इत्तेफाक से मिली तकनीक

कोच्चि में अमृता यूनिवर्सिटी के वज्ञानिकों ने एक ऐसा उपकरण बनालिया है जो बिना अस्पताल गये महज़ 30 मिनट के अंदर कैंसर का पता लगा सकता है। मजेदार बात ये है कि इस उपकरण कार्निमाण इत्तेफाक से मिली एक जानकारी के चलते हुआ है। दरसल आज से चार साल पहले जब अमृता यूनिवर्सिटी के नैनो मेडिसिन केंद्र के वैज्ञानिक शांतिकुमार वी नायर और मंजूर कोयाकूट्टी खाने में मौजूद टॉक्सिक तत्वों को खोजने के लिए एक लेज़र से काम कर रहे थे तो उन्हें कुछ अलग चीजें समझ में आने लगीं। इन के बारे में विचार करने पर डाक्टर नायर को लगा कि इसका और बेहतर उपयोग हो सकता है। इसी में से एक प्रयोग था मानव शरीर में कैंसर सेल्स की पहचान करना। उसके बाद उन्होंने अपने सहयोगी डाक्टर मंजूर के साथ इस परकाम करना शुरू किया। इसी का परिणाम है कि आज लेज़र तकनीक से एक ऐसा उपकरण विकसित कर लिया गया है, जिससे बिना अस्पताल गये 30 मिनट के अंदर किसी व्यक्ति को कैंसर है या नहीं, इसका पता लगाना संभव हो सकता है।

पूरी तरह विकसित होने में लगेंगे दो साल

हालांकि अभी इस तकनीक पर काम चल रहा है और डाक्टरों के अनुसार इसके लिए कम से कम दो साल का इंतज़ार करना पड़ेगा। इस बारे में शांतिकुमार की देखरेख में वैज्ञानिकों की तीन सदस्यीय टीम काम कर रही है। दोनों डाक्टरों ने बताया है कि इस कैंसर डिटेक्शन तकनीक में लेज़र और नैनो सब्सट्रेक्ट का प्रयोग किया जाएगा।

युनिवर्सिटी कर रही है प्रयोग की फंडिंग

सूत्रों के अनुसार इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट को सुचारू रूप से चलाने और पूरा करने के लिए यूनिवर्सिटी के बायोटेक्नोलॉजी विभाग ने फंडिंग करने का फैसला किया है। इसी योजना के तहत ज़रूरी उपकरणों के निर्माण के लिए 60 लाख रुपये का बजट जारी किया गया है। पूरी तरह से तैयार होने के बाद इस लेजर उपकरण की कीमत 10 लाख रुपये तक हो सकती है। अगर यह प्रोजेक्ट सफल हो गया तो दुनिया से कैंसर का डर पूरी तरह से खत्म हो जाएगा।

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