कहानी : दिलवाली दुल्हनिया ले जाएगी?

रेटिंग : 3 star

समीक्षा :
लेस्बियन और गे रिलेशनशिप की पैरवी करने वाली कहानी पर मेनस्ट्रीम एक्टर्स को लेकर फिल्म बनाने के लिए जो जिगरा चाहिए वो तो फिल्म के प्रोडूसर्स में था ही और सिर्फ इस बात के लिए ही उनकी हिम्मत की तारीफ होनी ही चाहिए। ये फिल्म इस टॉपिक को डील करने में जरा भी शरमाती नहीं है। चूँकि ट्रेलर में ही मेन मुद्दा ऑलमोस्ट कन्फर्म हो गया था, कहानीकार को मौका था यहां अपना समय बचाने का, और यहीं चूक होती है। अनिल और जूही की प्रेमकहानी, नौकरों की शर्त , भाई का विरोध और 'फिल्म का हीरो', जो ऑफकोर्स एक रेगुलर हिंदी फिल्म (कल हो न हो) के हीरो की तरह अपना जीवन समर्पित कर देता है, अपने प्यार को परवान चढाने के लिए. एक समय पर आकर जब सोनम, राजकुमार से कहती हैं कि 'कहानी में प्यार का अहसास मिसिंग हैं, सेम वही प्रॉब्लम इस फिल्म के साथ है। अरे चीख चीख कर अगर मेन मुद्दे पे आ ही गए हो तो कम से कम लवस्टोरी का बिल्डअप तो दिखाओ, लेकिन नहीं जी, वो सारा टाइम जूही और अनिल की प्रेमकथा को दे दिया जाता है जिसका प्लाट से बस रत्ती भर का लेना देना है। इस फिल्म की समस्या इसके एक बेहतर एडिट से सॉल्व की जा सकती है।

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क्या है तारीफ के काबिल :
मैंने सोचा नहीं था की ये कभी कहूंगा की सोनम कपूर की तारीफ करनी चाहिए कि एक मेनस्ट्रीम एक्ट्रेस एक गे किरदार निभाएगी, और सोनम कपूर इस किरदार को बड़े रेस्ट्रेन्ट के साथ अदा करती हैं। ये फिल्म सोनम के बेहतर परफॉर्मेंस में से गिनी जाएगी। सोनम ने पूरी कोशिश की है कि डीवा की इमेज से निकल कर मोगा की पंजाबन बन जाय जाए. फिल्म का आर्ट डायरेक्शन और कॉस्ट्यूम वगैरह भी बढ़िया है। पंजाबी पिंड के शॉट्स बड़े अच्छे से लिए गए हैं, ओवरआल सिनेमेटोग्राफी भी बढ़िया है।

अदाकारी :
रेजिना कासनड्रा और अभिषेक दुहान ने बहुत ही बैलेंस्ड पर्फोर्मंस दिया है, निश्चित ही ये दोनों पर्फोर्मंस भी सोनम के बराबर पर ही रखे जाएंगे। राजकुमार राव् फिल्म में काफी सबडूड दिखे। अनिल कपूर और जूही का काम तो बढ़िया था पर फिर भी बहुत अपील नहीं करता। किरदार क्रिएट तो किये गए पर उनके पास फिल्म में कुछ भी इम्पॉर्टन्ट करने के लिए नहीं था। सीमा पाहवा और बृजेन्द्र काला ने यूजुअली बढ़िया काम किया है।

 

वर्डिक्ट :
ये लवस्टोरी है तो 2019 की पर स्टोरी का ट्रीटमेंट अभी भी कहीं डीडीएलजे जैसा है, मतलब कहानी सुनाने का तरीका निहायत घिसा पिटा। कहानी के नए पन पर क्लीशेड स्टोरी टेलिंग का पैबंद लगा हुआ है। अगर ये फिल्म बेटर लिखी होती तो शायद ये इस साल की अब तक की बेस्ट फिल्म भी हो सकती थी पर अफसोस ऐसा होता नहीं है। फिल्म में अनिलकपूर की एंट्री पर ही अंदाजा लग जाता है कि फिल्म का दी एन्ड एक रेलवे स्टेशन पर होगा जब बापू कहेंगे, जा स्वीटी जा, जी ले अपनी ज़िन्दगी। फिर भी बोल्ड सब्जेक्ट पर एक ब्रीजी सी ओल्ड स्कूल फिल्म देखने का मन हो तो जा सकते हैं 2019- अ लव स्टोरी, मेरे कहने का मतलब है एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा।

Review by : Yohaann Bhaargava
Twitter : @yohaannn

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