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RANCHI : शेल्टर होम में बच्ची पालो टूटी की मौत को लेकर रांची और खूंटी सीडब्ल्यूसी आमने- सामने हैं। दोनों ही एक-दूसरे को पालो की मौत के लिए जिम्मेदार बता रहे हैं। रांची सीडब्ल्यूसी के मेंबर्स का कहना है कि खूंटी सीडब्ल्यूसी अगर समय पर बीमारी पालो के इलाज के लिए कदम उठाती तो उसकी जान बच सकती थी। इधर, सीडब्लूसी के पास अभी भी 25 बच्चे-बच्चियां रह रहे हैं। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट के पास इसके पुख्ता सबूत हैं।

बता देता रांग नंबर
खूंटी सीडब्ल्यूसी के मेंबर वैद्यनाथ के मोबाइल नंबर पर कॉल करने पर उसे गलत नंबर पर डायल करने की बात कहकर डिसकनेक्ट कर दिया जा रहा है। मोबाइल पर कहा जाता है कि वह सूरत से बोल रहा है। लेकिन, जब इस मोबाइल नंबर की ऑफिशियली तहकीकात की गई तो वह सीडब्ल्यूसी मेंबर वैद्यनाथ का ही निकला। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, खूंटी सीडब्ल्यूसी का मुख्य कर्ताधर्ता वैद्यनाथ ही है। उसकी राजनीतिक पकड़ होने के कारण कोई उसका विरोध भी नहीं कर पाता है।

इलाज के लिए बेच डाली मुर्गियां
रांची के रानी चिल्ड्रेन हॉस्पिटल में एडमिट बच्चों के पैरेंट्स काफी परेशान है। सागर कांडिर व उनकी बहन सरिता कांडिर ने बताया कि उनके पिता बच्चे बुधू कांडिर बच्चे को इलाज कराने के लिए अपनी मुर्गियां बेच डाली। इलाज पर हो रहे खर्च ने उनकी कमर तोड़ दी है।

आयोग की अध्यक्ष ने जाना हालचाल
शनिवार को बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष आरती कुजूर करूणाश्रम गई। वहां पर उन्होंने बच्चों की स्थिति जानी। इसके बाद वह रानी चिल्ड्रन अस्पताल गई, जहां निर्मल हृदय शिशु भवन के बच्चे भर्ती हैं। डॉक्टरों से उनका हाल चाल पूछा और इलाज में कोई कसर नहीं रहने की बात कही।