RANCHI: रांची शहर धीरे-धीरे ड्राई जोन में तब्दील होता जा रहा है। गर्मी आते ही कई इलाके सूख जाते हैं और इसके विकल्प के रूप में लोग सरकारी जलापूर्ति पर निर्भर हो जाते हैं। यह समस्या प्रकृति के द्वारा खड़ी नहीं की गई है, बल्कि आम लोगों के अतिरिक्त दोहन के कारण ही यह संकट खड़ा हुआ है। इसमें 'वाटर माफिया' का भी बहुत बड़ा हाथ है। इसे रोकने और जनजागरुकता फैलाने के लिए अब एक आंदोलन की जरूरत है। यह विचार 'दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट' से आयोजित परिचर्चा में उभर कर सामने आए। सिटी में 'पानी की उपलब्धता और इसकी अंधाधुंध चोरी' के मुद्दे पर आयोजित इस परिचर्चा में सिविल सोसायटी से जुड़े लोग, स्टूडेंट्स और पानी तथा पर्यावरण संरक्षण पर काम कर रहे लोगों ने हिस्सा लिया। सभी ने इस बात पर बल दिया कि अब पब्लिक को अवेयर होना ही होगा।

ईमानदार शासन जरूरी

परिचर्चा में भाग ले रहे लोग इस बात पर एकमत थे कि पानी के मसले पर शासन को गंभीर होना होगा। सरकारी एजेंसियों को समझना होगा कि उन्हें कड़े फैसले लेने ही होंगे, तभी पानी संरक्षित होगा। केवल खानापूर्ति से काम चलने वाला नहीं है। परिचर्चा की शुरुआत करते हुए यूथ पावर ऑफ इंडिया के अध्यक्ष मनोज कुमार ने कहा कि जलस्तर में गिरावट के कारण रांची के कई इलाकों का पानी जहरीला हो चुका है। यही पानी पीने के कारण लोगों में तरह-तरह की बीमारियां फैल रही हैं। सरकारी जमीन पर जो तालाब थे, उन्हें कमीशन के चक्कर में सुखा कर बड़ी-बड़ी इमारतें बना दी गई हैं। इसके खिलाफ जनता को एकजुट होना चाहिए और एक आंदोलन छेड़ना चाहिए।

बदलनी होगी मानसिकता

इस मौके पर पर्यावरण दोस्त संस्था के सचिव जयवंत कुमार ने कहा कि रांची नगर निगम को अपनी कार्यशैली बदलनी होगी। साथ ही आम लोगों को अपनी मानसिकता भी बदलनी होगी, तभी इस समस्या का कोई ठोस समाधान निकल सकता है। रांची यूनिवर्सिटी स्टूडेंट्स यूनियन के डिप्टी सेक्रेट्री अंकित रंजन ने कहा कि बोरिंग पर पाबंदी लगनी चाहिए। धरती का सीना चाक कर हम अपनी बर्बादी के दिन और करीब ला रहे हैं। इस पर आम लोगों को भी संवेदनशील होकर सोचना होगा।

क्या-क्या आए सुझाव

1. पानी के दोहन से ज्यादा पानी के संरक्षण पर ध्यान देना चाहिए।

2. राजस्थान की तर्ज पर अपने-अपने घरों पर रेनी फिल्टर लगाना चाहिए।

3. बारिश के पानी को बोरिंग तक पहुंचाने के उपाय किए जाने चाहिए।

4. सिटी में हर तरह के पेड़ों की कटाई पर तत्काल प्रभावी रोक लगनी चाहिए।

5. पानी से जुड़े हर तरह के कारोबार पर अगले पांच साल तक के लिए रोक लगा देना चाहिए।