किसी को न दें खौफ को कैश कराने का मौका

शहर में डेंगू का दायरा बढ़ रहा है। डेंगू के पेशेंट की संख्या बढऩे के साथ-साथ इसका खौफ भी बढ़ रहा है। नर्सिंग होम इस खौफ को कैश करने में जुटा है और लोगों से अनाप-शनाप पैसा वसूल रहे हैं। मेडिकल कॉलेज के माइक्रोबायोलॉजी डिपार्टमेंट के डॉ। अमित गर्ग कहते हैं कि तीन तरह का टेस्ट कर डेंगू का पता किया जा सकता है। रैपिड टेस्ट किट से टेस्ट करने पर मात्र 225 रुपए लगते हैं। इसके अलावा एलाइजा व एनएस-1 एंटी जेन टेस्ट किया जा सकता है। ये दोनों टेस्ट भी मार्केट में 1000-1200 रुपए में उपलब्ध हैं, जबकि डॉक्टर्स टेस्ट करने पर लोगों से डेढ़ से चार हजार रुपए वसूल रहे हैं।

क्रिटिकल है बीमारी

पेशेंट व उसके फैमिली मेंबर को डेंगू होने पर डॉक्टर्स उसे सीरियस बताते हैं और नर्सिंग होम में एडमिट कर लेते हैं। फिर चलता है जांच और दवाई का सिलसिला। जब मरीज डिस्चार्ज होता है तो 20-25 हजार रुपए का मिनिमम बिल उन्हें थमा दिया जाता है। फिर चाहे उन्हें प्लेटलेट्स चढ़े या नहीं। हर सीजन में शहर के दो दर्जन से अधिक नर्सिंग होम में ऐसा खेल चलता है। इसमें कई डॉक्टर्स तो इसमें खुद को सीजनल बीमारी का स्पेशलिस्ट भी बताते हैं। डॉक्टर्स डेंगू वैक्सीन के नाम पर मरीजों से खूब पैसा ऐंठ रहे हैं। इंजेक्शन के लिए मरीजों से 3-4 हजार रुपए वसूले जा रहे हैं।

दवा में भी होता है खेल

सीजनल डिजीज की दवाइयों में भी बड़ा खेल होता है। डेंगू में पारासिटामोल, इलेक्ट्रोलाइट और आईवी पानी का यूज होता है। जैसे ही कुछ मरीज हॉस्पिटल में एडमिट होते हैं। अचानक से इन चीजों का रेट बढ़ जाता है। मेडिसन के होलसेलर रजनीश कौशल बताते हैं हम लोग सस्ती दवाइयां रिटेल को बेचते हैं लेकिन वे ज्यादा पैसे वसूलते हैं। इसके लिए जेनरिक दवा भी आती है। जिसकी कीमत काफी कम होती है। लेकिन प्राइस बराबर टाइप होने के कारण रिटेलर्स पूरी रकम कस्टमर से वसूलते हैं।

ऐसे बरतें सावधानी

-डीडीटी का छिड़काव रेग्यूलर हो।

-मच्छरदानी में रहें।

-घर में कहीं भी पानी इकट्ठा न होने दें।

-यदि पानी मजबूरी है तो उसमें कैरोसिन तेल डाल दें।

-दोबारा डेंगू होना खतरनाक होता है।

-डेंगू वाले पेशेंट का मच्छरदानी में रहना ज्यादा जरूरी है।

-डेंगू मरीज को मच्छर काट ले तो उसके बाद वह जितने आदमी को काटेगा सभी को डेंगू हो जाएगा।

इनसे जानें डेंगू को

-रैपिड टेस्ट किट

-एलाइजा टेस्ट

-एनएस-1 एंटी जेन टेस्ट

डेंगू के लक्षण

-मसूड़े से ब्लड आना

-नाक से ब्लड आना

-ब्लैक स्टूल होना

-हड्डियों में तेज दर्द

-तेज बुखार के साथ सिर और आंख के पीछे दर्द होना

-मांसपेशियों में तेज दर्द

-लाल दाना निकलना

डेंगू के लक्षण दिखे तो न लें ये दवाई.

-डिस्प्रिन।

-एस्प्रिन।

-बुखार उतारने वाली कोई दवा।

-दिन हो या रात मच्छरदानी में सोएं।

-90 परसेंट वायरल आसानी से ठीक हो जाता है।

-5 परसेंट को डेंगू ह्यूमरेजिक फीवर होता है।

-इसमें 1 परसेंट की मौत हो जाती है।

-ऐसे पेशेंट को प्लेटलेट्स चढ़ाया जाता है।

-प्लेटलेट्स को आउट ऑफ रिच बताकर पेशेंट से पैसा ऐंठते।

-एक यूनिट ब्लड देने पर यह चार सौ रुपए देने पर ब्लड बैंक से मिल जाता है।

-25 हजार ब्लड काउंट कम होने पर प्लेटलेट्स चढ़ाया जाता है।

-्रद्गस्रह्य मच्छर के काटने से होता है डेंगू।

-साफ और शांत पानी में रहते हैं ये मच्छर।

-सुबह-शाम में ज्यादा काटते हैं ये मच्छर।

-दोपहर में भी काटते हैं ये मच्छर।

-एसी, कूलर, गमला या दूसरे बर्तनों में रखे पानी में ये मच्छर पनप सकते हैं।

-डेंगू पेशेंट में बीपी डाउन होना और पल्स का बढऩा डेंजर हो सकता है।

-400 का प्लेटलेट्स 4000 में

-एक यूनिट ब्लड से तीन घंटे में निकाला जाता है प्लेटलेट्स

डेंगू के नाम पर आपकी जेब खाली करने का खेल

डेंगू के छह नए केस सामने आने के बाद बुधवार को इसके पेशेंट्स की कुल संख्या 9 हो गई। ये फिगर लोगों को डरा रही है, वहीं प्राइवेट हॉस्पिटल और पैथोलॉजी वाले इसे हवा दे रहे है।

पैथोलॉजी का खेल शुरू

डेंगू की पुष्टी एनएसआई एंटीजन एलाइजा टेस्ट के माध्यम से होती है। इस मौसम में वायरल और मलेरिया के भी मरीजों की तादात कम नहीं है। इसका फायदा उठाते हुए हर मरीज को डेंगू मलेरिया के टेस्ट डॉक्टर लिख रहे हैं। हालात ये है सरकारी अस्पतालों में आने वाले मरीजों में से हर चौथा मरीज बुखार से पीडि़त है। यही हाल प्राइवेट डॉक्टर्स के पास भी है। इसमें भी खास बात ये है कि हर मरीज को ये टेस्ट लिखे जा रहे हैं। प्राइवेट पैथोलॉजी में एलाइजा टेस्ट एक हजार रुपये में कराया जा रहा है। हालांकि इन जांचों के लिए स्वास्थ विभाग ने मेडिकल कॉलेज को चुना है। प्राइवेट पैथोलॉजी को भी ये आदेश हैं कि वो एलाइजा जांच की पुष्टी होने पर एक सैंपल मेडिकल कॉलेज भेजे। मगर ठीक तरह से इस आदेश को भी फॉलो नहीं किया जा रहा है।

ब्लड का खेल शुरू

डेंगू और मलेरिया की शुरुआत के साथ सिटी के तमाम ब्लड बैंकों का खेल भी शुरू हो गया है। इस समय मलेरिया ही नहीं वायरल भी चल रहा है। इन दोनों में भी डेंगू की तरह प्लेटलेट्स काउंट कम होती है। मरीजों को डराने के लिए यही चीज सबसे ज्यादा काम आती है। डॉक्टर मरीजों को ये टेस्ट लिखते हैं और प्लेटलेट्स काउंट कम होने पर हॉस्पिटल में भर्ती कराने की सलाह देते हैं। प्राइवेट ब्लड बैंकों में प्लेटलेट्स काउंट देने के नाम पर बड़ा खेल शुरू हो गया है। मरीजों को इसकी कमी होने की बात कहकर ज्यादा पैसों में प्लेटलेट्स और ब्लड दिया जा रहा है।

मरीजों की बढ़ी तादात

मेडिकल कॉलेज में इस समय छह डेंगू के मरीजों की पुष्टी हुई है वहीं तीन मरीज प्यारे लाल शर्मा जिला अस्पताल में भर्ती हैं। अभी इन मरीजों को संक्रमण वार्ड में भर्ती किया गया है। बहुत जल्द इन्हें भी मेडिकल कॉलेज के डेंगू वार्ड में भेजा जाएगा। मंगलवार तक तीन डेंगू के मरीज सामने आए थे, जिनकी पुष्टी मेडिकल कॉलेज के माइक्राबायोलॉजी डिपार्टमेंट हुए एलाइजा टेस्ट के बाद की गई। इनमें दो बच्चों को बच्चा वार्ड और एक को मेडिसन विभाग में भर्ती कराया। अब ये मरीज मेडिकल कॉलेज के डेंगू वार्ड में भर्ती हैं। जहां पहले स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि एलाइजा टेस्ट के बाद ही सरकारी आंकड़ों में डेंगू की पुष्टि की जाएगी, वहीं जिले में डेंगू के करीब एक दर्जन नए मरीजों के मिलने बाद स्वास्थ्य विभाग डाटाबेस बनाने में जुटा है।

ये तो छह परसेंट है

डेंगू फैलने की अफवाह के साथ अब तक करीब 150 एलाइजा टेस्ट कराए जा चुके हैं। जिनमें से अभी तक कुल 9 मरीजों को ही डेंगू की पुष्टी हुई है। अगर देखा जाए तो ये रेश्यो कुल छह परसेंट ही है। मगर मरीजों को पैनिक बनाने का काम प्राइवेट हॉस्पिटल्स और पैथोलॉजी में शुरू कर दिया गया है।