- सभी प्रोफसर्स को औसतन तीन-तीन सीटें पीएचडी के लिए हुई आवंटित

- जबकि वीसी ने नए प्रोफेसर्स को वन थर्ड सीटें आवंटित करने को कहा था

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LUCKNOW : एलयू में पीएचडी एडमिशन को लेकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। अभी जहां एलयू में कितनी सीटों पर पीएचडी एडमिशन होंगे, इसको लेकर बवाल चल रहा था। अब जब सीटें निर्धारित कर दी गई हैं। तो अब कम सीटें आवंटित करने को लेकर प्रोफेसर्स की नाराजगी सामने आ रही है। कई विभागों के सीनियर प्रोफेसर का कहना है कि उनके पास जितनी सीटों पर पीएचडी कराने का अधिकार है, उसे कम सीटें दी गई हैं।

वन थर्ड सीटें ही आवंटित
प्रोफेसर्स का दावा है कि सभी को वन थर्ड सीटें ही आवंटित की गई हैं। जबकि सीनियर प्रोफेसर्स के कोटे में अधिक सीटें आ सकती थी। प्रोफेसर्स का कहना है कि वीसी प्रो। एसपी सिंह ने सीट आवंटन प्रक्रिया का फॉर्मूला तय किया था। इसके तहत नए प्रोफेसर्स को वन थर्ड या फिर कम से कम दो सीटें ही पीएचडी कराने के लिए मिलनी थीं।

गवर्नर को लिखा था लेटर
इसके लिए एक महिला प्रोफेसर ने राज्यपाल तक को लेटर लिखा था। जिसमें उन्होंने अपने कोटे में तीन सीटें आवंटित करने की बात कहीं थी, पर एलयू प्रशासन उनको केवल दो सीटें दे रहा था। एलयू का तर्क था कि प्रोफसर अभी नई है उनको यूजीसी की निर्धारित सीटों के मानकों का वन थर्ड ही दिया जा सकता हैं।

आठ सीटें हो सकती हैं आवंटित
यूजीसी के नियम के अनुसार किसी भी सीनियर प्रोफेसर को अधिकतम आठ सीटें हर साल पीएचडी के लिए आवंटित हो सकती हैं। वहीं नए प्रोफेसर को कम से कम दो और अधिकतम निर्धारित मानक का वन थर्ड ही आवंटित हो सकता है।

नए नियमों को लेकर है विवाद

1. शोधार्थी के शोध पत्र जमा करने या शोध छोड़ने या छात्रत्व समाप्त होने पर ही सीट खाली मानी जाएगी

2. अगले तीन वषरें में रिटायर हो रहे शिक्षकों को पर्यवेक्षक नहीं बनाया जाएगा

3. प्रोफेसर को तीन, एसोसिएट प्रोफेसर को दो और असिस्टेंट प्रोफेसर को दो सीट मिलेंगी।

वीसी ने पहले से ही सीटें कम करने का मन बना रखा था। इसलिए इस बार सीटों के निर्धारण के लिए इस तरह के नियम लागू किए गए। जिसमें कई सीनियर प्रोफेसर को उनके निर्धारित सीटों से भी कम सीटें मिली हैं.
प्रो। नीरज जैन, पूर्व लूटा महामंत्री