-इस साल इलाहाबाद से चुने गए 19 स्टार्टअप बेनिफिशियरी

-पैसे के अभाव में बुनियादी जरूरतें पूरी नहीं होने से हैं परेशान

ALLAHABAD: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वपूर्ण योजना स्टार्टअप फंडिंग की कमी से शुरुआती दौर में ही दम तोड़ने को मजबूर है। चयनितों का कहना है कि उनके आइडियाज को बुनियादी सुविधाओं के साथ फंड की दरकार है। निजी पूंजी लगाने के बाद अब वह अधर में फंस गए हैं। इनवेस्टर्स इंट्रेस्ट नहीं ले रहे और बैंक के पास लोन देने की ऐसी कोई पॉलिसी मौजूद नहीं है।

चयन हो गया लेकिन फंड कौन देगा?

जिले में स्टार्टअप योजना के तहत मौजूदा वित्तीय वर्ष में 19 लोगों का चयन किया गया है। इन सभी ने ऑनलाइन आवेदन किया था। जून में इनके नामों की घोषणा कर दी गई। इनके इनोवेटिव आइडियाज सरकार को पसंद भी आए। लेकिन, जिनका चयन हुआ उनमें से कुछ का कहना है कि आइडियाज को चलाने के लिए जितना फंड था वह लगा दिया। आगे का क्या होगा? उनका (नाम नहीं छापने की शर्त पर) कहना है कि बुनियादी सुविधाएं भी स्टार्टअप के तहत मुहैया कराई जानी चाहिए।

इनका हुआ है चयन

-क्रियावंतिका सॉल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड

-शशिकुमार वर्मा

-इंपीरियन रोबोटिक टेक्नोलाजी

-रिनाल्डो जोन

-एमरियम ग्रासरी एलपीपी

-एप्रियोरी एग्रो फूड्स

-एटीएम गैरेज टेक्नोलाजी

-फ्रूगल वेंचर्स प्राइवेट

-हरित भवन निर्माण सामग्री,

-केआरपी इंफो सॉल्यूशन

-लिफाफा फूड्स एंड बेवरेजेस

-लोको बीएम प्राइवेट लिमिटेड

-निश्चल सुविधा सर्विस

-ऑन फाइव फिंगर हेल्थ

-सोफा होलिक्स ई-कामर्स

-स्कूटल टेक्नोलाजीज

-टोएलिनर ऑनलाइन सर्विसेज

-जेनोम सोलर पॉवर

स्टार्ट अप शॉर्क से बचते हैं बेनिफिशियर्स

चयनितों का कहना है कि स्टार्टअप के अंतर्गत बैंकों को फंडिंग की कोई पॉलिसी नहीं बनाइ गई है। बैंक से लोन मांगने जाओ तो वह बदले में घर या जमीन के कागज मांगते हैं। सिडबी के तहत इनवेस्टर्स को स्टार्टअप में इनवेस्ट करने की परमिशन है, लेकिन बदले में 50 फीसदी शेयर की मांग करते हैं। पैसा डूब गया तो इनका पैसा सरकार वापस करती है। स्टार्ट बेनिफियर्स कभी अपने शेयर देने को तैयार नहीं होते। इसका फायदा उठाती हैं बड़ी कंपनियां, जिन्हें स्टार्टअप शॉर्क कहा जाता है। यह सक्सेजफुल बेनिफशिर्स के आइडियाज चुरा लेते हैं या औने-पौने में बिजनेस को टेकओवर कर लेते हैं।

यह हैं दिक्कतें

-लोन सरकारी तरीके से बैंक देते हैं।

-बिजली का कनेक्शन मार्केट रेट पर दिया जाता है।

-मार्केट रेट पर जमीन दी जाती है। किसी प्रकार की स्टार्टअप में छूट का प्रावधान नहीं है।

-शार्क कंपनियां छोटे व्यवसायियों को टेकओवर कर लेती हैं।

-इनवेस्टर्स पैसे देने के बहाने आइडियाज चुरा लेते हैं।

इस साल भी 19 स्टार्टअप का उनके इनोवेटिव आइडियाज के चलते चयन किया गया है। उनकी फंडिंग की समस्या के लिए सिडबी को पावर दिया गया है। बेनिफिशियर्स को डिबेंचर्स, शेयर और इक्विटी के जरिए पैसा दिया जाएगा।

-अजय कुमार चौरसिया, उपायुक्त उद्योग केंद्र, इलाहाबाद