-लोगों ने की जमकर खरीदारी

LUCKNOW:

दीपावली की रौनक बाजार में नजर आ रही है। हजरतगंज, अमीनाबाद, भूतनाथ, पत्रकारपुरम, आलमबाग सहित अन्य प्रमुख मार्केट खुशियों की रौनक से गुलजार हैं। मिट्टी के दीपक, मोमबत्ती, सजावट का सामान, इलेक्ट्रानिक झालरों की लोगों ने खूब खरीदारी की। बड़ी दीपावली से पहले बुधवार देर रात तक लोगों ने जमकर खरीदारी की।

कार्तिक कृष्ण अमावस्या को मनाई जाती है दीवाली

ऐसी मान्यता है कि भगवान राम 14 वर्ष के वनवास एवं लंका विजय के बाद अयोध्या लौटे थे। इस अवसर पर लोगों ने घरों में दीपक जलाकर उनका स्वागत किया था। तब से इसे दीपावली के रूप में मनाते हैं। दीपावली के अवसर पर बिजली विभाग ने भी निर्बाध बिजली आपूर्ति सुनिश्चित की है। लोगों ने दिए जलाकर जमकर प्रकाशोत्सव मनाने की तैयारी की है।

दीपावली पूजन शुभ मुहूर्त

ज्योतिषाचार्य एसएस नागपाल ने बताया कि दीपावली अमावस्या तिथि को बुधवार और स्वाति नक्षत्र का संयोग है। लक्ष्मी पूजा प्रदोष, वृषभ लग्न और सिंह लग्न में करना श्रेष्ठ है और काली पूजा अमावस्या मध्य रात्रि में करना श्रेष्ठ है। उन्होंने बताया कि दीपावली पर महालक्ष्मी पूजन शुभ मुहूर्त प्रदोष काल, स्थिर लग्न वृषभ एवं सिंह लग्न श्रेष्ठ होता है।

शुभ मुहूर्त

कुंभ लग्न- दिन में 01.14 बजे से 02.43 बजे (व्यवसायिक स्थल में पूजा)

प्रदोष काल- शाम 05.16 से 06.28 बजे

वृषभ लग्न- शाम 05.47 से 07.43 बजे (घर में पूजा)

सिंह लग्न- रात 12.17 से 02.32 बजे (साधना और सिद्धि के लिए)

महानिशिथ काल- रात 11.23 से 12.14 बजे (काली पूजा के लिए)

बन रहा मंगलकारी संयोग

ज्योतिषियों के अनुसार इस बार दीपावली पर समृद्धि और साम‌र्थ्य प्रदान करने वाला आयुष्मान, सौभाग्य और स्वाति नक्षत्र का मंगलकारी त्रिवेणी संयोग बनने जा रहा है। इस संयोग में मां लक्ष्मी की पूजा अर्चना से धन वर्षा होगी। इसका सकारात्मक असर लंबी अवधि तक रहेगा। पं। जितेंद्र शास्त्री के अनुसार लक्ष्मी पूजा का समय शाम 5.30 से 8.16 बजे तक उत्तम रहेगा। जो लोग इस योग में पूजा न कर सकें वह मध्यम योग में रात 8.16 से 09.19 बजे तक पूजा कर सकते हैं।

महिलाओं को जागरण करना चाहिये

लोगों की मान्यता है कि दीपावली की रात पूजन के बाद सोने से रात्रि विचरण के समय मां लक्ष्मी रुष्ट हो जाती हैं इसीलिये पूजन के बाद घर के मुखिया और घर की महिलाओं को जागरण करना चाहिये। अ‌र्द्धरात्रि के बाद जब मां लक्ष्मी घर-घर विचरण करती हैं तो जिस घर या प्रतिष्ठान में उन्हें स्वच्छता, दीपमाला और सुगंधियां मिलती हैं वे वहीं निवास कर लेती हैं। जागरण-आराधन के बाद अगले दिन तड़के-ब्रह्ममुहूर्त में घर की बुजुर्ग महिलाओं को दरिद्रता भगाने के लिये घर से सूप बजाते हुये निकलना चाहिये।

पूजन विधि

1- चौकी पर लक्ष्मी-गणेश की स्थापना पूर्व या पश्चिम दिशा की ओर मुख कर करें।

2- लक्ष्मी प्रतिमा को गणेश जी के दाहिने और वरुणदेव के प्रतीक कलश को मां लक्ष्मी के पास ही चावलों पर ही स्थापित करें।

3- तेल और गौ घृत के दो दीपक जलायें और उन्हें लक्ष्मी प्रतिमा-कलश के पास स्थापित करें।

4- मां के आह्वान के साथ ही दोनों ही प्रतिमाओं का स्नान करें-आचमन करें। लाल रंग के नववस्त्रों, कमल पुष्प से सुसच्चित करें। पंचगव्य (दुग्ध, दधि, मधु, गंगाजल और शर्करा) का भोग लगायें या मधुपर्क (दूध-दही-मधु) का भोग चांदी के पात्र में लगायें।

5- पूजन केदौरान 'ऊं भूर्भव: स्व: महालक्ष्मयै नम:' के उच्चारण के साथ ही मां लक्ष्मी को वस्तुएं अर्पित करें।

6- षोडशोपचार पूजन और आरती के बाद चूरा, खील, बताशे, लईय्या, गट्टे, सफेद मिष्ठान और मौसमी फल (विशेषकर अनार) चढ़ायें।

7- व्यापारी बंधु पूजन केसमय अपने बही-खातों के साथ सिक्कों की थैली-तिजोरी की चाभियां भी पूजन के स्थान पर रखकर पूजन करें तो उत्तम रहेगा।