कानपुर। दशहरे के दिन अयोध्या के राजा श्रीराम ने लंका के राजा रावण का वध किया था। इसके साथ ही पाप पर पुण्य की विजय हुई थी। तब मायावी रावण रथ पर सवार होकर युद्ध कर रहा था जबकि श्रीराम पैदल ही उससे मोर्चा ले रहे थे। बाद में अग्नि देव ने श्रीराम को अपना रथ दिया। इसके बाद ही वे रावण का वध कर सके। आज भी रावण के पुतले बनाए जाते हैं और रामलीला के दौरान विजयदशमी को श्रीराम-रावण युद्ध का मंचन के बाद इनका दहन करने की परंपरा है। आइए देखें अजकल रावण युद्ध मैदान तक कैसे जाते हैं।
अमृतसर में दशहरा मेला स्थल तक रावण का पुतला ट्रैक्टर से ले जाते हुए। फोटो : पीटीआई
नागपुर में दशहरा के दौरान पुतला दहन के लिए रावण का पुतला मैदान में लगाते लोग। फोटो : पीटीआई
पटना में गांधी मैदान में विजय दशमी के मौके पर पुतला दहन के लिए रावण का पुतला क्रेन से उठाते हुए। फोटो : पीटीआई
नई दिल्ली में रावण के पुतले को मेला स्थान तक पहुंचाने के लिए ट्रक पर लोड करते लोग। फोटो : पीटीआई
अमृतसर में रावण को रिक्शे पर लादकर पुतला दहन के लिए ले जाते हुए। फोटो : पीटीआई
मुंबई में एक रामलीला के मंचन के दौरान रावण। फोटो : पीटीआई
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