-डीडीयू के पास पहुंची सेल्फ फाइनेंस कॉलेज में टीचर्स अनुमोदन में खेल की शिकायत
-नए सेशन में जांच के लिए यूनिवर्सिटी ने बनाई एक्शन प्लानिंग कमेटी
GORAKHPUR: यूजीसी की गाइडलाइन को दरकिनार कर संचालित हो रहे कॉलेजों पर पंडित दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय की सख्ती बढ़ती जा रही है. मानकों को तोड़कर टीचर्स नियुक्ति से लेकर क्लास रूम तक बने हैं. इसकी शिकायत लगातार यूनिवर्सिटी के पास आ रही है. इनको देखते हुए जांच के लिए यूनिवर्सिटी ने एक्शन प्लानिंग कमेटी बनाने का निर्णय लिया है. कमेटी नए सेशन में कॉलेज की जांच करेगी, फिर कार्रवाई करेगी.
कॉलेज का होगा निरीक्षण
सेल्फ फाइनेंस कॉलेज में पढ़ाने वाले टीचर्स के अनुमोदन की जांच की जाएगी. इसके लिए संबद्धता विभाग से सूची ली जाएगी. कॉलेज वाइज सूची प्राप्त होने के बाद टीम का सेलेक्शन किया जाएगा. उसके बाद इन कालेजों में रोटेशन वाइज टीम जाकर इंस्पेक्शन करेगी. इंस्पेक्शन के दौरान कमियां पाए जाने पर उनके विरुद्ध मौके पर ही रिपोर्ट तैयार की जाएगी. रिपोर्ट के बाद यूनिवर्सिटी प्रशासन की तरफ से पहले उन्हें स्पष्टीकरण का मौका दिया जाएगा. उसके बाद संबद्धता भी खत्म की जा सकती है.
तीन दर्जन कॉलेज पर लटक चुकी है तलवार
डीडीयूजीयू से संबद्ध सेल्फ फाइनेंस के करीब 300 कॉलेज हैं. लेकिन इन कालेजों में पढ़ने वाले स्टूडेंट्स का भविष्य राम भरोसे है. इन कॉलेज में बिना क्वालिफिकेशन के टीचर्स रखे गए हैं. ये न पीएचडी हैं और न ही नेट या जेआरएफ क्वालिफाइड. पांच से 15 हजार रुपए प्रतिमाह पर पढ़ाते हैं. जबकि, यूजीसी की गाइडलाइन के मुताबिक, प्रत्येक कालेज में क्वालिटी बेस्ड एजुकेशन देने के लिए वेल क्वालिफाइड टीचर्स की नियुक्ति करनी है. ऐसे ही शिकायत पर 2016-17 में तत्कालीन कुलपति प्रो. अशोक कुमार ने इस तरह के टीचर्स के खिलाफ विषय वार सूची तैयार कर कॉलेज के बीच हड़कंप मचा दिया था. करीब तीन दर्जन से ऊपर कॉलेज पकड़े गए थे, जिन्हें नोटिस भी जारी किया गया था.
फैक्ट फीगर
- यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाले स्टूडेंट्स की संख्या -20,000
- यूनिवर्सिटी से संबद्ध ऐडेड कॉलेज - 21
- यूनिवर्सिटी से संबद्ध सेल्फ फाइनेंस कॉलेज की संख्या - 300
- कॉलेज में पढ़ने वाले स्टूडेंट्स की संख्या - 2,65,000
इन पहलुओं पर होगा इंस्पेक्शन
-कॉलेज के क्लास रूम
- स्टाफ रूम
- कॉमन रूम
- टीचिंग और नॉन टीचिंग स्टाफ की संख्या
- अटेडेंस रजिस्टर
- सेलेरी बाउचर
- कांफ्रेंस हाल
- डेस्क बेंच
- पीने के पानी
- स्वच्छता
वर्जन
शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए यूनिवर्सिटी प्रयासरत है. जुलाई में कॉलेज में अगर इस तरह की विसगंती पाई जाती है तो उस पर त्वरित कार्रवाई की जाएगी.
प्रो. अजय कुमार शुक्ला, पीआरओ, डीडीयूजीयू