- बजट आने के बाद आई नेक्स्ट ऑफिस में हुए डिस्कशन में एक्सप‌र्ट्स ने रखी अपनी बात

- टैक्स स्लैब में 50 हजार तो वहीं टैक्स रेट कम करने से मिडिल क्लास को फायदा

GORAKHPUR: चुनाव के दौरान बजट जारी होने पर बवाल और तकरार के बीच बजट जारी हो ही गया। इसमें जहां कुछ लोगों की उम्मीदों को पंख लगे हैं, तो वहीं कुछ लोगों को निराशा भी हाथ लगी। बजट जारी होने के बाद आई नेक्स्ट ऑफिस में इकोनॉमिस्ट, फाइनेंशियल एडवाइजर, सीए, मैनेजमेंट एक्सप‌र्ट्स का एक पैनल बैठा, जिनके बीच बीच बजट को लेकर डीप डिस्कशन हुआ। इसमें कहा गया कि यह बजट एक दूरगामी सोच वाला बजट है, जिसके परिणाम लोगों को फ्यूचर में देखने को मिलेंगे। फिलहाल इसका सीधा फायदा मिडियम क्लास और छोटे व्यापारियों को मिलेगा।

टैक्स स्लैब बढ़ाया जाना अच्छा

डिस्कशन के दौरान एक्सप‌र्ट्स ने इस बात पर जोर दिया कि सस्टेनेबल डेवलपमेंट के लिहाज से यह बजट ठीक है। इसमें सभी सेक्टर के लिए कुछ न कुछ मौजूद है। इससे सबसे ज्यादा फायदा मिडिल क्लास को होना है। क्योंकि टैक्स स्लैब ढाई लाख से बढ़ाकर तीन लाख किया गया है, जिससे इस दायरे में आने वाले लोगों को सीधा 12500 का फायदा होना है। वहीं जो इसके ऊपर भी आते हैं, उनको भी महज पांच परसेंट ही टैक्स अदा करना होगा। यानि इससे ऊपर जाने पर भी अब 10 फीसद की बजाए 5 फीसद ही टैक्स अदा करना पड़ेगा।

सब्सिडी से परहेज, स्किल पर जोर

बजट की सबसे खास बात यह है कि इसमें रोटी, कपड़ा और मकान जैसी बुनियादी जरूरतों पर ध्यान दिया गया है। मगर चुनावी बजट और लोगों के माइंडसेट के मुताबिक इस बजट में सब्सिडी जैसी कोई बात नहीं शामिल है, यानि कि पब्लिक को ही भी फाइनेंशियली फायदा नहीं होगा। मगर इसमें स्किल डेवलपमेंट पर काफी जोर दिया गया है। नए उद्योग लगाने वालों को जहां सात साल तक टैक्स माफ किया गया है। वहीं छोटी कंपनीज को टैक्स में ज्यादा छूट मिलेगी। फ्लावरिंग और डेयरी के लिए भी इसमें स्कीम है, जिससे लोग सेल्फ एंप्लाइड हो सकेंगे।

कॉलिंग

सस्टेनेबल डेवलपमेंट के लिहाज से यह बिल्कुल परफेक्ट बजट है। इसमें भूखमरी, गरीबी निवारण, स्वास्थ्य सुविधाएं, गुणवत्ता परक शिक्षा, लिंगानुपात, शुद्ध पेयजल, ऊर्जा विकास, आर्थिक वृद्धि, सतत उत्पादन, जलवायु परिवर्तन के साथ ही राष्ट्रों के बीच सहकारिता को समाहित किया गया है। ऊर्जा के क्षेत्र में एलपीजी, सीएनजी और पवनचक्की के साथ ही सोलर पैनल का सस्ता होना एक पॉजिटिव स्टेप है। स्वास्थ्य सुविधाओं में गर्भवती महिलाओं के लिए उन्होंने अच्छी पहल की है, लेकिन पीजी लेवल पर महज 5000 सीट बढ़ाना स्टूडेंट्स के लिए बेहतर कदम नहीं है।

- डॉ। सत्यपाल सिंह, इकोनॉमिस्ट

रोटी, कपड़ा और मकान लोगों की बुनियादी जरूरत है। इस बजट में इन सबका ध्यान रखा गया है। सरकार को सब्सिडी वाले शब्द से परहेज है, इसका असर इस बजट में भी दिखाई दिया है। इसमें किसानों के लिए तरह-तरह की स्कीम्स तो हैं, लेकिन उन्हें डायरेक्ट सब्सिडी का लाभ कहीं नहीं दिया गया है। इससे मिडिल क्लास के लोगों को काफी फायदा होगा। फ्लावरिंग और डेयरी के लिए इस बजट में काफी कुछ है।

- प्रो। संजीत गुप्ता, मैनेजमेंट एक्सपर्ट

इसमें छोटी-छोटी कंपनीज को काफी फायदा होगा। सबका टैक्स बचे, इसकी इस बजट में व्यवस्था की गई है। बड़ी कंपनीज को कोई फायदा नहीं होगा। सबसे ज्यादा लगाम पॉलिटिकल पार्टीज पर कसी गई है। अभी तक लोग अननोन सोर्स से चंदा ले लेते थे। पहले इसकी लिमिट 20 हजार रुपए थी, लेकिन इसको घटाकर महज 2 हजार कर दिया गया है। इससे ब्लैक मनी को व्हाइट करने वालों पर असर पड़ेगा। कुल मिला जुलाकर अगर इस बजट को एक वर्ड में डिस्क्राइब करना हो, तो इसे एक कंप्लीट एजुकेटेड बजट कहेंगे।

- मोहित अग्रवाल, सीए

इस बजट में कैशलेस पर काफी फोकस किया गया है। जिससे लोगों को काफी फायदा होगा। सबसे ज्यादा फायदा टिकट कराने वाले लोगों को मिलेगा। वह घर पर बैठकर लाइन के झंझट से बचकर अपना टिकट करा सकेंगे और उन्हें एक्स्ट्रा पैसे भी नहीं खर्च करने पड़ेंगे। इस बजट में स्किल डेवलपमेंट पर जोर दिया गया है, वहीं छोटा उद्योग लगाने वालों को मोटीवेट करने के लिए टैक्स में छूट दी गई है। इससे लोगों का विदेश जाना कम हो जाएगा और नौकरियों की भरमार होगी।

- सौरभ अग्रवाल, सीए

इस बजट में सभी के लिए काफी कुछ है। मगर कुछ लोगों को इससे परेशानी भी होगी। गवर्नमेंट एंप्लाइज का डीए बढ़ता है, मगर प्राइवेट एंप्लाइज की बात करें तो इसको कोई फर्क नहीं पड़ता है। इसकी वजह से इनकी मुश्किलें बढ़ेंगी। वहीं प्राइवेट एंप्लाइज जो कि टैक्स स्लैब के बढ़ने का इंतजार कर रहे थे, उन्हें काफी निराशा हुई है। इसमें इंश्योरेंस और इक्विटी सेक्टर पर बिल्कुल ध्यान नहीं दिया गया है। इसको अगर प्रमोट करते तो लोगों के साथ सरकार को भी फायदा हो सकता था।

- योगेश जायसवाल, फाइनेंशियल एडवाइजर, सेबी