-डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल के एडी एसआईसी की लापरवाही थमने का नहीं ले रही नाम

-जो मरीज कल धूल-मिट्टी में थे, उन्हें उठाकर फटे-गंदे बिस्तर पर लिटा दिया

BAREILLY :

डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल के सेप्टिक वार्ड के बाहर मैदान और बरामदे में जमीन पर पड़े मरीजों की न्यूज और फोटो दैनिक जागरण आई नेक्स्ट में पब्लिश होने के बाद हॉस्पिटल प्रशासन ने एक्शन तो लिया, लेकिन मरीजों को कोई आराम नहीं मिला। क्योंकि इन मरीजों को जमीन से उठाकर वार्ड के फट चुके गंदे गद्दों पर लिटा दिया। हैरानी की बात यह है कि यह स्थिति तब है जब खुद एडी एसआईसी डॉ। केएस गुप्ता ने वार्ड का मुआयना किया। उनकी आंखों के सामने मरीज गंदे बिस्तर पर लेटे हुए थे, लेकिन उन्होंने अपनी आंखों पर पट्टी बांध रखी थी। लिहाजा, वार्ड स्टाफ को बिस्तर की गंदगी के लिए टोका तक नहीं।

खाली पड़े बिस्तर नहीं दे रहे सेप्टिक मरीज को

बुखार के कहर के दौरान डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में नए वार्ड बनाए गए थे, जहां अब बुखार पीडि़तों की भीड़ न के बराबर रह गई है। लिहाजा, बड़ी संख्या में गद्दे खाली पड़े हैं। हैरानी की बात यह है कि जिम्मेदारी डॉक्टर जो मरीज जिंदगी से जूझ रहे हैं, उनका हाइजेनिक तरीके से प्रॉपर इलाज करने की बजाय, उन मरीजों के इंतजार में हैं, जो बुखार से पीडि़त होकर कभी आएंगे। इससे इनकी लापरवाही का अंदाजा सहज लगाया जा सकता है।

तो इस तरह कैसे ठीक होंगे मरीज

हॉस्पिटल के ही डॉक्टर्स से जब इस बारे में पता किया तो बताया कि सेप्टिक के मरीजों इंफेक्शन का खतरा सबसे अधिक होता है। इसीलिए सेप्टिक के मरीजों को अलग वार्ड में रखा जाता है। इसीलिए इनका ट्रीटमेंट भी हाइजेनिक तरीके से किया जाता है। लेकिन हॉस्पिटल के वार्ड में एडमिट मरीजों के साथ ठीक इसके उलट हो रहा है। हॉस्पिटल में एडमिट मरीजों को हाइजेनिक इलाज तो दूर की बात मरीजों के एडमिट करने के गद़्दे भी फटे हुए हैं। इससे अनुमान लगाया जा सकता है कि इन मरीजों को हाइजेनिक इलाज कैसे मुहैया हो सकता है।

इलाज मिला तो खाेली आंखें

हॉस्पिटल ग्राउंड और बरामदे में पड़े मरीजों जब वार्ड में एडमिट कर लिया गया और उनका इलाज किया गया तो उन्होंने आंखे खोल दी। मरीजों से जब बात करने की कोशिश की गई तो उन्होंने बोलने की कोशिश की लेकिन वह साफ आवाज में बात नहीं कर सके। कल तक जो औंधे मुंह ग्राउंड में पड़े बुजुर्ग से बात की गई तो वह भी होश-ओ-हवास में थे। वार्ड में सफाई और कूड़ा भी डस्टबिन में डाला जा रहा था। स्टॉफ भी हॉस्पिटल प्रशासन के एक्शन के बाद एक्टिव मोड में दिख रहा था।

मैंने वार्ड का मुआयना किया सभी मरीज बेड पर मिले। जहां तक गंदे बिस्तर की बात है, तो जब नए गद्दे खरीदे जाएंगे, तो बदल दिया जाएगा। बुखार के कहर के दौरान बनाए गए वार्ड में खाली पड़े गद्दे वहीं हैं। पता नहीं कब कौन मरीज आ जाए। अभी गंदे बिस्तर हटाना संभव नहीं है।

डॉ। केएस गुप्ता, एडी एसआईसी