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RANCHI: रिम्स में एकबार फिर मरीजों की जान के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है, जहां उन्हें खाना देने वाली थाली स्टरलाइज ही नहीं की जा रही है। इससे मरीजों को इंफेक्शन होने का डर सता रहा है। इतना ही नहीं, खाना ले जाने वाली ट्राली को भी दो साल से स्टरलाइज नहीं किया गया है। आदेश के बावजूद एजेंसी के कानों पर जूं तक नहीं रेंग रही है। बताते चलें कि मॉनिटरिंग कमिटी ने हफ्ते में दो बार स्टरलाइज करने का आदेश दिया था ताकि मरीजों को किसी तरह की परेशानी न हो।

डायरेक्टर ने स्टाफ्स को फटकारा
एजेंसी के स्टाफ्स को मरीजों को दिए जाने वाले डाइट की मॉनिटरिंग के लिए रखा गया है। वहीं मरीजों को दिए जाने वाले खाने की क्वालिटी और सामानों की सप्लाई देखने का काम भी उन्हीं के जिम्मे है। लेकिन रेगुलर मिल रही शिकायत के बाद डायरेक्टर डॉ। आरके श्रीवास्तव ने भी दो दिन पहले एजेंसी के स्टाफ्स को बुलाकर जमकर फटकार लगाई थी।

प्राइम किचन सर्विसेज के जिम्मे डाइट
दो साल पहले रिम्स में मरीजों को हाइजेनिक डाइट उपलब्ध कराने की जिम्मेवारी एजेंसी को दी गई थी। इसके तहत एजेंसी ने मरीजों को पैक्ड हाइजेनिक फूड बेड पर उपलब्ध कराने का एग्रीमेंट किया था। लेकिन आए दिन मरीजों की डाइट में गड़बड़ी की शिकायत मिलती है। वहीं खाने में कीड़ा भी मिल चुका है। अब तो प्लेट और ट्राली को स्टरलाइज नहीं करने से कभी भी खाने में कीड़े-मकोड़े मिलने की संभावना बढ़ गई है। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि दो सालों में एजेंसी ने एक बार भी स्टरलाइजेशन प्रॉसेस नहीं किया है।

डेली 1500 मरीजों का बनता है खाना
हॉस्पिटल में हर दिन 1500 मरीज इनडोर में एडमिट रहते हैं। उन सभी मरीजों की डाइट किचन में तैयार होती है। ऐसे में प्लेट की संख्या भी मरीजों की संख्या से तीन गुना अधिक है, जिसकी प्रॉपर ढंग से सफाई के बाद स्टरलाइज करना जरूरी है। ताकि दूसरे मरीजों को उसी प्लेट में खाना देने पर इंफेक्शन की संभावना न हो। लेकिन एजेंसी को मरीजों की सेहत से कोई लेना-देना नहीं है।

मॉनिटरिंग कमिटी ने बैठक के दौरान स्पष्ट निर्देश दिया था कि प्लेट और ट्राली का स्टरलाइजेशन होना चाहिए। अगर डेली संभव न हो तो हफ्ते में दो बार जरूर करें। इसके बावजूद एजेंसी वाले समझने को तैयार नहीं हैं। अब तो ट्रालियों में लगे प्लग भी चोरी हो गए हैं, जिसे लगाकर स्टरलाइजेशन शुरू करने को कहा गया है।
कुमारी मीनाक्षी, डाइटीशियन, रिम्स