पूरी कर चुके हैं उम्र
गोरखपुर जंक्शन के पीआरएस पर कुल 10 काउंटर्स हैं जहां से रिजर्वेशन टिकट बनाए जाते हैं, लेकिन इन काउंटर्स पर लगे कंप्यूटर सिस्टम और प्रिंटर काफी पुराने हो चुके हैं। सोर्सेज की माने तो यहां लगे सिस्टम और प्रिंटर अपनी उम्र पूरी कर चुके हैं। इन्हें यहां लगे दस साल से ज्यादा का समय हो गया है। यहां के इंप्लाईज ने भी इन्हें कंडम घोषित कर दिया है। बावजूद इसके वे पुराने सिस्टम से टिकट बनाने को मजबूर हैं। पीआरएस में काम करने वाले कर्मचारी कंडम सिस्टम्स को चेंज करने के लिए रेलवे प्रशासन से गुहार लगा चुके हैं, लेकिन रेलवे प्रशासन सुध ही नहीं लेता।

तीन साल में हो जाने चाहिए रिप्लेस

रेलवे प्रशासन से मिली जानकारी के मुताबिक, ऑफिसियल प्रिंटर की लाइफ मानक के अनुसार तीन साल है। जबकि यहां लगे सभी प्रिंटर अपनी उम्र क्रॉस कर चुके हैं, यानी की पूरी तरह से कंडम हो चुके हैं। चीफ कामर्शियल डिपार्टमेंट की तरफ से मिली जानकारी के मुताबिक, डिवीजन स्तर पर इसे हर हाल में तीन साल के बाद रिप्लेस कर देना चाहिए। इसके अलावे अगर थोड़ी बहुत कमियां हैं तो उसे फौरन शार्टआउट करना चाहिए।

अक्सर देते हैं धोखा
पीआरएस में काम करने वाले इंप्लाईज की माने तो पुराने प्रिंटर्स के हेड कटे हुए हैं जिसके चलते जीरो और आठ नंबर में फर्क कर पाना मुश्किल हो जाता है। इसके अलावा जो नये प्रिंटर लगाए गए हैं। उसमें भी वायर्स लूज हैं जिसके चलते टिकट क्लीयर नहीं निकलता है। इस खराबी के चलते कई बार तो कैश भी घट जाते हैं, जो अपने पास से उन्हें देना पड़ता है। एक इंप्लाई ने नाम न पब्लिश करने की शर्त पर बताया कि दस काउंटर्स पर लगे सिस्टम के डिस्प्ले खराब हैं जिसके चलते आईसाइट वाले कर्मचारियों को काफी दिक्कतें होती हैं.   इन्हें चेंज करने के लिए सीआरएस स्तर पर काफी प्रयास किया गया, लेकिन अभी तक न तो सिस्टम चेंज किए गए और ना ही प्रिंटर।

किराए पर चल रहे हैं सिस्टम और प्रिंटर
पीआरएस सोर्सेज की माने तो जितने भी सिस्टम लगाए गए हैं वह किराए पर चलाए जा रहे हैं। इनमें ज्यादातर नॉर्दन रेलवे के हैं, हालांकि कुछ सिस्टम एनई रेलवे ने परचेज किया है। अब सवाल यह उठता है कि एनई रेलवे का हेडक्वार्टर गोरखपुर में है। बावजूद इसके गोरखपुर जंक्शन के पीआरएस का यह हाल है तो बाकी के स्टेशनों के पीआरएस का क्या हाल होगा?

कोट्स---

मैने जम्मू के लिए रिजर्वेशन कराया है। लेकिन मेरे टिकट पर न तो पीएनआर नंबर क्लीयर हो रहा है और न ही सीट नंबर। अब इन्हें ठीक कराने के लिए फिर से लाइन में लगना होग। यह समस्या अक्सर आती है।
निखलेश चौहान

मैंने गोरखधाम एक्सप्रेस में रिजर्वेशन कराया है। लेकिन टिकट पर न तो सीट नंबर क्लीयर हो रहा है और ना ही पीएनआर नंबर। अक्सर पीआरएस पर बनने वाले टिकटों में दिक्कतें आ रही हैं। रेलवे प्रशासन को इस ओर ध्यान देना चाहिए।
अमन शर्मा

अभी तो रिजर्वेशन कराने आया हूं। लेकिन इससे पहले मैने जब भी यात्रा की है, मुझे अपनी बर्थ सर्च करने में काफी दिक्कतें हुई हैं। सीट कंफर्म होने के बावजूद भी मुझे टीटीई के पीछे-पीछे घूमना पड़ा। कम से कम टिकट पर पीएनआर नंबर और सीट नंबर तो क्लीयर मेंशन होना चाहिए।
 कमलेश

मंैने भोपाल के लिए रिजर्वेशन कराया है। लेकिन टिकट पर न तो पीएनआर नंबर क्लीयर हो रहा है और न ही ट्रेन नंबर। किसी से पूछो तो कोई बताने को तैयार नहीं है। मुझे फिर से लाइन में लगकर पीएनआर नंबर और ट्रेन नंबर पूछना पड़ा।
संतोष शर्मा

वर्जन.
कंप्यूटर सिस्टम व प्रिंटर अवेलबल है। जो भी प्रिंटर व सिस्टम खराब हो गए हैं। उन्हें रिप्लेस किया जाएगा। इसके अलावा जो भी दिक्कतें आ रही होंगी। उसे दूर किया जाएगा।
अमित सिंह, जीएम सेक्रेट्री व सीपीआरओ, एनई रेलवे

 

Reported by- amarendra.pandey@inext.co.in