-परिषदीय स्कूल में हुआ हादसा, स्कूल से सटे जर्जर मकान की दीवार ढही

-मलबे में दबे एक मासूम की मौके पर हुई मौत, दूसरा गंभीर हालत में एडमिट

KANPUR :

शिवली में शुक्रवार को भूकंप से एक परिवार का चिराग बुझ गया, जबकि उसका साथी जिन्दगी के लिए संघर्ष कर रहा है। दोनों परिषदीय स्कूल में पढ़ने गए थे। जहां पर भूकंप से झटके से स्कूल से सटे जर्जर मकान की दीवार ढह गई। जिसमें दोनों मासूम दब गए। आनन फानन में ग्रामीण और टीचर्स ने मलबे को हटाकर दोनों को निकाला, लेकिन एक की मौत हो चुकी थी। ग्रामीणों ने दूसरे को हस्पिटल में एडमिट कराया। इधर, मासूम की मौत का पता चलते ही उसके घर पर मातम छा गया।

शिवली के रास्तपुर गांव में रहने वाले अगनू सैनी किसान है। उनका बेटा अमन (क्0) परिषदीय स्कूल में पढ़ता था। वो शुक्रवार को श्रीचंद्र कश्यप के बेटे पूती के साथ स्कूल में खेल रहा था। भूकंप के झटके आने पर टीचर खुद तो जान बचाने के लिए स्कूल के बाहर चले गए, लेकिन बच्चे स्कूल मैदान पर खेलते रहे। जिसमें अमन और पूती भी थे। वे मैदान के उस हिस्से पर खेल रहे थे। जिससे एक जर्जर मकान सटा था। भूकंप का झटका आने पर जर्जर मकान की दीवार ढह गई और मलबे में दोनों दब गए। जिसे देख दूसरे बच्चे शोर मचाने लगे, तो टीचर और ग्रामीण भागकर मौके पर पहुंच गए। आनन फानन में टीचर्स ने ग्रामीणों की मदद से मलबे को हटाकर दोनों को बाहर निकाला, लेकिन अमन दम तोड़ चुका था। ग्रामीणों ने पूती को सीएचसी में एडमिट कराया। जहां से उसको हैलट के लिए रिफर कर दिया गया। डॉक्टर्स का कहना है कि उसकी हालत बेहद नाजुक है। अभी कुछ कहा नहीं जा सकता। सूचना पर पुलिस और प्रशानिक अधिकारी मौके पर पहुंच गए। उन्होंने मृतक के परिजनों को ढांढ़स बंधाते हुए भ् लाख के मुआवजा की चेक दी।

टीचर्स की हीलाहवाली सामने आई

परिषदीय विद्यालय में जिस समय यह हादसा हुआ। उस समय न तो लंच था और न ही छुट्टी हुई थी। सवाल है कि जब क्लास का समय था तो बच्चे मैदान में क्या कर रहे थे। भूकंप का झटका महसूस करने के बाद भी टीचर ने बच्चों को दीवार के पास क्यों नहीं हटाया। इससे टीचर्स की लापरवाही की पुष्टि हो रही है। मृतक के परिजनों समेत ग्रामीणों ने भी टीचर्स पर लापरवाही का आरोप लगाया है। हालांकि प्रिंसिपल आबिदा बेगम ने इससे इन्कार किया है। उनका कहना है कि दोनों बच्चे टॉयलेट करने के लिए क्लास से निकले थे। तभी हादसा हो गया। उनके समेत अन्य टीचर्स भूकंप के झटके महसूस करते ही बच्चों को खुले मैदान पर ले गई थी।