- 1992 में शुरू हुआ था ताज महोत्सव

- 28वां आयोजन चल रहा है इस बार

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AGRA:
दुनिया के सातवें आश्चर्य ताजमहल को देखने के लिए देश दुनिया से हजारों की संख्या में प्रतिदिन पर्यटक आते हैं। देश में पर्यटन को सबसे अधिक राजस्व देने वाला भी ताजमहल है। ताज की इसी लोकप्रियता के साथ बृज की संस्कृति और शिल्प कला को बढ़ाने के उद्देश्य से शुरू किया गया था ताज महोत्सव। लेकिन, अफ सोस ताज महोत्सव आज सिर्फ शहर में मात्र मनोरंजन बनकर रह गया है। साल दर साल ताज महोत्सव का आयोजन तो होता रहा है, लेकिन इसकी लोकप्रियता को बढ़ाने का काम हर साल धीरे-धीरे कम होता जा रहा है। इस बार भी 18 फरवरी से दस दिवसीय ताज महोत्सव का आगाज हो चुका है, लेकिन न तो कोई इसका प्रचार देखने को मिल रहा है और न ही कोई खासी दिलचस्पी। दो महीने से देश और प्रदेश के पर्यटन का केन्द्र कुंभ बना हुआ है, लेकिन विश्वपटल पर आयोजित होने वाला ताज महोत्सव आउट ऑफ फोकस बना हुआ है।

1992 में शुरू हुआ था महोत्सव
ताज की लोकप्रियता को भुनाने और देश-विदेश के पर्यटकों को और अधिक जोड़ने के लिए वर्ष 1992 में ताज महोत्सव की शुरुआत की गई थी। इस बार महोत्सव का 28वां आयोजन हो रहा है। यह महोत्सव भारत सरकार के पर्यटन विभाग के कार्यक्रमों के कैलेंडर में भी शामिल है। आगरा आने वाले बड़ी संख्या में भारतीय और विदेशी पर्यटक इस उत्सव में शामिल होते हैं। देश के हर प्रांत से यहां शिल्पी आते हैं और अपनी कला व शिल्प के शानदार काम को यहां दर्शाते हैं।

नहीं दिया जा रहा कोई ध्यान
ताज महोत्सव सोमवार से शुरू हो चुका है, लेकिन आयोजन को लेकर न तो कोई उत्साह देखने को मिल रहा है और न ही कोई रुचि। देश में पर्यटन को बढ़ाने के लिए इन्क्रेडिबल इंडिया, राज्य में पर्यटन को बढ़ाने के लिए यूपी टूरिज्म नाम से वेबसाइट् हैं, लेकिन दोनों ही साइट्स पर ताज महोत्सव को लेकर कोई भी जिक्र नहीं है। कहीं भी प्रचार देखने को नहीं मिल रहा है। दोनों ही साइट्स देश के ऐतिहासिक आयोजनों और स्मारकों को ट्वीट के माध्यम से भी प्रचार करती हैं, लेकिन ताज महोत्सव को लेकर उदासीनता बनी हुई है।

कुंभ का व्यापक प्रचार
यूपी टूरिज्म की वेबसाइट के ट्विटर एकाउंट से पिछले लगभग दो माह से कुंभ का व्यापक प्रचार प्रसार किया जा रहा है। सोशल साइट्स पर भी कुंभ छाया हुआ है। इसी के कारण इस बार का कुंभ ऐतिहासिक साबित हुआ है और करोड़ों की संख्या में लोग कुंभ में स्नान को पहुंचे हैं। लेकिन ताज महोत्सव अपनी बेरुखी पर आंसू बहा रहा है। किसी भी सोशल साइट्स पर इसका प्रचार देखने को नहीं मिल रहा है। ताज महोत्सव विश्व पटल का आयोजन है, अगर कुंभ से आधा भी प्रचार इस महोत्सव को लेकर हुआ होता तो ये पर्यटकों को और अधिक आकर्षित करने में सफल होता। लेकिन उदासीनता के कारण इस ऐतिहासिक महोत्सव को भव्यता नहीं मिल पाई है।

जैसे प्रदेश सरकार ने कुंभ अ‌र्द्ध मेले का प्रचार-प्रसार किया था। इसका एक प्रतिशत भी सुलहकुल की नगरी में हो रहे ताज महोत्सव का प्रचार-प्रसार होता तो, ताज नगरी के पर्यटन उद्योग को तो लाभ होता ही, साथ ही ताजनगरी का वैभव भी बढ़ता।
- राकेश चौहान अध्यक्ष होटल एंड रेस्टोरेंट एसोसिएशन आगरा