वो हर आहट पर चौंक जा रहे हैं। जेब में रखे सेलफोन का वाइब्रेशन भी उन्हें जमीन के हिलने का अहसास करा रहा है। पिछले दिनों आए भूकम्प के बाद इस तरह की मनोदशा वाले लोगों की तादाद अपने बनारस में अचानक से बढ़ गयी है। वो अक्सर रात में चौक कर उठ जा रहे हैं। ऐसा क्यों है और इससे निजात पाने के उपाय ही बता रहे हैं हम आज की अपनी इस कवर स्टोरी में

भूडोल के झटकों से अब तक उबर नहीं पा रहे हैं सैकड़ों लोग, हर वक्त इन्हें हो रहा जमीन के हिलने का अहसास

साइकिएट्रिक्ट की शरण में पहुंच रहे हैं बच्चों के संग पैरेंट्स भी, चेकअप के साथ हो रही है काउंसलिंग

VARANASI:

भारत में जब से भूकंप आया है तब से बहुत से लोगों के मन में एक डर समा गया है। खाते-पीते, उठते-सोते हर समय बहुत से लोगों को अब भी भूकंप का वहम परेशान कर रहा है। इनमें बच्चों, हाउस वाइव्स की संख्या काफी अधिक है। जबकि कॉरपोरेट सेक्टर में जॉब करने वालों की भी संख्या अधिक है। इससे उबरने के लिए लोग अब साइकिएट्रिस्ट के पास पहुंच रहे हैं। साइकिएट्रिस्ट उनकी काउंसलिंग करने के साथ ही मेडिसिन भी प्रिस्क्राइब कर रहे हैं।

पीटीएसडी कर रहा है परेशान

भूकंप का असर लोगों के दिलो दिमाग पर ऐसा छाया है कि उससे लोग उबर नहीं पा रहे हैं, इस बीमारी को पोस्ट ट्रामेटिक स्ट्रेस डिस्ऑर्डर (पीटीएसडी) कहते है। ऐसे लोगों में घबराहट बहुत अधिक होती है। उनके दिमाग में पुरानी घटनाओं का फ्लैशबैक चलता रहता है। किसी भी बड़ी घटना को याद करना, निगेटिव प्वाइंट पर हमेशा फोकस करना मेनली होता है। इस टाइम लोगों के दिमाग में यही चल रहा है, जिनकी माइंड निगेटिव थिंकिंग वाली है वह इससे काफी परेशान है।

बचें कैटेस्ट्राफिक थिंकिंग से

जिन लोगों का भूकंप से नुकसान नहीं हुआ है और वे तब भी आशंकाग्रस्त और डरे सहमे हैं तो उनकी इस सोच को साइकिएट्रिस्ट की लैंग्वेज में कैटेस्ट्राफिक थिंकिंग (हादसे से संबंधित सोच) कहा जाता है, इसमें एंग्जाइटी (बेचैनी) की कम्प्लेन अधिक हो जाती है। इससे बचने की जरूरत है। यह मान लिया जाए कि भगवान की मर्जी के आगे किसी की नहीं चलती। इसलिए खुद को नकारात्मक सोच के दायरे में रखना अपना ही नुकसान करना है।

ये हो सकता है इलाज

कोई परसन भूकंप के गुजरने के बाद की बेचैनी महसूस कर रहा है। तो वह साइकिएट्रिस्ट से काउंसलिंग व इलाज कराये।

-अपने ध्यान को दूसरी ओर आकर्षित कराये। जैसे खेल, टीवी आदि।

-मन को बहलाने का प्रयास करें

-भगवान का ध्यान करें, इससे आपका मनोबल व आत्मविश्वास बढ़ेगा। जिससे मन की बेचैनी कम होगी।

-कोई भी दवा बिना डॉक्टर्स के परमिशन के बिल्कुल भी नहीं खाएं।

इस मर्ज के ये हैं लक्षण

-रह रहकर चक्कर आना

-भरपूर नींद नहीं आना

-नींद की दवा खाना

-मेमोरी वीक होना

-हर समय निगेटिव सोचना

-घबराहट महसूस करना, बेचैन होना

-कांफिडेंस लेवल कम होना

-रियूमर पर अधिक ध्यान देना

-अपार्टमेंट्स की बिल्डिंग्स को भूकंप के झटके से जोड़कर देखना, दिन भर उसी टॉपिक पर बात करना आदि इसके लक्षण होते हैं।

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बड़े हादसे को देखकर अक्सर बहुत से लोगों के मन में वही घटना घर कर जाती है। उनके माइंड में वही चलता रहता है। जिसका असर उनकी हेल्थ पर पड़ता है। भूकंप की घटना के बाद ऐसे पेशेंट्स भी बढे़ हैं। ऐसे लोगों को साइकिएट्रिस्ट से काउंसलिंग करानी चाहिए।

डॉ। वेणु गोपाल झंवर

साइकिएट्रिस्ट

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भूकंप के बाद ऐसे बीस परसेंट लोगों में बेचैनी बहुत बढ़ गई है। इसमें मेमोरी वीक होने लगती है। एक ही घटना को बार-बार याद करते हैं। इससे ग्रसित मरीजों को मनोचिकित्सक की सलाह लेनी चाहिए।

डॉ। संजय गुप्ता

साइकिएट्रिस्ट

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भूकंप के बाद से बच्चों, हाउस वाइव्स, यंगस्टर्स के मन में डर समा गया है। ऐसे केसेज देखने को भी मिल रहे हैं। बच्चे स्कूल्स, कोचिंग जाने से कतरा रहे हैं। इस तरह का माहौल अभी चल रहा हैं। पैरेंट्स को चाहिए कि बच्चों का एक बार काउंसलिंग साइकिएट्रिस्ट से जरूर करायें।

डॉ। तुलसी

साइकिएट्रिस्ट

व्हाट्सअप-एफबी पर अफवाह

जब से भूकंप आया है उसके बाद से सोशल साइट्स पर भी बहुत से लोग भूकंप से जुड़ी हुई चीजें पोस्ट कर रहे हैं। व्हाट्सअप फेसबुक पर लोगों को भयभीत करने के पोस्ट खूब वायरल भी हो रहे हैं। अफवाह फैलाया जा रहा है कि भूकंप आज यहां आएगा, कल वहां आएगा, इस तरह के पोस्ट पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं दें। यदि आपके व्हाट्सअप ग्रुप में कोई ऐसी पोस्ट डाल रहा है तो उसे मना करें, या फिर उसे तुरंत ग्रुप से बाहर कर दें।