PATNA CITY : किसी भी दुर्घटना के बाद श्वांस नली में आने वाली खामी के उपचार करने में अब गले में स्थायी छेद (होल) की आवश्कता नहीं होगी। अब अस्पताल में इन दिनों ऐसी आधुनिक मशीन आई है जिससे यह संभव हुआ है।

डॉक्टर्स का कहना है कि दुर्घटनावश गला दबने के कारण सांस नली पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो जाती है। इससे पहले इस तरह के मामले में इलाज के लिए गले में छेद कर सांस नली से जोड़ा जाता था, ताकि सांस ली जा सके। इसमें संक्रमण होने का भी डर रहता था। लेकिन, अब इस आधुनिक मशीन से ऑपरेशन करने पर इस छेद की आवश्यकता नहीं होती है।

ऑपरेशन करने के दौरान ट्रेकोस्टेमी स्टेंड के माध्यम से श्वास नली को नाक से जोड़ दिया जाता है, जिससे मरीज पूर्ववत अवस्था में आ जाता है। यह बातें बिहार एवं झारखंड के ईएनटी के चिकित्सकों ने कही।

मौके पर साइंटिफिक सेशन में एनएमसीएच के ऑर्गनाइजिंग कमेटी के चेयरमैन डा। चंद्रशेखर ने लोगों का स्वागत किया। इसके बाद ऑरगेनाइजिंग कमेटी के को-चेयरमैन डा। सत्येन्द्र शर्मा ने डॉ। केपी दूबे (जमशेदपुर) ने चेयर सेशन किया।