--District hospital में i next ने टटोली हकीकत की नब्ज, out patient department में टाइम पर नहीं पहुंचते डॉक्टर्स

-अधिकतर surgeon व doctors अपने चैंबर्स से मिले गायब, पेशेंट्स की बजाय medical representatives को किया जाता है prefer

VARANASI:

पेशेंट्स खड़े बीमार, एमआर की कतार और व्यवस्थाओं से दो-चार होते तीमारदार। यह नजारा है बनारस के एक गवर्नमेंट हॉस्पिटल्स का। इसे देखकर ऐसा लगता है कि अब गवर्नमेंट हॉस्पिटल्स में स्वास्थ्य महकमे के जिम्मेदारों का शायद इंस्पेक्शन नहीं होता। नतीजतन, डॉक्टर्स व स्टॉफ अपनी मनमानी कर रहे हैं। ये लोग गवर्नमेंट की ओर से सैलरी तो फुल उठाते हैं लेकिन अपनी जिम्मेदारी में भरपूर कटौती करते हैं। ये लोग अपने वर्क का आधा परसेंट काम भी नहीं कर रहे। पेशेंट अपनी पीड़ा लिए बड़ी उम्मीद से हॉस्पिटल पहुंचता है लेकिन धरती के 'भगवान' की गैरमौजूदगी उनकी उम्मीदों के पर कतर देती है। डॉक्टर साहब सुबह से दोपहर तक ओपीडी से नदारद रहते हैं। यहां तक कि हॉस्पिटल का कोई भी स्टाफ मेंबर वहां नहीं मिलता है। कई दिनों से पब्लिक की ओर से मिल रही कम्पलेन्स की हकीकत टटोलने के लिए मंगलवार की दोपहर एक बजे जब आई नेक्स्ट टीम पंडित दीनदयाल डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल पहुंची तो अधिकतर डॉक्टर्स अपनी ओपीडी से नदारद मिले।

सर्जन की OPD रही खाली

डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल की सर्जन ओपीडी में डॉक्टर नदारद दिखे। एक बजे से लेकर डेढ़ बजे तक डॉक्टर साहब वहां नजर नहीं आए। सर्जन में डॉ। वी शुक्ला, डॉ। राजेंद्र प्रसाद और डॉ। ओपी सिंह अपने ओपीडी में नहीं थे। हालांकि, सीएमएस का कहना था कि सभी डॉक्टर्स उस वक्त ऑपरेशन में बिजी थे।

MR की लगती है कतार

फिजिशियन की ओपीडी में पेशेंट्स से अधिक तो मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव्स की लाइन लगी रहती है। ओपीडी में हर वक्त दो से चार एमआर तो मिल ही जाते हैं। जबकि नॉ‌र्म्स के अनुसार इनकी टाइमिंग ओपीडी खत्म होने के बाद होती है। लेकिन डॉक्टर्स ओपीडी से उन्हें जल्दी निकालने की होड़ में एमआर को टाइम देते हैं। जिससे डॉक्टर्स का अधिक टाइम तो एमआर ही ले लेते हैं।

डेली पहुंचते है सैकड़ों पेशेंट्स

डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में तीन से चार सौ पेशेंट्स डेली पहुंचते है। इनमें से अधिकतर रूरल एरिया के पेशेंट्स होते हैं। वे इस हॉस्पिटल में इसलिए आते हैं ताकि उनका चेकअप बेहतर ढंग से हो सके। ओपीडी हो या इमरजेंसी सभी में पेशेंट्स को समस्याएं झेलनी पड़ती हैं। गवर्नमेंट हॉस्पिटल होने के बावजूद पेशेंट्स को उम्मदों के अनुरूप फैसिलिटीज नहीं मिलती हैं।

मैं शाम चार बजे तक हॉस्पिटल में रहता हूं। सर्जन व डॉक्टर्स ओपीडी से ओटी तक आते-जाते रहते है। सभी डॉक्टर्स अपने चैंबर में प्रेजेंट रहते हैं।

डॉ। मंगला सिंह,

सीएमएस, डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल

स्ट्रेचर न मिलने पर किया हंगामा

डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल के इमरजेंसी में मंगलवार को एक पेशेंट के तीमारदार ने स्ट्रेचर नहीं मिलने पर जमकर हंगामा मचाया। तीमारदार का ब्लेम का था फैसिलिटी के अभाव में पेशेंट कोमा में चली गई। इस हॉस्पिटल में लापरवाही चरम पर है।

गाजीपुर निवासी रविंद्र सिंह ने अपनी सास गोमती देवी (75 वर्ष) को सोमवार की रात इमरजेंसी में एडमिट कराया था। चेकअप के बाद पेशेंट को थर्ड फ्लोर पर शिफ्ट किया जाना था। लेकिन थर्ड फ्लोर पर जाने के लिए मौके पर स्ट्रेचर अवेलेबल नहीं था। रविंद्र सिंह का ब्लेम था कि स्टॉफ रूम में भी उन्हें स्ट्रेचर नहीं मिला। किसी तरह पेशेंट को थर्ड फ्लोर पर शिफ्ट किया गया। वहीं इस बाबत सीएमएस मंगला सिंह का कहना है कि स्ट्रेचर हॉस्पिटल में अवेलेबल हैं। आरोप बेबुनियाद हैं।