- डीडीयूजीयू छात्रसंघ चुनाव से मुद्दे गायब, धनबल से चुनाव जीतने के मंत्र पर प्रत्याशी

GORAKHPUR: गोरखपुर यूनिवर्सिटी में छात्रसंघ चुनाव प्रचार की सरगर्मियां शबाब पर हैं, कैंपस नारों से गूंज रहा है, पसीने से लथपथ छात्रनेता व समर्थक हर क्लास तक पहुंचने की जद्दोजहद में दौड़-भाग कर रहे हैं। लेकिन उनकी इस मेहनत में कैंपस के मुद्दों पर जोर कहीं नहीं दिख रहा है। समर्थकों संग यह छात्रनेता इतनी मेहनत क्यों कर रहे हैं, चुनाव जीतकर यह कैंपस में कौन से बदलाव लाने वाले हैं, यह चुनाव क्यों लड़ रहे हैं और आखिर इनके चुनावी मुद्दे क्या हैं? दैनिक जागरण आई नेक्स्ट रिपोर्टर ने इन्हीं सवालों के जवाब पूछे तो अध्यक्ष पद के प्रत्याशी कुछ बगले झांकने लगे तो कुछ दिमाग पर बहुत जोर डालने के बाद दो-चार मुद्दे बता सके। कैंपस के अंदर का नजारा साफ बता रहा है बुनियादी मुद्दों से अधिक धन, बल और भीड़ की राजनीति हावी हो रही है।

सबसे बड़ी समस्या पानी और बिजली

छात्रसंघ चुनाव के अध्यक्ष प्रत्याशियों से मुद्दे पूछने पर ज्यादातर ने सड़क, पानी व बिजली की समस्या को ही मुख्य समस्या बताया। यह वही मुद्दे हैं जो विधानसभा व लोकसभा के चुनावों में हर नेता की जुबान पर छाए रहते हैं। जाहिर है यह वही छात्रनेता हैं जो बरसाती मेंढक की तरह चुनाव में टपक पड़े हैं या कैंपस में रहते हुए भी छात्रों की समस्याओं से इन्होंने सुरक्षित दूरी बना रखी है। इन छात्रनेताओं के लिए तो मानो हजारों छात्रों को शिक्षित करने के लिए बनी यूनिवर्सिटी और किसी विधानसभा एरिया में कोई अंतर ही नहीं है।

लाइब्रेरी की है सबको चिंता

गोरखपुर यूनिवर्सिटी के लाइब्रेरी की दुर्दशा से सब वाकिफ हैं, शायद यही कारण है जिसकी वजह से छात्रनेता इसे आधुनिक बनाने पर काफी जोर दे रहे हैं। कुछ प्रत्याशियों ने बताया कि परीक्षा से पहले ही बच्चों से किताबें जमा करवा ली जाती हैं। इस समय उनकी ज्यादा जरूरत होती है, तो यहां किताबों के अभाव को दूर करना चाह रहे हैं, जबकि कुछ ई-लाइब्रेरी बनाना और यहां सब्जेक्ट से इतर किताबें रखने की बात कह रहे हैं। यानि सड़क, बिजली और पानी की समस्या के बाद अध्यक्ष पद के प्रत्याशियों के लिए पुस्तकालय की बदहाली दूसरी बड़ी समस्या है।

प्रचार का शोर, हवा में लिंगदोह

लिंगदोह कमेटी की सिफारिशों के आधार पर भले ही चुनाव कराने की बात गोरखपुर यूनिवर्सिटी प्रशासन कर रहा हो, लेकिन कैंपस में होता शोरगुल व पर्चो से पटा कैंपस यह बता रहा है कि लिंगदोह कमेटी की सिफारिशें कागजों तक ही सिमट गई हैं। छात्रनेताओं की गाडि़यों के काफिले के साथ अराजकतत्व भी बड़ी संख्या में कैंपस में प्रवेश कर रहे हैं। चुनाव प्रचार के बढ़ते शोर-शराबे के बीच कैंपस से स्टूडेंट्स के मुद्दे एक बार फिर लापता हो रहे हैं।

कोट्स

यूनिवर्सिटी छात्रसंघ अध्यक्ष कभी कोई छात्रा नहीं हुई है। इस बार यह कमी पूरी हो जाएगी। हॉस्टल में पानी की समस्या को दूर करने के साथ ही बाहरी तत्वों के कैंपस में प्रवेश पर रोक व छात्राओं की सुरक्षा मेरी प्राथमिकता है।

- अन्नू प्रसाद, अध्यक्ष प्रत्याशी

यूनिवर्सिटी कैंपस में छात्राओं के लिए अलग कैंटीन, ई-लाइब्रेरी बनानी है। साथ ही नियमित क्लासेज के इंतजाम किए जाएंगे।

- रंजीत सिंह श्रीनेत, अध्यक्ष प्रत्याशी

छात्रों के मुद्दों पर हमेशा से संघर्ष करता रहा हूं। बिजली, पानी, शौचालय जैसी सुविधाओं के अलावा लाइब्रेरी को हाईटेक बनाना और हॉस्टल में एम्बुलेंस की सुविधा उपलब्ध कराना प्राथमिकता है।

- अनिल दूबे, अध्यक्ष प्रत्याशी

कैंपस स्टूडेंट्स के लिए स्पेशल क्लासेज चलवाने का इंतजाम करना। प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए मुफ्त कोचिंग का इंतजाम करना। साथ ही पीएचडी में प्रवेश के लिए एक समान व्यवस्था लागू करना मेरी प्राथमिकताएं हैं।

- भास्कर चौधरी, अध्यक्ष पद प्रत्याशी

छात्राओं के लिए अलग शौचालय का निर्माण करवाना, कैंपस में सुरक्षा व्यवस्था को पुख्ता करना और नियमित क्लासेज के मुद्दों के साथ मैं छात्रों के बीच जा रहा हूं। पिछले पांच साल से कैंपस में छात्रहित में संघर्ष कर रहा हूं।

- प्रिंस सिंह, अध्यक्ष प्रत्याशी