यह भी जानें

200 लर्निग लाइसेंस बनते हैं डेली

150 परमानेंट लाइसेंस बनते हैं रोज

400 रुपए फीस ट-व्हीलर परमानेंट लाइसेंस के लिए

200 रुपए फीस डुप्लीकेट लाइसेंस इश्यू करने के लिए

200 रुपए फीस लाइसेंस में करेक्शन के लिए

200 रुपए फीस लर्निग लाइसेंस के लिए

50 रुपए फीस टेस्ट देने के लिए

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-सही डीटेल भरने के बावजूद लाइसेंस में प्रिंट कर देते हैं गलत डीटेल

-करक्शन के लिए आने वाले अप्लीकेंट से करेक्शन फीस के साथ ही नए लाइसेंस की फीस भी वसूलते है

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बरेली:

परिवहन विभाग की गलती की खामियाजा अप्लीकैंट भुगत रहे हैं. आरटीओ से जारी होने वाले लाइसेंस में गलत डीटेल प्रिंट कर दे रहे हैं. किसी के लाइसेंस में डेट ऑफ बर्थ गलत होती है तो किसी के लाइसेंस में एड्रेस. हैरान करनी वाली बात है कि परिवहन विभाग अपनी गलती सुधराने के लिए अप्लकैंट से ही रुपए वसूल रहा है. आवेदक से 200 रुपए करेक्शन के नाम पर और 200 रुपए नए कार्ड के लिए देने पड़ रहे हैं. इस तरह से अप्लीकैंट को आरटीओ की गलती के लिए हर एक लाइसेंस के लिए 400 रुपए देने पड़ रहे हैं.

केस:1

सैटेलाइट के पास रहने वाले शिवम ने आरटीओ से दो माह पहले कार और टू-व्हीलर का लाइसेंस बनवाया था. डीएल बन गया, लेकिन उसमें डेट ऑफ बर्थ गलत कर दी. डीलएल बनने के बाद जब दोबारा करेक्शन कराने के लिए गया तो पता चला कि अब दोबारा फीस भरनी पड़ेगी. इसकी अफसरों से कंप्लेन की लेकिन कोई समाधान नहीं हुआ. अब दोबारा फीस जमा कर फिर से आवेदन किया है.

केस 2

प्रेमनगर के निवासी हरीश ने बताया कि उन्होंने अपना डीएल डेढ़ माह पहले बनवाया था. डीएल बन गया, लेकिन पिता जी के नाम में सरनेम में पाण्डेय की जगह पाल कर दिया. अब करेक्शन के लिए शिकायत की तो दोबारा फीस मांगी. इसके लिए अलग से फीस जमा की तो अब बताया कि डीएल ठीक होकर घर पर पहुंच जाएगा.

रोज आ रहे 5 से 6 केस

आरटीओ ऑफिस में डेली 5 से 6 लाइसेंस धारक लाइसेंस में गलती की शिकायत लेकर आ रहे हैं. शिकायत के लिए आने वाले लोगों का कहना है कि उन लोगों ने सारी डीटेल सही-सही भरी थी. इसके बाद भी लाइसेंस में गलत डीटेल प्रिंट की है. अधिकारियों से शिकायत की तो उन्होंने कहा करेक्शन के लिए फिर से अप्लाई करना होगा और फीस भी भरनी होगी.

प्राइवेट कंपनी कर रही गलती

अधिकारियों के मुताबिक आरटीओ से डेली करीब 100-150 परमानेंट और 200 लर्निग लाइसेंस जारी होते हैं. काम का बोझ और जल्दबाजी में लाइसेंस जारी करने के चक्कर में निजी कंपनी के कर्मचारी गलती करते हैं. अब तो लखनऊ से लाइसेंस बन रहे हैं तो गलती नहीं होगी.

डीएल में करेक्शन की फीस अलग है. कोई भी अपने डीएल में प्रिंट होने से पहले तो फ्री में करेक्शन करा सकता है, लेकिन पि्रंट होने के बाद फीस फिर से देनी होती है.

आरपी सिंह, एआरटीओ, प्रशासन