-आरटीओ ऑफिस के विभागों में अधिकारियों के भाई-भतीजे 'कर्मचारी' बन कर रहे 'वसूली'

-डीएल सेक्शन में दो दर्जन से अधिक 'प्राइवेट कर्मचारी', दस्तावेज चेक करने के लेते हैं 100 रुपए

-रीडर्स की शिकायत पर डीजे आइर् नेक्स्ट ने की पड़ताल, आंखों के सामने दिखा भ्रष्टाचार का खेल

KANPUR। दलाली, भ्रष्टाचार और वसूली आरटीओ ऑफिस की कार्यप्रणाली का हिस्सा बन चुका है। क्योंकि आरटीओ अफसर ही इस भ्रष्टाचार की इमारत का 'आधार' बने हुए हैं। इनकी छत्रछाया में ही यह भ्रष्टाचार फल-फूल रहा है। आरटीओ में भ्रष्टाचार की जड़ें इतनी गहरी हो चुकी हैं कि दर्जनों प्राइवेट कर्मचारी और दलाल बाकायदा ऑफिस के अंदर कुर्सियों में बैठकर काम कर रहे हैं जिन्हें लोग पहचानते ही नहीं हैं। इन प्राइवेट कर्मचारियों को अफसरों ने अपनी 'भ्रष्टाचार की अर्थव्यवस्था' को संभालने के लिए बैठा रखा है। जो इन अफसरों के लिए वसूली करते हैं और हिसाब-किताब कर उनतक पहुंचाते हैं। इनका विभाग के पास न तो कोई रिकॉर्ड है और न ही इन्हें कोई सैलरी मिलती है। दैनिक जागरण आईनेक्स्ट के पास इस बात के पुख्ता सबूत हैं। जिन्हें हमारे रीडर्स ने ही भेजा है।

कैमरे में कैद 'व्यवस्था'

रीडर्स के भेजे गए सबूतों के बाद दैनिक जागरण आई नेक्स्ट क टीम ने आरटीओ दफ्तर के विभिन्न विभागों की जांच पड़ताल। और इस पड़ताल पर रीडर्स की शिकायतें 100 फीसदी सही निकलीं। कई हर सेक्शन में दो से तीन अवैध युवक बाकायदा कुसिर्यो में सरकार कर्मचारी की तरह काम निपटाते मिले। जिनका लेखा जोखा किसी अधिकारी के पास नहीं है। इनके बार में पता करने पर कोई भी कुछ बताने को तैयार नहीं हुआ। इन प्राइवेट कर्मचारियों के भ्रष्टाचार के कई सबूत डीजे आईनेक्स्ट के कैमरे में भी कैद हुए।

इन्हें किसने किया अप्वाइंट

हमारे सूत्र ने बताया कि इन 'प्राइवेट कर्मचारियों' में ज्यादातर अफसरों के भाई-भतीजे और अन्य रिश्तेदार हैं। इनका काम दलालों का काम कराना और अवैध वसूली करना है। चौकाने वाली बात तो यह है कि कानपुर कार्यालय से ट्रांसफर हो चुके कुछ बड़े अधिकारियों के भतीजे व गुर्गे अभी तक कार्यालय में वसूली में लगे हुए हैं।

खुलेआम हो रहा लेनदेन

रीडर की शिकायत को चेक करने के लिए न्यू डीएल भवन में दैनिक जागरण का रिपोर्टर आवेदक बनकर भी पहुंचा और अपनी आंखें जमा दीं। कुछ ही देर में दस्तावेज चेक करने वाली विंडो के पीछे जाली के अंदर से कार्यालय में अवैध तरीके से कार्यरत प्यून सुरेन्द्र जाली के बाहर खड़े सक्सेना दलाल से दर्जनों की संख्या में कागज व रुपए ले रहा था। कुछ देर बाद जब दोनों को शक हो गया तो वह वहां से भाग गए।

दलालों के साथ मिलकर बनाया साम्राज्य

हमारे सूत्र ने बताया कि आरटीओ के कुछ भ्रष्ट अधिकारी व बाबूओं के बड़े दलालों से घनिष्ठ रिश्ते हैं। जिनके साथ उनका उठना-बैठना है। एक बड़े और चर्चित दलाल ने ने तो एक रिटायर्ड बाबू के साथ मिलकर निराला नगर में पार्टनरशिप में एक गेस्ट हाउस भी खोल रखा है। इस दलाल की की सीधी पहुंच बड़े अधिकारियों के ऑफिस तक है। इनका मुख्य काम वाहनों की फिटनेस कराना है।

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ये सबूत बोलते हैं

डीजे आई नेक्स्ट को एक रीडर ने कुछ दस्तावेज व फोटो उपलब्ध कराई हैं। जिनसे यह स्पष्ट होता है कि आरटीओ में कुछ अधिकारियों के संपर्क बड़े दलालों व सिंडीकेट चलाने वाले कुछ लोगों से है। यह लोग आपस में मिलकर आरटीओ में खुलेआम भ्रष्टाचार कर रहे हैं।

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मामले की जानकारी मेरे संज्ञान में नहीं है। अगर ऐसा है तो पूरी तरह गलत है। इस मामले की उच्चस्तरीय कमेटी से जांच कराई जाएगी। जांच के दौरान कोई भी दोषी मिलता है तो उस पर विभागीय कार्रवाई करने के लिए अधिकारियों को पत्र भेजा जाएगा।

संजय सिंह, आरटीओ प्रशासन, कानपुर रीजन