- इमरजेंसी सर्विस को रन कर रही कंपनी को दो माह से नहीं मिला बजट

- बजट की कमी से पटरी से उतरी इमरजेंसी सेवा

- मरीज भुगत रहे सरकारी लापरवाही का खामियाजा

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139 एंबुलेंस हैं 108 इमरजेंसी सर्विस में

95 खुशियों की सवारी का हो रहा संचालन

717 कर्मचारियों का स्टाफ कर रहा सर्विस रन

30 परसेंट तक एंबुलेंस का संचालन ठप

देहरादून, स्टेट में इमरजेंसी एम्बुलेंस 108 और खुशियों की सवारी (केकेएस) सर्विस आईसीयू में है. एक्सटेंशन पर दोनों सर्विसेज का संचालन कर रही जीवीके ईएमआरआई कंपनी को इसके लिए पूरा बजट नहीं मिल रहा. दोनों सर्विसेज के संचालन का जिम्मा कैंप कंपनी को सौंपा गया है, लेकिन कंपनी ने अभी तक टेकओवर नहीं किया है, ऐसे में पहले से संचालन कर रही जीवीके ईएमआरआई कंपनी को चौथी बार एक्टेंशन दिया गया है. अप्रैल माह तक दोनों सेवाएं पुरानी कंपनी के पास रहेंगी. लेकिन, बिना बजट के इमरजेंसी सर्विसेज में शामिल 30 परसेंट से ज्यादा एंबुलेंस ठप हैं. जिसका खामियाजा पेशेंट्स को भुगतना पड़ रहा है.

कई बार बेपटरी हुई इमरजेंसी सर्विस

2008 से राज्य में 108 एंबुलेंस सेवा का संचालन कर रही जीवीके ईएमआरआई कंपनी को बजट न मिलने पर इमरजेंसी एम्बुलेंस सेवा पटरी से उतर चुकी है. अब जबकि नई कंपनी कैंप को इसके संचालन का जिम्मा मिला है, इस स्थिति में भी हेल्थ डिपार्टमेंट जीवीके ईएमआरआई के भरोसे ही वर्तमान में सर्विस मुहैया करा रहा है. लेकिन, एक बार फिर बजट की कमी होने पर इमरजेंसी एंबुलेंस सर्विस का दम उखड़ गया है. बजट की कमी से 108 और केकेएस में शामिल 30 परसेंट एंबुलेंस का संचालन ठप है. हालांकि, जल्द ही व्यवस्था में सुधार का दावा कंपनी कर रही है.

जीवीके को 4 बार एक्सटेंशन

108 इमरजेंसी एम्बुलेंस सर्विस को रन करते हुए जीवीके ईएमआरआई को 10 वर्ष से ज्यादा का समय हो चुका है. इसके बाद यह जिम्मेदारी जीवीके से वापस लेते हुए दोबारा टेंडर किये गए और सर्विस कैंप कंपनी के हैंडओवर करने का फैसला लिया गया. इसी वर्ष 30 मार्च तक सेवा संचालन के लिए कंपनी को तीन बार एक्सटेंशन मिला. लेकिन, टेंडर मिलने के दो माह बाद भी कंपनी इमरजेंसी सेवा को टेकओवर नहीं कर पाई है. ऐसे में अप्रैल महीने के लिए चौथी बार जीवीके को एक्सटेंशन दिया गया. लेकिन, बजट न मिलने के कारण कंपनी अब फाइनेंशियल क्राइसिस से जूझ रही है.

कर्मचारियों का 16 अप्रैल को फैसला

108 और केकेएस में कार्यरत स्टाफ को नई कंपनी द्वारा अब तक जॉब श्योरिटी नहीं दी गई है. पुरानी कंपनी से सेवा हटते ही वे बेरोजगार हो जाएंगे. इस समय सेवा में 717 कर्मचारी शामिल हैं वे लेबर कोर्ट का दरवाजा भी खटखटा चुके हैं. इस मामले में 16 अप्रैल को निर्णय होना है. इन कर्मचारियों का नेतृत्व कर रहे विपिन जमलोकी ने बताया कि अगर नई कंपनी ने उन्हें काम पर नहीं रखा तो वे बेरोजगार हो जाएंगे. जबकि पिछले 10 वर्ष से वे सेवा से जुड़े रहे. बताया कि 16 अप्रैल को उनके हक में फैसला नहीं हुआ तो वे आगे आंदोलन के लिए बाध्य होंगे.

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कंपनी को इमरजेंसी एंबुलेंस रन करने के लिए पिछले 2 माह से बजट नहीं मिला है. ऐसे में कई एंबुलेंस का संचालन नहीं हो पा रहा है. 30 परसेंट तक एंबुलेंस खड़ी हैं. हेल्थ डिपार्टमेंट से जल्द बजट रिलीज किए जाने का आश्वासन मिला है.

मनीष टिंकू, स्टेट हेड, जीवीके ईएमआरआई