RANCHI : नामकोम के राजाउलातु स्थित मां कलावती होमियोपैथिक मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल के स्टूडेंट्स को प्रैक्टिकल के लिए डेड बॉडी नहीं मिल रहे हैं। दरअसल, हॉस्पिटल मैनेजमेंट पिछले आठ महीनों से लावारिस शव उपलब्ध कराने की मांग स्वास्थ्य विभाग से कर रहा है, ताकि मेडिकल स्टूडेंट्स को प्रैक्टिकल में किसी तरह की दिक्कतें नहीं हो। इस बाबत पांच बार पत्राचार किया जा चुका है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग के कान में जूं नहीं रेंग रही है। नतीजातन, यहां डेड बॉडी का मॉडल दिखाकर स्टूडेंट्स को पढ़ाया जा रहा है।

उपलब्ध करा दिए हैं सारे दस्तावेज

मां कलावती होमियोपैथिक मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल प्रबंधन की ओर से बीते वर्ष के अक्टूबर माह में डेड बॉडी उपलब्ध कराने के लिए पहला आवेदन दिया था उसके बाद विभाग की ओर से दस्तावेज संबंधी कॉलेज की मान्यता से संबंधित सवाल पूछे गए थे, जिसे कॉलेज प्रबंधन ने विभाग को समय रहते उपलब्ध करा दिया था। इसके बाद भी कॉलेज प्रबंधन की ओर से विभाग को पांच बार रिमाइंडर लेटर भेजा जा चुका है, लेकिन विभाग ने अभी तक इस मामले में रिम्स प्रशासन को कार्रवाई के निर्देश जारी नहीं किए हैं।

विभाग ने साध रखी है चुप्पी

कॉलेज को दी गई मान्यता के दस्तोवज बताते हैं कि एनाटॉमी एक्ट के तहत नामांकित स्टूडेंट का पठन-पाठन एवं प्रशिक्षण हेतु सक्षम पदाधिकारी से अनुमति प्राप्त कर कैडावर एंड मम्मीफाईड बॉडी एनाटॉमी डिपार्टमेंट में उपलब्ध कराना आवश्यक है। जबकि इसके पूर्व ही कॉलेज प्रबंधन की ओर से एनाटॉमी एक्ट के तहत डेड बॉडी उपलब्ध कराने के लिए अनुरोध किया जा चुका था। परन्तु अब तक विभागीय स्तर पर किसी भी प्रकार का निर्देश जारी नहीं किया गया है।

पिछले साल मिली है मान्यता

नामकोम स्थित मां कलावती होमियोपैथिक मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल का केंद्रीय आयुष मंत्रालय ने पिछले साल 15 नवंबर को सत्र 2017-18 के प्रथम बैच के लिए बीएचएमएस कोर्स में 100 स्टूडेंट के नामांकन की अनुमति दी। इसमें शर्त रखा गया कि कॉलेज सीसीएच एमएसआर 2013 में निहित प्रावधानों के तहत 31 दिसंबर 2017 तक आवश्यक जरूरतों को पूरा कर लिया जाएगा।

कॉलेज की मान्यता पर खतरा

मां कलावती होमियोपैथिक मेडिकल कॉलेज की ओर से रिमांडर लेटर में इस बात का जिक्र किया गया है कि कॉलेज में 2018-19 में एडमिशन के लिए इसी माह में केन्द्रीय होमियोपैथिक परिषद नई दिल्ली के द्वारा निरीक्षण किया जाना है। अगर विभाग की ओर से एनाटॉमी एक्ट के तहत लावारिश डेड बॉडी नहीं उपलब्ध होती है तो ऐसे में कॉलेज की मान्यता प्रभावित हो सकती है। कॉलेज प्रबंधन ने स्वास्थ्य विभाग को लिखे पत्र में अनुरोध किया है कि रिम्स को लावारिश डेड बॉडी उपलब्ध कराने के निर्देश दिये जाएं।