इकोफ्रेंडली मूर्तियों से सेफ रहेगा एनवायरमेंट

सिटी में लोकल आर्टिस्ट के साथ बंगाल से आए कलाकार मूर्तियां बनाते हैं। जुलाई मंथ में आने वाले बंगाली कलाकार लगातार तीन माह तक मेहनत करते हैं जिससे दुर्गापूजा के लिए प्रतिमाएं तैयार हो पाती हैं। इस साल भी इसकी तैयारी तेजी के साथ चल रही है, लेकिन गोरखपुर में जो मूर्तियां बनाई जा रही हैं उनमें पारंपरिक तौर तरीकों का इस्तेमाल किया जा रहा है। यहां पर किसी आर्टिस्ट ने प्लास्टर आफ पेरिस यूज नहीं किया है। मार्केट से पेंट खरीदने की बजाय मूर्तिकार कोलकाता से लाए नेचुरल कलर्स को खड़ी पाउडर में मिलाकर मूर्तियां को कलर कर रहे हैं। बांस, पुआल और गत्तों के साथ गोंद, अरारोट इत्यादि का यूज करके मूर्तियों को मूर्त रूप दिया गया है। कलाकारों का कहना है कि चमक लाने के लिए सिर्फ बार्निश आयल का यूज करते हैं, लेकिन वह भी किसी ब्रांडेड कंपनी का लिया जाता है। इसके यूज से न तो नेचर को खतरा है। न ही नदियों में मूर्ति विसर्जन के बाद जलीय जीवों को प्रॉब्लम होगी। इसके

पंडाल में दुष्टों का संहार करेगा ड्रैगन

सिटी में मूर्तियों को बनाने में नया ट्रेंड आया है। इस बार ऑन डिमांड मूर्तियां अलग स्टाइल में बनाई जा रही है। कलाकारों ने बताया कि गोरखनाथ, सूबा बाजार, स्टेशन रोड सहित कई जगहों पर मूर्तियां बनाई जा रही हैं, लेकिन इन मूर्तियों में खास बात यह है कि नटराज मॉडल की मूर्तियां बनाई जा रही हैं। इसमें मिट्टी से बने वस्त्र और सजावट की चीजें बनाई गई हैं जिनको पेंट किया गया है। इसके अलावा स्टेशन रोड पर मशहूर मूर्तिकार प्रवीर विश्वास को ड्रैगन बनाने का आर्डर मिला है। मां दुर्गा के शेर के साथ ड्रैगन भी दुष्टों का संहार करेगा।  

पांच हजार से एक लाख तक है कीमत

मूर्तियों के कीमत और आने वाली लागत के बारे में मूर्तिकार खुल नहीं रहे थे, लेकिन इस दौरान यह बातें सामने आई कि पांच हजार से लेकर लगभग एक लाख तक की मूर्तियों का आर्डर मिला है। सिटी में 1150 दुर्गा प्रतिमाएं स्थापित की जाएंगी। इनमें स्टेशन रोड, धर्मशाला बाजार, मोहरीपुर बाजार, दाउदपुर काली मंदिर, फलमंडी सहित कई जगहों पर पंडालों की भव्यता के साथ ही मूर्तियों की विशालता लोगों को अट्रैक्ट करेगी। मूर्तिकारों ने दावा किया है कि सबसे बड़ी प्रतिमा स्टेशन पर 18 फीट ऊंची होगी। इसके अलावा मोहरीपुर बाजार में 26 फीट चौड़ी 15 फीट लंबी, धर्मशाला बाजार में 17 फीट, दाउदपुर काली मंदिर में 14 फीट चौड़ी मूर्तियां स्थापित होंगी। अन्य जगहों पर इसी के आसपास ऊंचाई और चौड़ाई की प्रतिमाएं स्थापित की जाएंगी।

चालीस साल से मूर्तियां बना रहे हैं। हमेशा इस बात का ख्याल रखते हैं कि नेचर को कोई नुकसान न पहुंचे। कोलकाता से लाए कलर्स से मूर्तियों को रंगा जाता है।

प्रवीर विश्वास, मूर्तिकार

खडिय़ा और मिट्टी का यूज किया जाता है। दूर दराज के गांवों से लाई मिट्टी से मूर्तियां बनती है। यहां पर प्लास्टर ऑफ पेरिस का चलन नहीं है। विसर्जन के बाद इन मूर्तियों से नुकसान नहीं पहुंचेगा।

बी। पाल, मूर्तिकार