-डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल के बच्चा वार्ड की घटना, तेज बुखार से पीडि़त था एक साल का मासूम

-मौके पर मौजूद डॉ। श्रीकृष्णा से परिजनों ने लगाई गुहार, सीरियस केस देख डॉक्टर ने किया इंकार

-एडमिट होने के 24 घंटे तक सिर्फ एक बार देखा एमएस ने, पिछले साल भी एक बच्ची की गई जान

BAREILLY: डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में फ्राइडे हुई एक घटना ने मेडिकल पेशे की गरिमा व सम्मान को शर्मसार करने का काम किया। घटना हॉस्पिटल के बच्चा वार्ड की है। बीमारी से तड़प रहे अपने एक साल के बच्चे सूरज को बचाने के लिए परिजन गुहार लगाते रहे, मगर धरती के भगवान का दर्जा पाए डॉक्टर का दिल नहीं पसीजा। परिजनों ने एक बार अपने कलेजे के टुकड़े को देख लेने भर की मिन्नत डॉक्टर से की। मगर 'भगवान' इस पर भी नहीं माने। मजबूरन गरीब मां बाप बच्चे की सलामती की दुआ मांगते हुए दूसरे डॉक्टर के आने की राह ताकते रहे। जिन्होंने बच्चे को एडमिट करते देखा था। लेकिन जब तक धरती के यह दूसरे 'भगवान' पहुंचते गरीब दंपति की जिंदगी का 'सूरज' हमेशा के लिए डूब गया।

12 दिन से बीमार था मासूम

जाटवपुरा के रहने वाले शेखर परिवार का पेट भरने को रिक्शा चलाते हैं। एक साल के बेट सूरज की तबियत बिगड़ने पर पिछले 12 दिनों से उसकी नजदीक के ही एक निजी क्लिनिक में इलाज चला रहे थे। परिजनों का कहना है कि बेटे को डायरिया संग बुखार भी था। तबियत में सुधार न हो पाने पर परिजन अपने बेटे को थर्सडे शाम डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल लेकर पहुंचे। इमरजेंसी वार्ड से मासूम को बच्चा वार्ड में एडमिट कर दिया गया। यहां मेडिकल सुपरिटेंडेंट व पीडियाट्रिशियन डॉ। कर्मेन्द्र को बच्चे का केस मिला। डॉ। कर्मेन्द्र पर ही बच्चे के इलाज की जिम्मेदारी थी।

24 घंटे में सिर्फ एक बार देखा

मासूम की मौत के लिए पहला गैर जिम्मेदाराना रवैया हॉस्पिटल के मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ। कर्मेन्द्र ने अपनाया। परिजनों का आरोप है कि डॉ। कर्मेन्द्र बेहद गंभीर हालत में डायरिया से तपड़ रहे मासूम को 24 घंटे में सिर्फ एक बार ही देखने पहुंचे थे। थर्सडे को बच्चे को देखने के बाद अगले दिन यानि फ्राइडे सुबह ओपोडी से पहले डॉ। कर्मेन्द्र को वार्ड में जाकर राउंड लेना था और बीमार मासूम संग अन्य मरीजों की हालत देखनी थी। लेकिन डॉ। कर्मेन्द्र अपने सुबह के राउंड में गंभीर हालत में जिंदगी व मौत से जूझ रहे एक साल के मासूम को देखने नहीं पहुंचे।

मेरा केस नहीं, इंतजार करो

डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल की साख व मेडिकल पेशे पर दूसरा दाग लगाने का काम डॉ। श्रीकृष्ण ने किया। परिजनों के मुताबिक जिस समय उनके बेटे की तबियत बिगड़नी शुरू हुई। उन्होंने वार्ड में मौजूद डॉ। श्रीकृष्णा से अपने बेटे को देख लेने की मिन्नत की। लेकिन गरीब मां बाप के हाथ पांव जोड़ने के बावजूद डॉ। श्रीकृष्णा ने बच्चे को यह कह देखने से इंकार कर दिया कि केस उनका नहीं। डॉ। कर्मेन्द्र का है वही आकर देखेंगे। इस पर परिजनों ने स्टाफ से मदद की गुहार लगाई। स्टाफ ने डॉ। कर्मेन्द्र को ऑन कॉल ड्यूटी पर बुलाया। लेकिन जब तक डॉ। कर्मेन्द्र वार्ड पहुंचते, मासूम की तड़पकर मौत हो चुकी थी।

डॉक्टर करते रहे दौरा, बच्ची की हुई मौत

डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल पर मासूम की मौत के धब्बे पहले भी लग चुके हैं। धरती के भगवानों की अनदेखी व असंवेदनशीलता से साल भर पहले भी एक मासूम बच्ची की मौत हो चुकी है। सुभाषनगर की 2 साल की अंजली की तबियत खराब होने पर परिजनों ने बच्चा वार्ड में एडमिट कराया था। जिस दिन उसकी तबियत बिगड़ी उस दिन पूर्व सीएमएस डॉ। आरसी डिमरी व सीएमओ डॉ। विजय यादव बच्चा वार्ड के दौरे पर थे। दौरे के चलते पीडियाट्रिशियन ने बच्ची को देखने का समय न निकाला। करीब 4 घंटे बाद डॉक्टर बच्ची को देखने पहुंचे। लेकिन समय पर इलाज न मिलने पर मासूम बच्ची की मौत हो चुकी थी।

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मामला अभी तक मेरे संज्ञान में नहीं आया। यह बहुत ही गंभीर मामला है। मामले की जांच कराई जाएगी। अगर डॉक्टर्स की लापरवाही पकड़ी गई तो कड़ी कार्रवाई होगी। - डॉ। सुबोध शर्मा, एडी हेल्थ