- बच्चों में बढ़ती जा रही स्मार्ट फोन की लत बना रही उन्हें बीमार

- बिहेवियर में आने लगते हैं अजीब चेंजेज

GORAKHPUR: अगर आपका बच्चा स्मार्ट फोन का ज्यादा इस्तेमाल कर रहा है तो सावधान हो जाइए। ये आदत उसे कहीं आपका लाडला सोशल मीडिया एडिक्शन डिसऑर्डर का शिकार बना सकती है। ऐसा होने पर उसके बिहेवियर पर प्रतिकूल असर पड़ने लगता है जो काफी खतरनाक हो सकता है। सिटी के कई स्कूल्स में इस तरह के केसेज सामने आ रहे हैं जहां मोबाइल के लती हो चुके बच्चों के बिहेवियर में अजीब परिवर्तन देखने मिला है।

केस-1

सिटी के एक प्राइवेट स्कूल में पहली क्लास में दाखिला लेने वाले बच्चे की हरकतों पर टीचर्स को शक हुआ। नजर रखने पर पता चला कि छह साल का मासूम पैरेंट्स के मोबाइल पर पॉर्न देखने का लती हो चुका है। आपत्तिजनक हरकतों के बाद स्कूल मैनेजमेंट ने पैरेंट्स को बुलाकर कहा कि इस बच्चे को कहीं और पढ़ा लीजिए।

केस-2

18 साल की किशोरी मोबाइल की लती थी। उसके अजीब बिहेवियर से तंग आकर कॉलेज प्रबंधन ने पैरेंट्स को बुलाकर किशोरी को निकाल दिया। घर में उससे मोबाइल छीना गया तो वह सुसाइड करने की धमकी देने लगी। परेशान पैरेंट्स उसकी काउंसिलिंग करा रहे हैं।

बच्चों को पकड़ रही मोबाइल की लत

स्मार्ट फोन के बेहिसाब इस्तेमाल ने कच्ची मिट्टी कहे जाने वाले बच्चों के मन में विकृतियां पैदा कर दी हैं। सिटी के इंग्लिश मीडियम स्कूल्स के प्रिंसिपल्स की मानें तो मोबाइल के लती बच्चे टोकने या डांटने पर बुरी तरह पेश आते हैं। उन्हें प्यार से समझाना होता है, गुस्सा दिखाने पर बात बिगड़ती है। मनोवैज्ञानिक प्रो। अनुभूति दुबे बताती हैं कि मोबाइल की लत आम समस्या बन चुकी है। पैरेंट्स के मोबाइल में मौजूद पॉर्न या हिंसक सामग्री बच्चों के मन में कौतूहल पैदा करती है। दिलचस्पी बढ़ते ही 'प्रतिक्रिया' होती है। पैरेंट्स हर काम में आसानी तलाशते हैं। बच्चा खाना खा ले, इसके लिए उसके हाथ में मोबाइल दे दिया जाता है। किशोरों की समस्याएं तो समझ आ जाती हैं, लेकिन छोटे बच्चों के मन की उधेड़बुन कोई नहीं समझ पाता। मोबाइल या इंटरनेट 'हाइजीन' की जरूरत है। इसमें तय करना होगा कि 24 घंटे में कितनी देर बच्चे को इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के इस्तेमाल की छूट दी जाए।

जिद करें तो भी न दें फोन

प्रो। अनुभूति दुबे के मुताबिक, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने समस्या को 'सोशल मीडिया एडिक्शन डिसऑर्डर' नाम दिया है। ऐसे बच्चों को चिंता, घबराहट और नींद न आने की समस्याएं होने लगती हैं। मेट्रो सिटीज में मोबाइल या इंटरनेट की लत छुड़ाने के लिए क्लिनिक खुल चुके हैं। पैरेंट्स की काउंसलिंग के साथ बच्चों को आउटडोर खेलों में लगाना होगा। बच्चा रोकर मोबाइल मांगे तो कभी न दें, वह थोड़ी देर में चुप हो जाएगा।

वर्जन

आज की डेट में ज्यादातर पैरेंट्स अपने बच्चों को स्मार्ट फोन को यूज करने के लिए दे देते हैं। जबकि इसकी आवश्यकता नहीं है। ज्यादातर बच्चों में सोशल मीडिया एडिक्शन की शिकायत आ रही है, जिस पर पैरेंट्स को रोक लगाने की जरूरत है।

- फादर जैयमान, प्रिंसिपल, लिटिल फ्लावर स्कूल, धर्मपुर

पैरेंट्स को इस बात का ख्याल रखना होगा कि उनका बच्चा स्मार्ट फोन पर क्या देख रहा है। किसी भी वस्तु का इस्तेमाल बेइंतहा करना खराब माना जाता है। मोबाइल के यूज से बच्चे को दूर रखना ही ज्यादा अच्छा है। वरना सोशल मीडिया एडिक्शन डिसऑर्डर डिसटर्ब कर सकता है।

- अनुजा श्रीवास्तव, प्रिंसिपल, एचपी चिल्ड्रेन एकेडमी