वाशिंगटन (एपी)। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एक तरफ होर्मुज के पास तेल टैंकरों पर हुए हमलों के लिए ईरान को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं लेकिन दूसरी ओर वह यह भी उम्मीद कर रहे हैं कि मिडिल ईस्ट में अमेरिकी सेना तैनाती ईरान के साथ बातचीत को आगे बढ़ाने की स्थिति पैदा करेगी। बता दें कि गुरुवार को ओमान की खाड़ी में नॉर्वे के दो तेल टैंकरों पर तीन धमाके हुए लेकिन कोई भी घायल नहीं हुआ। इस विस्फोट के एक दिन बाद अंतरराष्ट्रीय तेल बाजारों में अफरा-तफरी मच गई। अमेरिका ने इस हमले का आरोप ईरान पर लगाया, जिसके बाद सहयोगी देशों ने अमेरिका से ईरान पर इस धमाके के लिए कार्रवाई करने की बात कही। अंतर्राष्ट्रीय दबाव के बाद अमेरिका ने भी अपने सहयोगी देशों को ईरान पर कार्रवाई को लेकर आश्वस्त किया।

अमेरिकी सेना ने जारी किया वीडियो

ट्रंप ने फॉक्स न्यूज चैनल में शुक्रवार को बातचीत में कहा, यह हमला ईरान ने किया है। अमेरिकी सेना द्वारा जारी किए गए वीडियो में साफ तौर पर देखा जा सकता है कि ईरान के रिवोल्यूशनरी गार्ड ने तेल टैंकरों में से एक से माइन को हटा दिया।' हालांकि, ईरान ने अमेरिका के इस आरोप को खारिज कर दिया है। ईरान के विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा, 'अमेरिका का आरोप निराधार है और ईरान संकट में जहाजों की मदद करने और उनके चालक दल को जल्द से जल्द बचाने के लिए गया था।' 

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समझौता टूटने के बाद से ही बढ़ा तनाव

गौरतलब है कि पिछले साल मई में परमाणु समझौते से अमेरिका के बाहर आने के बाद से ही दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया है। अमेरिका ईरान पर नई शर्तो के साथ परमाणु समझौता करने का दवाब डाल रहा था, इसके लिए ट्रंप ने कुछ दिनों पहले ईरानी नेताओं के साथ सीधी बातचीत के लिए पेशकश भी रखी थी लेकिन ईरान इसके लिए तैयार नहीं हुआ। इसके बाद अमेरिका ने ईरान पर प्रतिबंध लगा दिया।

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