केस - 1
बिहटा के 42 वर्षीय राम कुमार शहर के निजी हॉस्पीटल में सितम्बर के फस्र्ट वीक में दिखाने गए। डॉक्टर्स ने उन्हें डेंगू होने की बात बताई। पहले जांच के नाम पर ढाई हजार रुपए लिए। फिर सीरियस डिजीज बताते हुए एडमिट होने की सलाह दी। एडमिट होने पर कहा गया कि प्लेटलेट्स चढ़ाने होंगे। परिजनों को खुद प्लेटलेट्स लाने के बजाय हॉस्पीटल ने खुद ही प्लेटलेस चढ़ाया। दो दिन पहले ही उन्हें डिस्चार्ज किया गया तो 28 हजार रुपए का बिल थमा दिया गया।
केस - 2
दानापुर दियारा के सोहन लाल को तेज बुखार आया। परिजनों ने उन्हें शहर के एक बड़े हॉस्पीटल में दिखाया। डॉक्टर्स ने सीधे उनसे प्रॉपर इलाज के लिए एडमिट कराने को कहा। जांच के बाद डॉक्टर्स ने डेंगू साबित किया। चार दिन में ही उन्हें हॉस्पीटल से डिस्चार्ज कर दिया गया। हॉस्पीटल एडमिनिस्ट्रेशन ने सोहन लाल से प्लेटलेट्स चढ़ाने सहित जांच के नाम पर 40 हजार रुपए वसूल लिए, जबकि सोहन लाल को सिर्फ ब्लड चढ़ाया गया था।
अनाप-शनाप पैसा वसूल रहे हैं
डेंगू के पेशेंट की संख्या बढऩे के साथ-साथ इसका खौफ भी बढ़ रहा है। नर्सिंग होम इस खौफ को कैश करने में जुटा है। रेनाउंड डॉक्टर्स भी इस बात को मानते हैं कि प्राइवेट नर्सिंग होम लोगों से अनाप-शनाप पैसा वसूल रहे हैं। डॉ। दिवाकर तेजस्वी कहते हैं कि तीन तरह का टेस्ट कर डेंगू का पता किया जा सकता है। रैपिड टेस्ट किट से टेस्ट करने पर मात्र 225 रुपए लगते हैं। इसके अलावा एलाइजा व एनएस-1 एंटी जेन टेस्ट किया जा सकता है। ये दोनों टेस्ट भी मार्केट में 1000-1200 रुपए में उपलब्ध हैं, जबकि डॉक्टर्स टेस्ट करने पर लोगों से डेढ़ से चार हजार रुपए वसूल रहे हैं।
क्रिटिकल है बीमारी
पेशेंट व उसके फैमिली मेंबर को डेंगू होने पर डॉक्टर्स उसे सीरियस बताते हैं और नर्सिंग होम में एडमिट कर लेते हैं। फिर चलता है जांच और दवाई का सिलसिला। जब मरीज डिस्चार्ज होता है तो 20-25 हजार रुपए का मिनिमम बिल उन्हें थमा दिया जाता है। फिर चाहे उन्हें प्लेटलेट्स चढ़े या नहीं। हर सीजन में शहर के दो दर्जन से अधिक नर्सिंग होम में ऐसा खेल चलता है। इसमें कई डॉक्टर्स तो इसमें खुद को सीजनल बीमारी का स्पेशलिस्ट भी एनाउंस कर रखे हैं। सिटी के एक रेनाउंड डॉक्टर ने बताया कि वास्तव में इस तरह की कोई डिग्री या स्पेशलाइजेशन नहीं होता है। वे बताते हैं कि ये तो कुछ भी नहीं वे डेंगू के वैक्सीन के नाम पर मरीजों से खूब पैसा ऐंठ रहे हैं। इंजेक्शन के लिए मरीजों से 3 से 4 हजार रुपए वसूले जा रहे हैं, जबकि डेंगू का अबतक कोई वैक्सीन बना ही नहीं है।
दवा में भी होता है खेल
सीजनल डिजीज की दवाइयों में भी बड़ा खेल होता है। डेंगू में पारासिटामोल, इलेक्ट्रोलाइट और आईवी पानी का यूज होता है। जैसे ही कुछ मरीज हॉस्पीटल में एडमिट होते हैं अचानक से इन चीजों का रेट बढ़ जाता है। मेडिसीन के होलसेलर मुकेश हिसारिया बताते हैं हमलोग सस्ती दवाइयां रिटेल को बेचते हैं लेकिन वे ज्यादा पैसे वसूलते हैं। इसके लिए जेनरिक दवा भी आती है। जिसकी कीमत काफी कम होती है। लेकिन प्राइस बराबर टाइप होने के कारण रिटेलर्स पूरी रकम कस्टमर से वसूलते हैं।
For your information
- 90 परसेंट वायरल आसानी से ठीक हो जाता है।
- 5 परसेंट को डेंगू ह्यूमरेजिक फीवर होता है।
- इसमें 1 परसेंट की मौत हो जाती है।
- ऐसे पेशेंट को प्लेटलेट्स चढ़ाया जाता है।
- प्लेटलेट्स को आउट ऑफ रिच बताकर पेशेंट से पैसा ऐंठते।
- एक यूनिट ब्लड देने पर यह आसानी से चार सौ रुपए देने पर ब्लड बैंक से मिल जाता है।
- 25 हजार ब्लड काउंट कम होने पर प्लेटलेट्स चढ़ाया जाता है।
- Aeds मच्छर के काटने से होता है डेंगू।
- साफ और शांत पानी में रहते हैं ये मच्छर।
- सुबह-शाम में ज्यादा काटते हैं ये मच्छर।
- दोपहर में भी काटते हैं ये मच्छर।
- एसी, कूलर, गमला या दूसरे बर्तनों में रखे गए पानी में ये मच्छर पनप सकते हैं।
- डेंगू पेशेंट में बीपी डाउन होना और पल्स का बढऩा डेंजर हो सकता है।
सावधानी
डीडीटी का छिड़काव रेग्यूलर हो।
मच्छरदानी में रहें।
घर में कहीं भी पानी इकट्ठा न होने दें।
- यदि पानी मजबूरी है तो उसमें किरासन तेल डाल दें।
- दुबारा डेंगू होना खतरनाक होता है।
- डेंगू वाले पेशेंट का मच्छरदानी में रहना ज्यादा जरूरी है।
- डेंगू मरीज को मच्छर काट ले तो उसके बाद वह जितने आदमी को काटेगा सभी को डेंगू हो जाएगा।
इन टेस्ट से जाने डेंगू है या नहीं
रैपिड टेस्ट किट
एलाइजा टेस्ट
एनएस-1 एंटी जेन टेस्ट
डेंगू के लक्षण
मसूड़े से ब्लड आना
नाक से ब्लड आना
पैखाना काला होना
हड्डियों में तेज दर्द
तेज बुखार के साथ सिर और आंख के पीछे दर्द होना
मांसपेशियों में तेज दर्द
लाल दाना निकलना
डेंगू के लक्षण दिखे तो न लें ये दवाई
डिस्प्रिन
एस्प्रिन
बुखार उतारने वाली कोई दवा
दिन हो या रात मच्छरदानी में रहें
19 में से 8 को डेंगू पॉजिटिव
गुरुवार को डेंगू के कुल 19 केस सामने आए है। इसमें से आठ को कंफर्म पाया गया है, जबकि 11 केस अब भी सस्पेक्टेड हैं। मिली रिपोर्ट के आधार पर पीएमसीएच से चार, एनएमसीएच से चार, मॉडर्न हॉस्पीटल कंकड़बाग से दस, राजेश्वर हॉस्पीटल से एक केस आया है। गुरुवार को आई रिपोर्ट में से दो पटना का केस पॉजिटिव पाया गया है। इसमें से एक एनएमसीएच और दूसरा मॉडर्न हॉस्पीटल से आया है। पूरे डिस्ट्रिक में अब तक कुल 216 केस में से 127 कंफर्म और 89 सस्पेक्टेड पाए गए हैं।
पीएमसीएच की रिपोर्ट को ही सही मानते हैं। प्राइवेट नर्सिंग होम को निर्देश दिया जाता है कि वो अपने पेशेंट की पीएमसीएच में भी जांच करवाएं, इसके बाद ही आगे की मेडिसीन और ट्रीटमेंट चलवाएं। डेंगू के पेशेंट के साथ अगर नर्सिंग होम वाले किसी भी तरह की लूट मचाते हैं तो फिर उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
डॉ। लखींद्र प्रसाद, सिविल सर्जन पटना.