- इमरजेंसी सेवा 108 व खुशियों की सवारी में कार्यरत 717 कर्मचारियों ने नौकरी के लिए आर-पार की लड़ाई का किया ऐलान

देहरादून,

इमरजेंसी सेवा 108 व खुशियों की सवारी (केकेएस) में कार्यरत 717 कर्मचारियों ने नौकरी बचाने के लिए आर-पार की लड़ाई का ऐलान कर दिया है. पूरे प्रदेश के 108 और केकेएस के फील्ड कर्मचारी 24 अप्रैल को परेड ग्राउंड से महारैली की शक्ल में सचिवालय कूच करेंगे. इससे पहले कर्मचारियों ने सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत से भी इस मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की है. जिसके लिए 23 अप्रैल तक का समय दिया गया है. इधर कैंप कंपनी के जीएम अनिल शर्मा ने बताया कि 1 मई से कंपनी 108 का पूरा सिस्टम टेकओवर करने जा रही है.

मांगें मानो, वरना सेवा ठप

फ्राइडे को संगठन के महासचिव विपिन जमलोकी और भारतीय मजदूर संघ के अध्यक्ष गोविंद सिंह बिष्ट ने कहा कि इमरजेंसी सेवा 108 के कर्मचारियों पर रोजगार का संकट खड़ा हो गया है. विपिन ने कहा कि उत्तराखंड में 108 व खुशियों की सवारी कर्मचारियों ने 11 वर्षो की सेवा में सराहनीय काम किया और जनता का विश्वास जीता. बताया कि 10500 से ज्यादा बच्चों का जन्म एम्बुलेंस के अंदर सुरक्षित करवाया गया. अब 717 कर्मचारियों को 30 अप्रैल से सेवा समाप्त करने का नोटिस थमा दिया गया है. बताया कि कर्मचारियों ने जब कंपनी के साथ 5300 एंबुलेंस पायलट व 5700 के लगभग इमरजेंसी मेडिकल टेक्नीशियन ने 2008 में इस सेवा के साथ शुरुआत की. लेकिन अब सरकार ने नई कंपनी कैम्प को टेंडर दे दिया है, जो अनुभव को दरकिनार कर मिनिमम सैलरी देने की बात कर सबकों बाहर करने की साजिश कर रही है. उन्होंने कैंप कंपनी की भर्ती प्रक्रिया पर भी सवाल उठाए. बताया कि संगठन की ओर से सीएम को ज्ञापन दिया गया है जिसमें मांग की गई है कि सभी कर्मचारियों को पूर्व की भांति उसी सैलरी पैकेज पर सेवा में लिया जाए. चेतावनी दी कि अगर 23 अप्रैल तक मांग नहीं मानी गई तो 24 अप्रैल को 108 व खुशियों की सवारी सेवा पूरे प्रदेश में ठप कर दी जाएगी.