- उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए नियम में बदलाव

- तीनों कैटेगरी के उद्योगों के लिए अलग-अलग व्यवस्था

>BAREILLY:

उद्योग को बढ़ावा देने और उद्यमियों को सहूलियत देने के लिए पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ने नियमों में कई अहम बदलाव किए हैं। पॉल्यूशन बोर्ड का मानना है कि इससे उद्योग को काफी हद तक बढ़ावा मिलेगा। उद्यमी उद्योग लगाने के लिए हिचेंगे नहीं। नए बदलाव के तहत अब हर वर्ष उद्यमियों को पॉल्यूशन क्लियरेंस लेने की जरूरत नहीं पड़ेगी। नॉटिफिकेशन के बाद नए नियम को लागू भी कर दिया गया है। इसके तहत अब उद्योग स्थापित और शुरू करने की फीस और एनओसी का वर्ष तय कर दिया गया है। गवर्नमेंट की इस नई व्यवस्था के बाद कागजी कार्यवाही कम होने से उद्योगों को उड़ान मिलने की उम्मीद जग गई है।

हर केटेगरी के िलए अलग नियम

रेड केटेगरी के उद्योगों के लिए तीन वर्ष, ऑरेंज केटेगरी के उद्योगों के लिए पांच वर्ष और ग्रीन केटेगरी के उद्योगों के लिए एक साथ 10 वर्षो में फीस देने का प्रावधान किया गया है। साथ इसी अवधि के बाद उद्योग को नवीनीकरण भी कराना होगा। नई व्यवस्था में किसी प्रोजेक्ट में 50 करोड़ रुपए तक की पूंजी या निवेश पर फीस में कोई बदलाव नहीं किया गया है। लेकिन, 50 करोड़ रुपए से ऊपर की पूंजी या निवेश पर फीस में बदलाव किया गया है।

रेड केटेगरी

इसमें बड़े होटल, बेसिक साल्ट बनाने वाली दवा कंपनी, केमिकल उद्योग, टैक्सटाइल मिल, सीमेंट, फर्टिलाइजर्स, डिस्टलरी जैसे उद्योगों को रखा गया है।

ऑरेंज केटेगरी

इसमें छोटे होटल, दवा का फार्मूलेशन बनाने वाली कंपनी, बिल्डिंग प्रोजेक्ट, मार्बल, स्टोन क्रशर एवं कटिंग, पॉलिशिंग जैसे उद्योग आते हैं।

ग्रीन केटेगरी

इस केटेगरी में आटा चक्की, राइस मिल, दाल मिल, बेकरी, आइसक्रीम, कोल्ड स्टोरेज, स्पोर्टस जैसे उद्योग शामिल हैं। इस श्रेणी के तहत पांच करोड़ रुपए तक के उद्योगों के लिए कोई फीस नहीं है। बस एक ही बार एक्नॉलेजमेंट फीस लगेगी। इसके बाद जीवन भर कोई फीस नहीं देनी होगी।

पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ने पर्यावरण सहमति के लिए नियमों में कुछ बदलाव किया हैं। इसके तहत हर वर्ष पॉल्युशन क्लियरेंस लेने की जरूरत नहीं पड़ेगी।

देवी सिंह, असिस्टेंट इंजीनियर, पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड