरा में खुद को फना कर लेना है। नृत्य नाटिका में मनीषा मेहरा, मोहम्मद सिद्दीकी, आशीष द्विवेदी, गौरव, राहुल समेत 28 कलाकारों ने शानदार अभिनय किया।