छूट की रकम सरकार भरेगी
एक प्रेस कांफ्रेंस के दौरान केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बताया कि सरकार एमडीआर की दर दो साल तक खुद भरेगी। इससे न बैंकों पर बोझ बढ़ेगा और न ही छोटे कारोबारियों को अतिरिक्त भार वहन करना पड़ेगा। अब वे खुल कर डिजिटल पेमेंट स्वीकार कर सकेंगे। इसका सबसे ज्यादा फायदा उन ग्राहकों को होगा जो छोटे-मोटे ट्रांजेक्शन के लिए डिजिटल भुगतान करेंगे।
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जानें क्या है एमडीआर
एमडीआर यानी मर्चेंट डिस्काउंट रेट वह दर होती है जिसे बैंक हर डेबिट कार्ड या क्रेडिट कार्ड से ट्रांजेक्शन पर कारोबारी से वसूलते हैं। एमडीआर की दर आरबीआई तय करता है। अब सरकार इस दर को वहन करेगी।
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आरबीआई ने बढ़ाई थी दर
हाल ही में आरबीआई ने एमडीआर की दर सौदा का .25 प्रतिशत से बढ़ा कर .90 प्रतिशत कर दिया था। वित्त मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि इससे सरकार के डिजिटल अभियान को काफी धक्का लगा है। ऐसे में दुकानदार पीओएस मशीन रखने से कतराने लगे हैं। अभी हर महीने 28 करोड़ तक के पीओएस लेनदेन होते हैं। एक औसत लेनदेन की कीमत करीब 1500 रुपये है। सरकार इस बारे में आरबीआई से एमडीआर घटाने को कहेगी। वहीं बैंक का कहना है कि उसने यह दर सभी पक्षों से बातचीत के बाद तय किया था।
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डिजिटल लेनदेन में समय भी बचेगा पैसा भी सिक्योर रहेगा
डिजिटल लेनदेन आप कहीं भी कभी भी कर सकते हैं। इसके तमाम ऑप्शन आजकल मोबाइल में ही मौजूद हैं। चाहे बिजली का बिल जमा करना हो या फिर किसी के खाते में पैसा ट्रांसफर करना एक क्लिक में सब मौजूद है। इसके लिए आपको एटीएम या बैंक जाने की जरूरत नहीं है। यह सिक्योर भी होता है यानी रास्ते में जुटने-पिटने या पैसा खोने का भी डर नहीं।
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छुट्टे और नकली करेंसी से भी छुटकारा
अकसर दुकानदार आपसे छुट्टा न होने का बहाना बनाकर आपके कुछ पैसे मार लेता है। ऐसा महीने में आपके साथ सौ बार हुआ तो 2 से 3 सौ रुपये की चपत लगनी तय है। लेकिन डिजिटल पेमेंट में ऐसा कोई चक्कर नहीं है। आप जितना चाहे पेमेंट कर सकते हैं। ऐसा आपके साथ कई बार हुआ होगा कि आपके हाथ नकली रुपया लग गया होगा और आपने उस नोट से बड़ी मुश्किल से छुटकारा पाया होगा। गलती से बैंक गए तो बैंक नोट जब्त कर लेता है या लाइन खींच कर वापस कर देता है। ऐसे में आपका उतने रुपये की फोकट में चपत लग जाती है। डिजिटल पेमेंट में ऐसा कोई झंझट नहीं रहता।
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