- वाहनों से होने वाले पॉल्यूशन से बढ़ती जा रही हैं लोगों की बीमारियां

- पब्लिक ट्रांसपोर्ट के वाहनों को सीएनजी करने पर भी पॉल्यूशन पर रोकथाम नहीं

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KANPUR। सिटी की रोड्स पर दौड़ रहे वाहनों खासकर जाम में फंसे हुए वाहनों से हो रहा पॉल्युशन कानपुराइट्स को तरह-तरह की बीमारियों के शिकंजे में कस रहा है। सिटी में हर साल तेजी से वाहनों की संख्या बढ़ती जा रही है। ठीक उसी रफ्तार में पॉल्यूशन लेवल भी डिस्टर्ब हो रहा है। सिटी में हर साल लगभग 50 हजार नए वाहन रोड पर आ रहे हैं। जो हर साल .5 प्रतिशत की दर से पॉल्यूशन लेवल को बढ़ाते जा रहे हैं।

वर्तमान में 50 लाख वाहन रजिस्टर्ड

इस समय आरटीओ में करीब 50 लाख वाहन रजिस्टर्ड हैं। इस समय सिटी में करीब 1013164 स्कूटर रजिस्टर्ड हैं, 155301 मोपेड रजिस्टर्ड हैं। 2920997 मोटरसाइकिल रजिस्टर्ड हैं और 509924 कारें रजिस्टर्ड हैं। इस तरह से अन्य वाहनों को मिला लें तो करीब 50 लाख वाहन सिटी की रोड्स पर दौड़ रहे हैं। इन वाहनों से बड़े पैमाने पर निकलने वाला पॉल्यूशन हवाओं में घुलता है। 23 जून दिन मंगलवार को वायु में कार्बन का स्तर 3.16 मैक्सिमम रहा। जबकि एसओटू व एनओटू अधिकतम 8 व 70 के स्तर पर थे। ये सभी अपने मानकों से कहीं ज्यादा हैं।

हर साल बढ़ रहे हैं 50 हजार वाहन

एआरटीओ एसके सिंह ने बताया कि हर साल सिटी की रोड्स पर 50 हजार नए वाहन आ रहे हैं। इससे आप वाहनों की तेजी से बढ़ती हुई गति का अंदाजा लगा सकते हैं। हर साल बढ़ने वाले वाहनों के हिसाब से देखा जाए तो 50 लाख वाहनों से हुए पॉल्यूशन को ईकाई माना जाए तो 50 हजार वाहनों में करीब .5 प्रतिशत पॉल्यूशन का स्तर हर साल बढ़ता जा रहा है।

पॉल्यूशन चेक के नाम पर खानापूरी

सिटी में पॉल्यूशन चेकिंग के नाम पर सिर्फ खानापूरी ही होती है। आरटीओ के द्वारा अधिकृत कई प्रदूषण जांच केंद्र हैं, लेकिन जांच के नाम पर वे सिर्फ खानापूरी ही करते हैं। वहीं रोड पर भी आरटीओ की टीम ढीली नजर आती है। शायद ही कहीं पर पॉल्यूशन सर्टिफिकेट की जांच की जाती हो।

30 रुपए में होती है जांच

वेहिकल में एअर पॉल्यूशन की जांच मात्र 30 रुपये में होती है। सिटी में आरटीओ से ऑथराइज्ड करीब 15 प्रदूषण जांच केंद्र खुले हैं, जहां एनालाइजर मशीन लगाकर वाहन के आइडियलिंग स्पीड पर कार्बन-मोनो ऑक्साइड तथा हाइड्रोकार्बन के उत्सर्जन स्तर को जांचा जाता है। अगर पॉल्यूशन मानक से कम है तो 30 रुपए में आपको प्रमाण पत्र मिल जाएगा। वहीं पॉल्यूशन मानक से बाहर है तो प्रदूषण प्रमाण-पत्र नहीं बनाया जाता है। फिर गाड़ी को सही कराना होगा। प्रमाण पत्र की वैधता छह महीने की होती है। नए वाहन पर एक साल की छूट होती है। यह परिवहन विभाग उत्तर प्रदेश शासन द्वारा दिया जाता है। प्रमाण पत्र न होने पर 50 से 500 रुपए तक जुर्माना हो सकता है।

पॉल्यूशन का मानक

केंद्रीय मोटर वेहिकल एक्ट 1989 की धारा 155(2) में वाहनों में पॉल्यूशन के मानकों को बताया गया है। पेट्रोल से चलने वाले सभी टू व थ्री व्हीलर वेहिकल के लिए कार्बन मोनोआक्साइड उत्सर्जन 4.5 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए। वहीं अन्य सभी वाहनों के लिए कार्बन मोनोआक्साइड उत्सर्जन 3 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए। डीजल वेहिकल के लिए धुएं का घनत्व 65 हार्टिज धुआं एकक से अधिक नहीं होना चाहिए।

खराब हो रहे हैं फेफड़े

बढ़ते पॉल्यूशन के कारण फेफड़े व खराब हो रहे हैं। सीनियर चेस्ट फिजीशियन डॉ। एसके कटियार ने बताया कि तेजी से फेफड़े, सांस व अन्य बीमारियों के रोगी बढ़ रहे हैं। वहीं डॉ। आनंद कुमार ने बताया कि हाल ही में हुए पीएफटी सर्वे में हर दूसरा आदमी फेफड़ों से संबंधित बीमारी से पीडि़त पाया गया।

एयर क्वालिटी बद से बदतर

2009 में सीएनजी स्टेशन सिटी में खुलने के बाद सिटी में डीजल व पेट्रोल से चलने वाले टैम्पो, आटो व बस हट गए। इनकी जगह सीएनजी के आटो, टैम्पो व बसों ने ले ली। वहीं हर साल करीब 80 से 100 सीएनजी कारें भी खरीदी जा रही हैं, लेकिन एयर क्वालिटी पर कोई फर्क नहीं पड़ा। एयर क्वालिटी और खराब होती जा रही है। ये बात सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की रिपोर्ट कह रही है।

वाहनों से निकलने वाले तत्व व उनके प्रभाव

कार्बन मोनोआक्साइड- यह हार्ट को प्रभावित करती है, एंजाइना को उत्तेजित करती है। बच्चों को मानसिक रोगी बना सकती है।

नाइट्रोजन आक्साइड- फेफड़ों में संक्रमण व आंख, नाक व गले में कई तरह की बीमारियों को जन्म देता है।

सल्फर डाइआक्साइड- यह प्रतिकूल रूप से फेफड़े की कार्यप्रणाली को डैमेज करता है।

एसपीएम और आरपीएम- ये बेहद जहरीले होते हैं। सर्वोत्तम पर्टिक्यूलेट श्वसन प्रणाली में गहराई से छेद करते हैं और फेफड़े के उत्तकों को उत्तेजित करते हैं। इससे श्वांस संबंधी बीमारियां होती हैं।

सीसा- लीवर और किडनी के लिए बेहद हानिकारक है। बच्चों के दिमाग को नुकसान पहुंचाता है, जिससे मेमोरी लॉस की समस्या होती है।

बेंजीन- यह ब्लड कैंसर का कारण बनता है।

पॉल्यूशन को रोकने के उपाय

- ईधन की गुणवत्ता को बढ़ाकर पॉल्यूशन को काफी हद तक कंट्रोल किया जा सकता है। उसमें उपलब्ध जरूरी तत्वों की मात्रा आवश्यकता से अधिक न हो तथा उत्सर्जन निर्धारित मानक अनुसार रहे। जैसे सीसा को ईधन से हटाया गया।

- वेहिकल में फ्यूल बर्न टैंक अच्छा होना चाहिए।

- साइलेंसर पर केटालिक कनवर्टर लगाकर भी पॉल्यूशन को कम किया जा सकता है।

- टू स्ट्रोक इंजन को फोर स्ट्रोक में परिवर्तित करना।

- सार्वजनिक यातायात प्रणाली में सुधार

- वाहनों का समय पर मेंटीनेंस कराते रहना चाहिए।

- कम पॉल्यूशन करने वाले ईधन जैसे सीएनजी, एलपीजी इत्यादि का अधिक प्रयोग कर।

- उत्सर्जन मानकों को सुदृढ़ करना।

- ईधन में मिलावट की जांच।

- पेट्रोल में सीसा की मात्रा को कम करना।

- डीजल में गंधक की मात्रा को कम करना।

- टू स्ट्रोक इंजनों के लिये पूर्व मिश्रित 2टी ऑयल डिस्पेंसर द्वारा पॉल्यूशन कम करना।