रांची : बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव को सबसे अधिक सजा सुनाए सुनाने वाले सीबीआइ के तत्कालीन विशेष जज शिवपाल सिंह के उत्तर प्रदेश के जालौन जिले के गांव मजरे शेखपुर खुर्द स्थित पैतृक घर में बुधवार की रात डकैती हो गई। वे वर्तमान में गोड्डा में जिला व अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश के पद पर पदस्थापित हैं। जज शिवपाल सिंह उत्तर प्रदेश के जालौन जिले के शेखपुर खुर्द गांव के रहने वाले हैं। वहीं के घर में डकैती हुई। सूत्रों के अनुसार बुधवार की रात करीब 12 से तीन बजे के बीच आधा दर्जन से अधिक डकैत उनके घर में घुस गए। उस समय उनके भाई सुरेंद्र पाल सिंह छत पर सो रहे थे। डकैतों ने नीचे से छत वाले रास्ते का दरवाजा को बंद कर दिया। घर में जस्टिस शिवपाल सिंह की दीदी, भाभी और एक नौकर भी था। जिस घर में ये लोग सोए थे। उस कमरे को बाहर से बंद कर दिया तथा कमरे की चौखट को उखाड़ते हुए अंदर घुस गए। कपड़े से भरे बक्से डकैत अपने साथ ले गए। उसमें जेवरात सहित करीब 50 हजार रुपये नगद थे, जेवरात में सोने की चेन, अंगूठी आदि शामिल थी। इसके अलावा जमीन से संबंधित कागजात भी डकैत साथ ले गए।

फरवरी में हटी थी सुरक्षा

गौरतलब है कि दिसंबर 2017 और जनवरी 2018 तक उनके घर पर पुलिस सुरक्षा मौजूद थी। उसके बाद सुरक्षा हटा ली गई थी। उनके घर वालों का शक गांव के ही लोगों पर है। घटना की सूचना पाकर जालौन के एसपी अमरेंद्र प्रताप सिंह और डीएम मन्नान अख्तर घटनास्थल पर पहुंचे हैं। पुलिस मामले की छानबीन में जुटी है। डकैतों के दो मोबाइल भी घटनास्थल पर ही छूट गए हैं जो पुलिस के हाथ लगे हैं। पुलिस ने उन्हें जब्त कर लिया है और उनकी जांच कर रही है।

मांगी थी सुरक्षा

गौरतलब है कि शिवपाल सिंह पूर्व में भी अपने घर की सुरक्षा की मांग कर चुके हैं, लेकिन कुछ दिनों तक सुरक्षा देने के बाद सुरक्षाकर्मियों को उनके घर से हटा लिया गया था। इतना ही नहीं उन्होंने आ‌र्म्स के लाइसेंस के लिए रांची के आ‌र्म्स मजिस्ट्रेट के यहां भी मांग की है। लेकिन अब तक उन्हें लाइसेंस उपलब्ध नहीं कराया गया है। जमीन को लेकर जस्टिस शिवपाल सिंह के परिवारजनों की लड़ाई भी गांव के ही दूसरे समुदाय के लोगों के साथ चल रही है।

जस्टिस शिवपाल सिंह ने लालू प्रसाद यादव को चारा घोटाले के मामलों में सजा सुनाई है। इसमें दुमका कोषागार से अवैध निकासी के मामले में उन्होंने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव को सर्वाधिक सात-सात साल की सजा यानि चौदह साल की सजा सुनाई है।