फैक्ट फाइल

1000 से 1300 मरीज ओपीडी में रोजाना महिला अस्पताल में आते हैं

36000 केस एक माह में डिलीवरी केस आते हैं

23 मरीज नॉर्मल और सीजेरियन के वार्ड में भर्ती हैं

3 डॉक्टर ओपीडी में आने वाले वाले और वार्ड में भर्ती मरीजों को देखते हैं

- शहर के जिला महिला अस्पताल में पिछले एक साल से तीन डॉक्टर मरीजों का इलाज कर रहे

- 15 डॉक्टरों के पद एक साल से पडे़ हैं खाली, रोजाना सैकड़ों मरीज बिना इलाज के लौट रहे

बरेली : नारी सुरक्षा और हित के लिए शासन द्वारा बहुत सी योजनाएं चलाई जा रही हैं, लेकिन हकीकत में शहर के जिला महिला अस्पताल में इलाज के लिए डॉक्टर तक उपलब्ध नहीं है. जिला महिला अस्पताल में वैसे तो डॉक्टरों के 18 पद हैं पर इसमें तैनाती सिर्फ तीन डॉक्टरों की है. यह तीन डॉक्टर अस्पताल में भर्ती मरीाजों के साथ ही ओपीडी में आने वाले मरीजों का इलाज भी करते हैं. वहीं इन तीन डॉक्टरों में एक डॉक्टर जिला अस्पताल से भी अटैच है तो वह वहां पर भी चले जाते हैं. ऐसी स्थिति में सिर्फ दो डॉक्टर ही रहते हैं. ओपीडी में आने वाले मरीज घंटों लाइन में लगे रहते हैं और इसके बावजूद उनका नंबर नहीं आ पाता है. इससे वह बिना इलाज कराए ही लौट जाते हैं. वहीं मरीजों को कहना है कि उन्हें इलाज के लिए सुबह जल्दी आकर लगना पड़ता है, तब कहीं जाकर वह डॉक्टर से मिल पाते हैं.

गर्भवती महिलाओं को ज्यादा प्रॉब्लम

जिला महिला अस्पताल में सबसे ज्यादा गर्भवती महिलाएं आती हैं. घंटों लाइन में लगने के बाद भी उनका नंबर नहीं आ पाता है, जिससे उन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ता है. जिला महिला अस्पताल में इस समय एक गायनिकोलॉजिस्ट और दो पीडियाट्रिशियन डॉक्टर हैं.

यह आ रहीं दिक्कतें

1. नॉर्मल डिलीवरी वाले केस में डॉक्टर को दिन में दो बार मुआयना करने का नियम है, लेकिन एक बार ही पहुंच रहे हैं.

2. सिजेरियन पेसेंट्स को 24 घंटे में तीन बार देखने का नियम है, लेकिन दो बार ही डॉक्टर जा रहे हैं.

3. अगर कोई इमरजेंसी केस आ जाता है तो डॉक्टर को कॉल कर बुलाया जाता है. इस दौरान मरीजों की परेशानी काफी हद तक बढ़ जाती है.

जिला अस्पताल ने किया मना

जिला महिला अस्पताल सीएसएस ने सीएमओ से सितंबर 2018 में 4 डॉक्टर मांगे थे और कार्य प्रभावित होने का तर्क दिया था. सीएमओ ने जिला अस्पताल से डॉक्टर भेजने ने साफ मना कर दिया था. उनका कहना है अगर वह डॉक्टर दे देंगे तो उनके यहां पर कार्य प्रभावति होगा.

स्वास्थ्य विभाग से फिर की मांग

जनवरी 2018 में सीएमएस ने स्वास्थ्य विभाग से डॉक्टरों की तैनाती की मांग की थी और अस्पताल में हो रही समस्याओं से भी अवगत कराया था. तब स्वास्थ्य विभाग ने आश्वासन दिया था. इसके बावजूद अभी तक पद नहीं भरे गए. वहीं जनवरी 2019 में सीएमएस ने फिर स्वास्थ्य विभाग को अस्पताल में खाली पड़ें डॉक्टरों के पदों पर तैनाती की मांग की है.

मरीजों की बात ..

. वैसे तो व्यवस्थाएं ठीक हैं, लेकिन डॉक्टर एक बार ही देखने आते हैं. कई बार ड्यूटी पर तैनात स्टाफ से भी कहते हैं लेकिन सुनवाई नहीं होती.

नीरज.

2. हमारे मरीज की डिलीवरी यहीं हुई. जब उसे भर्ती कराया तो एक घंटे बाद डॉक्टर आए थे, इस बीच अगर कुछ अनहोनी हो जाती तो कौन जिम्मेदार होता.

जावित्री.

वर्जन :::

यहां 18 डॉक्टरों के पद निर्धारित हैं. लेकिन 3 डॉक्टरों को अभी तक तैनाती मिल सकी है. रोजाना सैकड़ों मरीज यहां आते हैं जिनमें से अधिकतर सिजेरियन के मरीज शामिल होते हैं. डॉक्टर न होने से काफी पेरशानी का सामना करना पड़ रहा है.

डॉ. अल्का शर्मा, सीएमएस, जिला महिला अस्पताल.