- जिला अस्पताल में मोतियाबिंद के ऑपरेशन के लिए आई थी मशीन

- अस्पताल के पास नहीं हैं मशीन ऑपरेट करने के लिए एक्सपर्ट

- 19 लाख से अधिक कीमत की इस मशीन से ऑपरेशन में लगते हैं महज 10-15 मिनट

Meerut । मोतियाबिंद की सर्जरी के लिए एडवांस टेक्नोलॉजी से लैस फेको मशीन होने के बावजूद जिला अस्पताल में आंखों के मरीजों को दर्द भरी ऑपरेशन प्रक्रिया से गुजरना पड़ रहा है। वजह अस्पताल के पास तीन नेत्र सर्जन हैं, लेकिन इसे ऑपरेट करने के लिए एक भी एक्सपर्ट डॉक्टर नहीं हैं। ऐसे में पिछले 6 महीने से ऑप्थेमोलॉजी डिपार्टमेंट के स्टोर में डिब्बे में बंद यह मशीन डिब्बा हो गई है। लाखों खर्च करने के बाद भी मरीजों का पुरानी तकनीक से ही इलाज करवाना पड़ रहा है।

यह है स्थिति

जिला अस्पताल के नेत्र विभाग में हर महीने मोतियाबिंद के इलाज के लिए दो सौ से ज्यादा मरीज आते हैं। ओपन सर्जरी होने के चलते 4-6 मरीजों की सर्जरी ही रोजाना हो पाती है। ऐसे में कई मरीजों को इंतजार भी करना पड़ जाता है।

यह होता है फायदा

मल्टी स्पेश्यलिटी हॉस्पिटल बनाने की कवायद में जुटे जिला अस्पताल को यह मशीन एनएचआरएम के तहत स्वास्थ्य विभाग ने दी थी। 19 लाख से अधिक कीमत की इस मशीन से ऑपरेशन करने में महज 10-15 मिनट का समय लगता है। चीरे का आकार भी तकरीबन 2-2.5 मिमी का होता है और फोल्डेबल लेंस का प्रयोग करके सर्जरी की जाती है। फेको तकनीक से ऑपरेशन के बाद मरीज को जल्द राहत मिलती है। मरहम-पट्टी करने की जरूरत नहीं होती है। कॉर्निया भी सेफ रहता है, मरीज ऑपरेशन कराकर तुरंत घर जा सकता है। जबकि पुरानी तकनीक से होने वाले ऑपरेशन में एक घंटे तक का समय लग जाता है। रीजिड लेंस के प्रयोग से होने वाले इस ऑपरेशन में चीरे का आकार भी 5.5 से 6 मिमी तक होता है और घाव भी देर से भरता है। मरीज को अगले दिन डिस्चार्ज किया जाता है।

हमारे पास फेको मशीन को ऑपरेट करने के लिए अभी एक्सपर्ट नहीं हैं। जल्द ही एक्सपर्ट की व्यवस्था कराकर इसे शुरु किया जाएगा।

डॉ। पीके वाष्र्णेय, हेड ऑप्थेमोलॉजी डिपार्टमेंट, जिला अस्पताल