अमिताभ बच्चन के प्रशंसकों के लिए उनकी फ़िल्में एक सामाजिक दस्तावेज़ की तरह हैं जिन्हें देखकर कई बच्चे जवान हुए तो जवान बूढ़ेऔर समय का पहिया ऐसा कि आज के बच्चे और युवा भी उनकी फ़िल्मों से वाबस्ता हैं।

उनकी कई फ़िल्में, डायलॉग, गाने और दृश्य बहुत मशहूर हैं। मसलन फ़िल्म अग्निपथ का ये संवाद-‘विजय दीनानाथ चौहान पूरा नाम, बाप का नाम दीथानाथ चौहान, माँ का नाम सुहासिनी चौहान, गाँव मांडवा, उम्र 36 साल, नौ महीना, आठ दिन, 16वां घंटा चालू है.’

साल दर साल उनके चाहनेवालों ने ऐसे संवादों, गानों को समेट कर अपनी एक अलग शब्दावली बना ली है और रोज़मर्रा की ज़िंदगी में इस्तेमाल भी करते हैं।

 कुछ ऐसे ही विचारों को समेटती नई किताब आई है 'अमिताभ लेक्सिकन'जिसे अमिताभ बच्चन की फ़िल्मों और दृश्यों की डिक्शनरी कहा जा सकता है।

इस तरह की किताब लिखने के पीछे सोच के बारे में लेखिका भावना सोमाया बताती हैं, "एक बार ऐसा हुआ कि हम दोस्त लोग बैठे हुए थे और किसी ने अमिताभ बच्चन का एक डायलॉग इस्तेमाल कर अपनी बात कही। बदले में सामने वाले ने भी अमिताभ बच्चन के ही डायलॉग में जवाब दिया और एक सिलसिला सा शुरु हो गया। तभी मैने सोच लिया कि बच्चन जी पर एक डिक्शनरीनुमा किताब लिखूँगी."

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