कानपुर। आज फिल्म जगत में तीन बड़े सिंगर्स का जन्मिन है। श्रेया घोषाल, आतिफ असलम और फाल्गुनी पाठक। तीनों में एक समानता तो यही है कि इनकी बर्थ डेट सेम है। वहीं दूसरी समानता है उनका पेशा। तीनों ही सिंगर है और एक ही तारीख को जन्मे हैं। वहीं तीनों के जीवन के ये अनसुने किस्से चलिए आपको बताते हैं, जिनके बारे में शायद ही आप जानते हों। सबसे पहले बात करते हैं बर्थडे गर्ल श्रेया घोषाल की। बाॅलीवुड में अपनी सुरीली आवाज से मधुर संगीत घोलने वाली श्रेया ने बचपन में ही अपनी तकदीर अपने हाथों से लिख ली थी। दरअसल श्रेया सबसे पहले एक किड्स म्यूजिक रिएलिटी शो में नजर आई थीं। श्रेया उस शो की विनर ही नहीं रहीं बल्कि अपनी मधुर आवाज से लोगों के दिलों पर भी राज करने लगी थीं। श्रेया ने मुंबई के एक काॅलेज से साइंस साइड स्ट्रीम से पढ़ाई पूरी की। वहीं उन्होंने साथ ही अपना संगीत भी जारी रखा। मालूम 2010 में श्रेया ने अमेरिका में एक स्टेज शो किया था। उस शो को देखने के बाद वहां के एक स्टेट की गवर्नर ने 26 जून को श्रेया घोषाल दिवस घोषित कर दिया।

एक ही दिन होता है श्रेया,आतिफ और फाल्गुनी का जन्मदिन,तीनों में हैं ये समानताएं

आतिफ ये करने वाले बने सबसे कम उम्र के इंसान

वहीं आतिफ असलम आज अपना 36वां जन्मदिन सेलिब्रेट कर रहे हैं। आतिफ ने न सिर्फ अपने गानों बल्कि अपने एटीट्यूट से लड़कियों को अपना दीवाना बना रखा है। आतिफ ने बाॅलीवुड में 'बेइंतहां', 'तेरे संग यारा' और 'दिल मेरी न सुने' जैसे हिट गानों की सौगात दी है। आतिफ को बचपन से ही सिंगिंग में इंट्रेट तो था पर वो क्रिकेटर बनना चाहते थे। हालांकि ऐसा हो नहीं पाया वो बने तो एक सिंगर ही। मालूम हो एक्टर पाकिस्तानी मूल के बाॅलीवुड सिंगर हैं जिन्हें पाकिस्तान का बड़ा सम्मान तमगा ए इम्तियाज से सम्मानित किया गया है। पाकिस्तान में इस सम्मान को पाने वाले आतिफ अब तक के सबसे कम उम्र के नागरिक बन गए हैं। वहीं हाल ही में हुए पुलवामा अटैक की वजह से बाॅलीवुड ने पाकिस्तानी कलाकारों को इंडस्ट्री से निकालना शुरु कर दिया है। इसके चलते आतिफ असलम को भी अपने कई प्रोजेक्ट्स से हाथ धोना पड़ गया है। सलमान खान की अपकमिंग फिल्म के सभी गानों से उन्हें बाहर कर दिया गया है।

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9 साल की उम्र में गाने पर पीटा था पिता ने

90 के दशक में अपने गानों से युवाओं को रोमांस और प्यार का पाठ पढ़ाने वाली सिंगर फाल्गुनी पाठक आज 55 साल की हो गई हैं। फाल्गुनी को फेमस होने के लिए किसी फिल्म में गाने की जरुरत नहीं पड़ी बल्कि वो अपने एल्बम से ही जानी जाती थीं। 'सावन में मोरनी बनके', 'मेरी चुनर उड़-उड़ जाए' और 'मैंने पायल है छनकाई' जैसे एल्बम आज भी टीवी पर आने लगते हैं तो चैनल बदलने के पहले दो बार सोचा जाता है। मालूम हो जब उन्होंने 9 साल की उम्र में पहली बार परफाॅर्म किया था तब उनके पिता ने उन्हें जम कर पीटा था। वहीं उन्हें डांडिया क्वीन भी कहा जाता है। मिड डे की एक रिपोर्ट के मुताबिक हर साल फाल्गुनी नवरात्री के उत्सव में गाने गाती हैं जहां एक ही वक्त पर करीब 60 हजार लोग हिस्सा लेते हैं। इन तीनों ही सिंगर्स ने अपनी मीठी आवाज से बाॅलीवुड में ही नहीं फैंस के दिलों में भी अपनी खास जगह बनाई है।

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