-साइबर सेल में पहुंचीं सैकड़ों शिकायतें पड़ी हैं पेंडिंग

-महीने में सिर्फ दो से तीन शिकायतों का ही किया जा रहा है निस्तारण

-डिजिटल युग में ऑनलाइन फ्रॉडगिरी की शिकायतें सबसे अधिक

VARANASI

Case-1

सुंदरपुर निवासी सुरेंद्र सिंह प्राइवेट कंपनी में जॉब करते हैं। एक माह पूर्व उनके एकाउंट से 47 हजार रुपये की ऑनलाइन शॉपिंग हो गई। बैंक पहुंचने पर घटना की जानकारी हुई। आनन-फानन में उन्होंने लंका थाने में शिकायत दर्ज कराई थी, मामले साइबर सेल में गया तो आज तक पेंडिंग ही पड़ा हुआ है।

Case-2

सिगरा के एसपी शर्मा कुछ दिनों पहले एक वेबसाइट से ऑनलाइन मोबाइल बुक कराए। मगर जब फ्लैट पर डिलीवरी आई तो पैकेट से मोबाइल का डेमो सेट निकला। भुक्तभोगी ने साइबर सेल में शिकायत दर्ज कराई है.इस मामले का भी आज तक निस्तारण नहीं हुआ।

Case-3

चोलापुर के राजेंद्र सिंह का एटीएम कार्ड बदलकर 49 हजार रुपये उड़ा दिया गया। घटना के तीन माह बीते गए लेकिन साइबर सेल में आने के बाद इस मामले में भी अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। अब तो उस अर्जी की फाइल पर दूसरी फाइल भी चढ़ गई है।

ये तीनों केसेज तो महज एक बानगी भर हैं, डिजिटल के दौर में सुविधाएं जहां बेशुमार मिल रही हैं तो वहीं इसका दुरुपयोग भी तेजी से हो रहा है। हैकर मोबाइल पर बैंक अधिकारी बन पब्लिक का एटीएम पासवर्ड पूछकर खाता साफ कर दे रहे हैं तो किसी के एटीएम का क्लोन बनाकर ऑनलाइन शॉपिंग कर ली जा रही है। यही नहीं, एटीएम बूथ में एटीएम कार्ड बदल कर रकम उड़ाने वाले जालसाज भी एक्टिव हैं। ऐसी शिकायतें रोजाना थाना, चौकियों पर पहुंच रही हैं। मामले को एक नजर देखने के तुरंत बाद उसे साइबर सेल के हवाले कर दिया जा रहा है। साइबर सेल में ऐसी हजारों शिकायतें पहुंची हैं लेकिन निस्तारण के नाम पर जीरो रिस्पांस है।

बंगलुरू में आरोपी, कैसे पहुंचे भाई

साइबर सेल में कुछ केस ट्रेस भी हो जाते हैं तब पर भी साइबर सेल के ऑफिसर आरोपी को पकड़ पाने में असमर्थ ही साबित होते हैं। कारण कि जैसे आरोपी का पता लगा कि वह बंगलुरू में है। पीडि़त से कहा जाता है कि टिकट और होटल में रहने का व्यवस्था बनाइए तो चलकर आरोपी को दबोच लिया जाए। अब जिसका 40 हजार गया है वह फिर से दस से बीस हजार रुपये गलाने को तैयार नहीं होता है। यही वजह है कि अन्य बाकी पीडि़त भी तैयार नहीं होते हैं। साइबर सेल की भी मजबूरी है कि उसे बाहर जाने के लिए बजट की व्यवस्था नगण्य ही है।

अधिकतर केस यूपी से होते है बाहर

साइबर सेल में दर्ज मामले जरूर बनारस के हैं लेकिन अधिकतर केस के आरोपी मुंबई, पुणे, बंगलुरू, भुवनेश्वर, नई दिल्ली में बैठकर साइबर क्राइम कर रहे हैं। यही कारण है कि साइबर सेल के अधिकारी व कर्मचारी चाहते हुए भी मामले का पटाक्षेप नहीं कर पा रहे हैं। कुछ बड़े मामलों में जब दबाव पड़ता है तो बाहर जाकर घटना का खुलासा करते हैं।

साइबर क्राइम पर नाराज है एसएसपी

साइबर अपराध रोकने और उसके विवेचना में की जा रही हीलाहवाली से एसएसपी आनंद कुलकर्णी ने खासी नाराजगी जताई है। उन्होंने सभी जिम्मेदार अफसरों को ताकीद की है कि साइबर सेल शिकायतों के निस्तारण पर पूरा ध्यान केंद्रित करे। कोशिश हो कि अधिक से अधिक मामलों का खुलासा हो।

साइबर सेल में आने वाले मामले

-एटीएम कार्ड बदलकर रकम निकाल लेना

-एकाउंट से फर्जी तरीके से ऑनलाइन शॉपिंग

-फोन पर पासवर्ड पूछकर रकम उड़ा देना

-ऑनलाइन शॉपिंग के तहत वेबसाइट से धोखा

-फेसबुक पर फोटोशॉप से अश्लील फोटो-वीडियो शेयर करना

-व्हाट्सएप कालिंग के थ्रू ब्लैक मेलिंग

-मोबाइल चोरी की घटनाएं आम हैं

एक नजर

40 से 45

शिकायतें आती हैं हर मंथ सेल में

03 से 05

शिकायतों का होता है महीनों में निस्तारण

1200

सौ से अधिक शिकायतें पड़े हैं लंबित