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RANCHI: 28 अगस्त को सदर इलाके से सीडब्ल्यूसी ने जिन दो बच्चों को रेस्क्यू किया था, उन्हें पुलिस को सूचना दिए बिना ही रेस्क्यू कर लिया गया था। जब बच्चे सदर थाने में प्रस्तुत किए गए तो वहां मौजूद पुलिस अधिकारी ने रेस्क्यू करने से पूर्व पुलिस को इंर्फामेशन देने की बात कही थी। ऐसा नहीं करने पर उन्हें वहां से वापस जाने के लिए कहा था।

क्या कहती है सीडब्ल्यूसी
इस संबंध में सीडब्ल्यूसी का कहना है कि पीएलवी में कार्यरत स्नेहलता दुबे को सूचना मिली थी कि दो बच्चों की नानी मीरा उपाध्याय उनके साथ मारपीट करती है और उनलोगों को बासी भोजन देती है। मंगलवार को करूणाश्रम की सरिता देवी भी जिला बाल कल्याण समाज पदाधिकारी के पास पहुंची और कहा कि बच्चा उन परिजनों से डरा हुआ है। जबकि उसकी मां रीता देवी का कहना था कि उसके बच्चे उससे क्यों डरेंगे। बच्चे तो उनके पास आने के लिए रो रहे थे। इस मामले में परिजनों की ओर से सीडब्ल्यूसी से बच्चे लौटाने की मांग की गई है। कहा गया कि उन्हें बच्चा सौंप दिया जाएगा। इस मामले में बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष आरती कुजूर, जिला बाल कल्याण पदाधिकारी ने पुन: जांच करने का आश्वासन दिया है। इसके बाद ही उनके बच्चे सौंप दिए जाएंगे।

बच्चे की मां, नानी को बनाया खलनायिका
रेस्क्यू किए गए बच्चे की मां रीता कुमारी व नानी मीरा उपाध्याय को खलनायिका बता दिया गया। कहा गया कि बच्चों ने बयान दिया है कि उसे अक्सर पीटा जाता है। यह भी कहा गया था कि उसकी मां बोलती है कि वह बहुत झेलती है। ऐसे में अब वह परिवार कभी उपायुक्त आवास, कभी बाल संरक्षण आयोग तो कभी सीडब्ल्यूसी का चक्कर लगा रहा है।

किसने की कंप्लेन, नहीं बता रही सीडब्ल्यूसी
बच्चों के रेस्क्यू मामले में किसने कंप्लेन की है। इस संबंध में जब परिजन ने जानकारी चाही तो उसे जानकारी देने से मना कर दिया गया। रीता कुमारी ने बच्चे को पाने के लिए बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष आरती कुजूर के ऑफिस में आवेदन दिया है। कहा गया है कि मैं रीता कुमारी, पति सुनील कुमार सदर थाना क्षेत्र की रहनेवाली हूं। मैं 28 अगस्त को अपनी मां के साथ बाजार गई थी, उसी क्रम में बाल कल्याण समिति के लोग मेरे घर आये और घर दोनों बच्चियों को उठा कर ले गए। जब घर पहुंची तो कहा गया कि बच्चे को बाल कल्याण समिति ले गई है। जब मैं बाल कल्याण समिति पहुंची और बच्चे को ले जाने लगी तो अधिकारियों ने उन्हें आफिस से निकाल दिया। महिला ने बताया कि दोनों बच्चियां उसकी हैं, जिसका जन्म प्रमाण पत्र उसके पास है।

कई बार ऐसा होता है कि लोग पुलिस को बच्चा रेस्क्यू करने से पूर्व सूचना देते हैं। इसके बाद पुलिस उस रेस्क्यू टीम के साथ हो लेती है। पर, इस मामले में सीडब्ल्यूसी या श्रम विभाग द्वारा कोई आवेदन नहीं दिया गया था। रेस्क्यू करने के बाद भी सूचना नहीं दी गई थी। जब महिला थाने पहुंची तो पता चला। उसने कहा कि सीडब्ल्यूसी ने उन बच्चों को रेस्क्यू किया है।
-दयानंद कुमार, इंस्पेक्टर, सदर थाना