नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) ने कुछ फर्जी पायलटों के मामले सामने आने के बाद वाणिज्यिक विमानों को उड़ाने के लाइसेंस 'सीपीएल' हासिल करने वाले 10,000 से अधिक लोगों को जांच के दायरे में लाने की योजना बनाई है.

इसके साथ ही डीजीसीए उड़ान का प्रशिक्षण देने वाले सभी संस्थानों की जांच करेगी. डीजीसीए की चिंता उन भारतीय छात्रों को लेकर भी है जो लाखों रुपये खर्च करके विदेश के संस्थानों से विमान उड़ाने का प्रशिक्षण हासिल करते हैं, लेकिन उन्हें फर्जी लाइसेंस थमा दिये जाते हैं.

डीजीसीए के प्रमुख भरत भूषण ने पीटीआई को बताया, ‘‘अब तक छह पायलटों के मामले सामने आये हैं जो फर्जी लाइसेंस पर विमान उड़ा रहे थे. हमें कुछ और संदिग्ध मामलों की जानकारी मिली है, लेकिन अभी इस बारे में कोई पुष्टि नहीं हो सकी है. इनकी जांच की जा रही है।’’ अब तक जिन छह पायलटों के पास फर्जी लाइसेंस होने की बात सामने आई उनमें से दो इंडिगो और दो पायलट स्पाइस जेट के थे. इनके अलावा एक-एक पायलटों का ताल्लुक एयर इंडिया और एमडीएलआर से था.

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