- मेयर के सामने फूटफूट कर रोई, प्रभारी को मिली कड़ी फटकार

- मेयर ने प्रभारी के खिलाफ कठोर कार्रवाई को शासन को लिखा पत्र

बरेली : सरकारी अफसर लोगों के प्रति कितने जिम्मेदार और उनकी कितनी परवाह करते हैं, यह जानना है तो इस खबर को पढ़ लीजिए. एक बेटी पिता का डेथ सर्टिफिकेट बनवाने के लिए पिछले 18 साल से नगर निगम के चक्कर काट रही है, लेकिन शहर की सरकार के स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. एमपीएस राठौर के कानों पर जूं तक नहीं रेंगी. हर बार कोई न कोई बहाना बनाकर उसे बैरेंग ही लौटा देते थे. जब सब्र का बांध टूटा तो पीडि़त ने फ्राइडे को बिलखते हुए मेयर से शिकायत की. इसके बाद उसे मदद का भरोसा मिला. साथ ही मेयर ने आरोपी अफसर के खिलाफ निलंबन की कार्रवाई को शासन को पत्र भी लिख दिया.

क्या है पूरा मामला

शहर के पीलीभीत बाईपास रोड स्थित खुशबू एन्क्लेव निवासी इम्तियाज अहमद खां की मृत्यु 12 मार्च 2001 को हो गई थी. इम्तियाज की बेटी नजमा को प्रॉपर्टी संबंधी कार्य के लिए पिता के डेथ सर्टिफिकेट की जरूरत पड़ी तो उसने नगर निगम में आवेदन किया. कुछ दिनों के बाद उसे मोहल्ले के तीन लोगों की गवाही के साथ एक शपथ पत्र मांगा गया. मोहल्ले के पार्षद समेत तीन लोगों की गवाही के साथ उसने स्वास्थ्य विभाग में शपथ पत्र भी दाखिल कर दिया. इसके बावजूद स्वास्थ्य अधिकारी सर्टिफिकेट बनाने में टालमटोल करने लगे. हर बार नजमा अफसर के पास जाती और वह उसे टरकाते रहे. नगर निगम के चक्कर काटते-काटते चप्पले घिस गई, लेकिन सर्टिफिकेट नहीं बना.

इसलिए की देरी

नजमा ने जब सर्टिफिकेट बनाने के लिए आवेदन किया था, तब खुशबू एन्क्लेव निवासी शाकिर ने निगम में मामले का फर्जी बताते हुए शिकायती पत्र दिया था. इसके बाद तत्कालीन नगर आयुक्त ने मामले की जांच करने के आदेश डॉ. राठौर को दिए थे. आरोप है कि जांच के दौरान डॉ. राठौर ने कब्रिस्तान कीदेखरेख करने वाले गार्ड पर भी मामला फर्जी बताने का दबाव बनाया था.

ऐसे खुली पोल

मामले की पोल तब खुली जब नजमा ने मेयर के सामने गार्ड का स्टेटमेंट लिखा हुआ शपथ पत्र पेश किया, जिसमें उसने कहा था कि मामले को फर्जी बताने के लिए उस पर डॉ. राठौर ने दबाव बनाया था. इसके बाद मेयर ने फौरन स्वास्थ्य अधिकारी को बुलाकर कड़ी फटकार लगाते हुए कहा, 'आप लोगों की वजह से नगर निगम की छवि धूमिल होती है.'

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वर्जन

आवेदन के बाद से ही प्रमाणपत्र बनवाने का कार्य प्रोसेस में था. हालांकि बीच में शाकिर नाम के व्यक्ति ने आवेदन को फर्जी बताया था, जिसकी जांच में काफी देरी हुई. इस कारण प्रमाणपत्र नहीं बना सका.

डॉ. एमपीएस राठौर

स्वास्थ्य अधिकारी, नगर निगम

मामले में स्वास्थ्य अधिकारी की भूमिका संदिग्ध है. यह शर्मनाक है कि पिता का डेथ सर्टिफिकेट बनवाने के लिए एक बेटी को इतना लंबा इंतजार करना पड़ा. उनकेखिलाफ कठोर कार्रवाई के लिए शासन को पत्र लिखा गया है.

डॉ. उमेश गौतम, मेयर.