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RANCHI राजधानी रांची के नजदीक नामकुम के हाहाप के बीहड़ जंगलों में 20 एकड़ में अफीम की फसल एसएसपी को मिली सूचना के बाद रांची पुलिस नष्ट कर रही है। पूरी फसल नष्ट करने में पुलिस को एक सप्ताह का समय लगेगा। दरअसल, नक्सली और नशे के सौदागरों द्वारा रूरल एरिया के लोगों को लालच देकर सैकड़ों एकड़ में अफीम की खेती करवाई जा रही है। राजधानी रांची के नजदीक इतने बड़े पैमाने पर अफीम की खेती देखकर पुलिस वाले भी हैरान हैं। सुबह से अफीम की फसल नष्ट करने का जो सिलसिला शुरू हुआ दोपहर तक चलता रहा। अफीम की फसल नष्ट करते-करते पुलिस के जवान थक गए, लेकिन फसल खत्म होने का नाम नहीं ले रहा था।

एक केजी की कीमत लाखों रुपए
10 घंटे तक कड़ी मशक्कत के बाद पुलिस की टीम 20 एकड़ में अफीम की खेती को ही नष्ट कर पाई है। पुलिस अधिकारियों के अनुसार इतने बड़े पैमाने पर अफीम की खेती की गई है कि उसे नष्ट करने में लगभग एक सप्ताह का समय लगेगा। नारकोटिक्स डिपार्टमेंट के अधिकारियों के अनुसार प्रति किलो तैयार अफीम की कीमत बाजार में एक लाख रुपए है।

नक्सली करवाते हैं खेती
राजधानी रांची के आसपास के जंगलों में कई नक्सली संगठन अफीम की खेती करवाते हैं। पीएलएफआई और टीपीसी जैसे नक्सली संगठन ग्रामीणों को पैसे और अफीम के बीज उपलब्ध करवाते हैं। अफीम के तैयार हो जाने के बाद उसे बाहर के राज्यों में पहुंचाने का काम भी नक्सलियों द्वारा ही किया जाता है।

यूपी, पंजाब व बंगाल में बेचते हैं
यूपी, पंजाब, पश्चिम बंगाल के बाजारों में पहुंचाया जाता है। यूपी, पंजाब और दूसरे राज्यों के अफीम तस्करों के साथ नक्सलियों की सांठगांठ है। नक्सली सिर्फ अपनी देखरेख में खेती का काम पूरा करवाते हैं और फिर अफीम से मिले करोड़ों रुपए के बदौलत अपनी सल्तनत चलाते हैं।

जमीन मालिक पर कार्रवाई
रांची के एसएसपी अनीश गुप्ता ने बताया कि बड़े पैमाने पर रांची के ग्रामीण थाना क्षेत्रों में अफीम की खेती करवाने की सूचना मिली थी। इसके बाद नक्सल अभियान में लगे जवानों और अधिकारियों के साथ अफीम की खेत खोज कर उसमें लगी फसल को नष्ट करवाने का जिम्मा दिया गया था। रांची के दशम, तुपुदाना और नामकुम के जंगली इलाकों में बड़े पैमाने पर अफीम की खेती हो रही थी। रांची एसएसपी के अनुसार जिस जमीन पर अफीम की खेती की जा रही थी उनके मालिकों पर भी कार्रवाई की जा रही है। अफीम किसके द्वारा पहुंचाई जा रही है यह भी पता लगाया जा रहा है।