सीआईएसएफ की गौरव कुमारी 10 किलोमीटर पैदल चाल की प्लेयर हैं। उन्होंने 2013 ऑल इंडिया पुलिस एथलेटिक्स में गोल्ड मेडल जीता। यह अचीवमेंट पैदल चाल में उन्होंने 50.55 मिनट में तय किया, जबकि 2012 में इस खेल में उनका रिकॉर्ड  45.42.40 मिनट का था। मेडल तो मिला, पर गौरव अपना पिछला रिकॉर्ड नहीं तोड़ पाईं।

सीआरपीएफ की अनीषा कुमारी विजयन ने 100मी। हर्डल रेस में गोल्ड मेडल जीता है। उन्होंने यह दूरी 14.99 सेकेंड में पूरी की, जबकि 2004 में यह दूरी अनीषा ने 14.61 सेकेंड में तय कर रिकॉर्ड बनाया था। अनीषा अपनी ही रिकॉर्ड को नहीं तोड़ पाईं।

सीआरपीएफ की अनीषा कुमारी ने ट्रिपल जम्प में गोल्ड मेडल जीता है। उन्होंने 13.10 मीटर का जम्प लगाकर गोल्ड पर कब्जा जमाया, जबकि 2005 में इसी कैटेगरी में अनीषा ने 13.31 मीटर का जम्प लगाकर रिकॉर्ड बनाया था, जो नहीं टूट पाया।

कोई नया रिकॉर्ड नहीं बना

मेंस या वीमेंस कैटेगरी में तीसरे दिन तक कोई नया रिकॉर्ड नहीं बना। चाहे वह 100मी। रन हो या हैमर थ्रो। मिथिलेश स्टेडियम में खेले जा रहे ऑल इंडिया पुलिस एथलेटिक्स में प्लेयर्स का जलवा देखने के लिए बुद्धिजीवी भी आ रहे हैं। उनमें ज्यादातर रिकॉर्ड को टूटते हुए देखने की उम्मीद रखते हैं। बोरिंग रोड के सुरेन्द्र सिंह कहते हैं कि खेल तो सभी देखते हैं, लेकिन हम तो यहां रिकॉर्ड बनते और टूटते देखना चाहते हैं। रिकॉर्ड बनते अपनी आंखों से देखने का मतलब है कि हिस्ट्री का हिस्सा बनना। मैं यहां हिस्टोरिकल स्पोट्र्स टूर्नामेंट देख रहा हूं।

बिहार पुलिस भी पड़ी सुस्त

पुलिस डिपार्टमेंट में प्लेयर्स को सबसे चुस्त माना जाता है। स्पोट्र्स के लिए वे हर दिन 6-8 घंटे प्रैक्टिस में पसीना बहाते हैं। बावजूद उनकी चुस्ती खत्म हो रही है। ऐसा हम नहीं कह रहे हैं, उनका खेल कह रहा है। वीमेंस कैटेगरी क्या मेंस कैटेगरी में भी कोई रिकॉर्ड इस बार नहीं टूट सका। रिकॉर्ड टूटने की बात तो दूर, उस रिकॉर्ड के आस-पास भी प्लेयर्स नहीं पहुंच सके। ऐसे में स्पोट्र्स से बाहर के पुलिस की चुस्ती पर सवाल उठना लाजिमी है। क्रिमिनल्स को पकडऩे में पुलिस को सक्सेस नहीं मिल रही। कांड होने के काफी देर बाद पुलिस घटनास्थल पर पहुंती है। इसमें उनकी चुस्ती का अहम रोल है। पुलिस की सुस्ती के कारण ही कई तरह के क्राइम जैसे छेड़खानी, चोरी, ट्रैफिक रूल का टूटना आदि शामिल है। यदि पुलिस चुस्त रहे, तो इस तरह की घटनाएं रुक जाएंगी और क्राइम कर भागने वाले भी पकड़े जा सकेंगे।

बिहार पुलिस सुस्ती में सबसे आगे

सुस्ती में बिहार पुलिस का नाम इंडिया में सबसे ऊपर है। यहां छोटी-छोटीघटनाएं पुलिस की सुस्ती और लापरवाही की वजह से बड़ी हो जाती हैं। पिछले कुछ महीनों तक पटना में चेन स्नैचर्स का आतंक बना हुआ था। लाख कोशिश के बावजूद पुलिस मौके पर स्नैचर्स को नहीं पकड़ पाई, जबकि स्नैचर्स दिन-दहाड़े महिलाओं को अपना शिकार बनाते थे। हर घटना में बिहार पुलिस पर देर से पहुंचने का आरोप लगता रहा है। यहां के जवान ज्यादातर फिजिकली अनफिट दिखते हैं। अब खेल की ही बात लें, बिहार पुलिस में कृष्ण कुमार शर्मा डिस्कस थ्रो में 14 साल से चैम्पियन थे। ऑल इंडिया पुलिस एथलेटिक्स में लास्ट ईयर तक उन्हें टक्कर देने वाला कोई नहीं था, पर इस बार हरियाणा के प्लेयर ने उन्हें मात दे दी। कृष्ण को सिल्वर मेडल से ही संतुष्ट होना पड़ा। कृष्ण के चेहरे पर इसकी पीड़ा साफ दिख रही थी। अर्चना बारा भी इस बार ब्रांज मेडल ही जीत सकी। वे हैमर थ्रो में यह मेडल जीता है।

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